BNP NEWS DESK। Vagyog-Chetna Peetham पद्मश्री से सम्मानित महामहोपाध्याय स्व. प्रो. भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी ‘वागीश शास्त्री’ द्वारा स्थापित वाग्योग-चेतना पीठम् वाराणसी, शिवाला में आयोजित अनुष्ठान में रशिया के सेंट पीटर्सबर्ग निवासी मनोविज्ञानिक 41 वर्षीय एन्टोन एन्ड्रीव ने महाविद्या मां तारा की तांत्रिक दीक्षा ग्रहण की। इस अनुष्ठान द्वारा एन्टोन का गोत्र एवं नाम परिवर्तित किया गया एवं उन्हें गुरु मंत्र प्रदान किया गया। अब एन्टोन को सनातन परम्परा के अनुसार अनन्तानन्द नाथ नाम से जाना जाएगा। उनका गोत्र कश्यप हो गया है।
पूजन का प्रारम्भ पं. आशापति शास्त्री के आचार्यत्व में पं. सत्यम शास्त्री व पं. विनीत शास्त्री ने कराया। पीले वस्त्र में एन्टन पूर्ण रुप से सनातनी लग रहे थे। वे बहुत भावुक थे।
एन्टन वागीश शास्त्री के सानिध्य में वर्ष जनवरी 2015 में आये और कुण्डलिनी ध्यान का शक्तिपात द्वारा अध्ययन किया। परन्तु समयाभाव के कारण वो अपनी साधना पूर्ण नहीं कर पाये। इस वर्ष वे अप्रैल में आशापति के सानिध्य में आए और कुण्डलिनी साधना की सम्पूर्ण 10 कक्षायें पूर्ण की।
तदन्तर उनको अनुभूति प्राप्त होने पर उन्होंने मन्त्र दीक्षा लेने की इच्छाा जाहिर की। प्रक्रिया के अनुसार उनको पांच दिन की साधना एकान्त में करने का निर्देश प्रदान किया गया और माँ तारा और काली के पीठ में जाने का निर्देश प्रदान किया गया। पांच दिनों में प्राप्त अनुभूतियों के अनुसार उन्होंने माता तारा की दीक्षा लेने का निर्णय किया।
एन्टन ने बताया कि वे परमात्मा की शरण में जाने के लिए उच्च साधना हेतु इस मंत्र की दीक्षा ली। वर्तमान में रशिया-यूक्रेन युद्ध से वे काफी व्यथित हैं और इसकी शांति हेतु भी वे मां से प्रार्थना करेंगे।
आशापति ने बताया कि इस संस्था की स्थापना गुरुदेव वागीश शास्त्री जी ने वर्ष 1980 में की थी तब से लगातार विश्व से आये अनुयायियों को संस्कृत, योग एवं तन्त्र के अतिरिक्त कुण्डलिनी जागरण का प्रशिक्षण दिया जाता है। वर्तमान में गुरुदेव के शिष्यों की संख्या विश्व के 80 से अधिक देशों के तकरीबन 15000 लोगों ने सनातन धर्म को अपना कर मंत्र दीक्षा प्राप्त की है। उनके निधन के पश्चात् पं. आशापति शास्त्री संस्था के निदेशक एवं अध्यक्ष के दायित्चों का निर्वहन कर रहे हैं।
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Vagyog-Chetna Peetham
Vagyog-Chetna Peetham पद्मश्री से सम्मानित महामहोपाध्याय स्व. प्रो. भागीरथ प्रसाद त्रिपाठी ‘वागीश शास्त्री’ द्वारा स्थापित वाग्योग-चेतना पीठम् वाराणसी, शिवाला में आयोजित अनुष्ठान में रशिया के सेंट पीटर्सबर्ग निवासी मनोविज्ञानिक 41 वर्षीय एन्टोन एन्ड्रीव ने महाविद्या मां तारा की तांत्रिक दीक्षा ग्रहण की।
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