BNP NEWS DESK। recruitment of agniveer लोकसभा चुनाव के दौरान सेना में अग्निवीर के रूप में भर्त्ती की अग्निपथ योजना की खामियों के एक बड़ा मुद्दा बनने की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार अब इसमें सुधार के प्रस्तावों पर विचार कर रही है। इस क्रम में तीनों सेनाओं की ओर से अग्निवीरों की भर्ती प्रक्रिया के लिए दिए गए सुझावों के विकल्पों पर सकारात्मक नजरिये के साथ जरूरी बदलाव किए जाने की तैयारी के संकेत हैं।
recruitment of agniveer बदलाव के इन प्रस्तावों में अग्निवीरों की भर्ती की मौजूदा चार साल की अवधि को लगभग दो गुनी कर सात से आठ साल करने, सैन्य जवानों के स्थायी कैडर में अग्निवीरों को वर्तमान के 25 प्रतिशत से बढ़ा कर 60-70 प्रतिशत तक करने के सुझावों पर गौर किया जा रहा है। सुधार के प्रस्तावों के तहत अग्निवीरों को सैनिक की तरह दर्जा देने से लेकर सेवानिवृत्ति के समय ग्रेच्युटी जैसे वित्तीय प्रोत्साहन का लाभ दिए जाने पर भी विचार किया जाएगा।
सैन्य बलों की ओर से सुधारों को लेकर दिए गए सुझाव
सैन्य बलों की ओर से सुधारों को लेकर दिए गए सुझावों का संकेत साफ है कि अग्निपथ योजना को रद करने की कोई योजना नहीं है। मगर रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर सेना अग्निवीरों की भर्ती को पहले से कहीं ज्यादा आकर्षक और अपेक्षाकृत दीर्घकालिक बनाने को लेकर खुले मन से आवश्यक बदलाव करने पर गंभीरता से विचार कर रही है। दो अहम लक्ष्यों को धुरी में रखते हुए ही किसी तरह का बदलाव लागू किया जाएगा। recruitment of agniveer
इसमें पहला सबसे अहम बिंदु है कि तीनों सेनाओं की सशस्त्र मानव संसाधन क्षमता और कुशलता के साथ किसी तरह का समझौता न हो। दूसरा अग्निवीर के रूप में सैन्य बलों में आने वाले युवाओं का कैरियर तथा भविष्य सुरक्षित और सम्माजनक हो। recruitment of agniveer
समझा जाता है कि इन लक्ष्यों को ही धुरी में रखते हुए तीनों सेनाओं की ओर से अग्निवीर भर्ती में सुधार के लिए आंतरिक सर्वेक्षण अध्ययन कराए गए हैं। इस सर्वेक्षण अध्ययन की सिफारिशों में अग्निवीर योजना में कई बुनियादी बदलाव के प्रस्ताव दिए गए हैं। इसमें चार साल की अल्पवधि के लिए अग्निवीरों की नियुक्ति को बढ़ाकर सात-आठ साल तक करने का प्रस्ताव सबसे अहम है।
वर्तमान में 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही तीनों सेनाओं के स्थायी सैनिक के रूप में रखने के नियम
इसके पीछे तर्क यह है कि जहां अवधि बढ़ाने से अग्निपथ स्कीम को लेकर युवाओं की शिकायतें कम होंगी वहीं पांच साल से अधिक की नौकरी के बाद ग्रेच्युटी का लाभ देने के नियम का उन्हें वित्तीय लाभ मिल जाएगा। वर्तमान में 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही तीनों सेनाओं के स्थायी सैनिक के रूप में रखने के नियम में बदलाव कर इसे 60-70 प्रतिशत करने का प्रस्ताव युवाओं के आकर्षण को और बढ़ाएगा।
तकनीकी इकाइयों में भर्ती अग्निवीरों के लिए स्थायी रूप से सेना में रहने का यह चांस 75 प्रतिशत तक किया जा सकता है। अग्निवीर के जंग के मोर्चे पर प्राण गंवाने के बाद उसे शहीद का दर्जा देने से लेकर रिटायर होने के बाद पूर्व सैनिक के समान दर्जा दिए जाने की सिफारिशें भी सुधार प्रस्ताव में शामिल हैं। recruitment of agniveer
