बीएनपी न्यूज डेस्क। Sanjay Gandhi, Death Anniversary संजय गांधी को करीब से देखने वाले उन्हें वक्त का बड़ा पाबंद बताते हैं। ‘द संजय स्टोरी’ में विनोद मेहता ने लिखा है कि 1 अकबर रोड पर सुबह 8 बजे संजय गांधी का दिन शुरू हो जाता था। अधिकारी संजय को अपनी डेली रिपोर्ट देते और ऑर्डर लेते जाते। संजय की सरकार में कोई हैसियत नहीं थी, लेकिन ज्यादातर लोग उन्हें ‘सर’ कहते थे। कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर ने बीबीसी से बातचीत में एक बार कहा था कि संजय वक्त के इतने पाबंद थे कि आप उन्हें देखकर अपनी घड़ी मिला सकते थे।
इंदिरा गांधी के छोटे बेटे और राजीव गांधी के भाई संजय गांधी की आज (23 जून) डेथ एनिवर्सरी है। 42 साल पहले 1980 में आज ही के दिन एक विमान हादसे में उनकी मौत हो गई थी। दरअसल, 23 जून 1980 को पिट्स एस-2ए विमान में बैठकर संजय गांधी दिल्ली के आसमान में उड़ रहे थे। इस दौरान उनके ट्रेनर कैप्टन सुभाष सक्सेना भी थे, जिनकी भी इस हादसे में मौत हो गई थी। कहा जाता है कि मौत से ठीक एक दिन पहले संजय गांधी पत्नी मेनका के साथ इसी विमान में उड़ान भर चुके थे।
विदेश से मंगाया गया था विमान
संजय गांधी पिट्स एस-2ए विमान बहुत पसंद था, जिसे विदेश से मंगाया गया था। वो इस विमान को लेकर इतने ज्यादा एक्साइटेड थे कि उसे फटाफट तैयार कर दिल्ली फ्लाइंग क्लब भेज दिया गया। 21 जून को संजय गांधी ने पहली बार पिट्स को उड़ाया। उस दौरान उनके साथ फ्लाइंग क्लब के कुछ मेंबर थे। वहीं अगले दिन यानी 22 जून को वो पत्नी मेनका के अलावा मां इंदिरा गांधी के विशेष सचिव आरके धवन और धीरेंद्र ब्रह्मचारी के साथ करीब 40 मिनट तक दिल्ली के आसमान में उड़े थे।
अपने साथ पहले सिंधिया को ले जाने वाले थे संजय गांधी :
23 जून को संजय गांधी एक बार फिर सुबह 7 बजे दिल्ली के फ्लाइंग क्लब पहंच गए। पहले संजय गांधी अपने साथ माधवराव सिंधिया को भी ले जाने वाले थे, लेकिन अचानक उनका मन बदल गया और वो सिंधिया के पास न जाकर सीधे फ्लाइंग क्लब के इंस्ट्रक्टर सुभाष सक्सेना के पास पहुंच गए। सुभाष सक्सेना विमान में संजय गांधी के साथ नहीं जाना चाहते थे, लेकिन उनके जिद करने पर वो मान गए।
हवा में गोते खाता खाली जमीन पर गिरा विमान और..
इसके बाद सुबह करीब 8 बजे संजय गांधी के विमान पिट्स एस-2ए ने टेकऑफ किया। संजय गांधी और सुभाष सक्सेना विमान में दिल्ली के आकाश में उड़ने लगे। इसी दौरान, अचानक विमान के पिछले इंजन ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद विमान हवा में ही गोते खाने लगा। कुछ देर बाद वो अशोका होटल के पीछे खाली पड़े प्लॉट पर गिर गया। इस हादसे में संजय गांधी और कैप्टन सुभाष सक्सेना की मौत हो गई।
हादसे से एक दिन पहले ही बेहद डर गई थीं मेनका
हादसे से एक दिन पहले ही मेनका गांधी ने संजय के साथ उस विमान में उड़ान भरी थी। 2 घंटे की इस सवारी के दौरान वो बेहद डर गई थीं। कहा जाता है कि विमान के लैंड करते ही वो फौरन सास इंदिरा गांधी के पास गईं और उनसे कहा कि आप संजय को यह विमान उड़ाने से रोक लीजिए। वो चाहें तो कोई दूसरा विमान उड़ाएं लेकिन इसे नहीं। कहते हैं कि मेनका की बात सुनने के बाद इंदिरा ने कहा कि उसने अब तक मुझसे किसी भी चीज के लिए इतनी रिक्वेस्ट नहीं की। अगर वो कह रही है तो तुम मत जाओ संजय।
तो क्या इस वजह से संजय ने नहीं सुनी मेनका की बात :
इंदिरा अभी बेटे को मना कर ही रही थीं कि तभी वहां आरके धवन आ जाते हैं। वो संजय गांधी का हौसला बढ़ाते हुए कहते हैं कि ये मर्दों वाला जहाज है। मेनका जी ऐसा इसलिए कह रही हैं, क्योंकि वो खुद एक औरत हैं। धवन की बात सुनकर इंदिरा गांधी ने पूछा क्या यह विमान सेफ है? इस पर मेनका बोलीं- ये बिल्कुल भी सेफ नहीं है। ये बेहद डरावना है। बता दें कि इस बात के अगले ही दिन हादसे में संजय गांधी की मौत हो गई।
संजय गांधी की मौत के 3 दिन बाद रोई थीं इंदिरा :
विमान हादसे की खबर मिलते ही इंदिरा गांधी दुर्घटनास्थल पर पहुंची। लेकिन तब उनके आंसू नहीं निकले। हालांकि, 3 दिन बाद जब वो पार्टी के नेताओं के साथ ऑफिस में बैठी थीं तब अचानक संजय गांधी का जिक्र आते ही वो रो पड़ीं। बाद में इंदिरा गांधी ने रोते हुए कहा था- हमारा दाहिना हाथ कट गया।
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