सेना की ओर से भी अग्निवीर की ट्रेनिंग और तैनाती से जुड़े कुछ मुद्दे हैं जिसमें वे बदलाव चाहती है। इस लिहाज से अग्निवीरों के प्रशिक्षण की वर्तमान 24 हफ्ते की अवधि को बढ़ाकर पहले की तरह 37 से 42 सप्ताह करने पर विचार किए जाने की बात कही गई है। ताकि अग्निवीर भी स्थाई सैनिकों की तरह पूरी सैन्य निपुणता और कौशल हासिल कर मोर्चे पर तैनात किए जाएं।
अग्निवीर के रूप में सेना से रिटायर होने के बाद उनके वैकल्पिक कैरियर के अवसरों को बेहतर बनाने के लिए भी कुछ सिफारिशें की गई हैं। इसमें अर्द्धसैनिक बलों में एक निश्चित कोटा देने के साथ अग्निवीर के रूप में दी गई सेवा अवधि को नई सेवा में उनकी वरिष्ठता का हिस्सा बनाने जैसे सुझाव दिए गए हैं। वैसे सेनाओं की ओर से आधिकारिक तौर पर अभी यह प्रस्ताव रक्षा मंत्रालय को नहीं सौपा गया है। मगर समझा जाता है कि जल्द ही इसे केंद्र सरकार के 10 मंत्रालयों के सचिवों की एक समिति के सामने ये सिफारिशें रखी जाएंगी।
अग्निपथ पर बदलाव का राजनीतिक दबाव
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो : लोकसभा चुनाव से ठीक पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने अग्निपथ स्कीम की आलोचनाओं को देखते हुए इसकी समीक्षा करने की घोषणा की थी। हालांकि चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद मार्च महीने में एक कानक्लेव में अग्निपथ का बचाव करते हुए कहा था कि सेना में इसको लेकर कोई दिक्कत नहीं है।
सीडीएस ने यह भी कहा था कि सेनाओं के भीतर नहीं बल्कि बाहर अग्निवीर के खिलाफ आवाज उठाई जा रही है। जबकि अग्निवीरों की तैनाती से लेकर उनसे काम लेने वाले सेना के कमांडिंग अफसरों को कोई चुनौती नहीं है। हालांकि इसके बावजूद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव के दौरान सेना में अग्निवीर के रूप में भर्ती को सेना और देश के युवाओं दोनों के लिए खतरनाक बताते हुए मोदी सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बना दिया।
कांग्रेस और राहुल ने अग्निवीर के सवाल पर अपने रुख को छोड़ा नहीं है
कांग्रेस ने तो अपने घोषणापत्र में अग्निवीर भर्ती योजना खत्म कर सेना में सैनिकों की भर्ती की पुरानी प्रक्रिया की बहाली का वादा तक कर दिया। चुनाव नतीजों में सत्ता से दूर रह जाने के बाद भी कांग्रेस और राहुल ने अग्निवीर के सवाल पर अपने रुख को छोड़ा नहीं है। राजग सरकार की तीसरी पारी के शपथ से पहले ही उसे दो प्रमुख घटक दलों जदयू और लोजपा ने भी अग्निवीर भर्ती की समीक्षा की पैरवी की थी। इन सबको देखते हुए अग्निवीर योजना को बेहतर बनाने के लिए इसमें सुधारों और बदलावों को आने वाले समय में अमलीजामा पहनाए जाने की पूरी संभावनाएं है।
The Review
recruitment of agniveer
लोकसभा चुनाव के दौरान सेना में अग्निवीर के रूप में भर्त्ती की अग्निपथ योजना की खामियों के एक बड़ा मुद्दा बनने की पृष्ठभूमि में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली राजग सरकार अब इसमें सुधार के प्रस्तावों पर विचार कर रही है।
Discussion about this post