बीएनपी न्यूज डेस्क। Reena in Rawalpindi भारत, पाकिस्तान बंटवारे के बाद रावलपिंडी का अपना घर छोड़कर भारत जाकर बस गईं रीना का सपना आखिरकार 75 साल बाद पूरा हो गया। 15 साल की उम्र में उसने रावलपिंडी में अपने पुश्तैनी घर को ना चाहते हुए भी छोड़ना पड़ा था। रावलपिंडी की प्रेमगली का वह दो मंजिला मकान भले ही छूट गया था लेकिन उसकी याद जेहन से एक पल के भी नहीं भूलती थी।
वह आज रावलपिंडी के अपने घर पहुंचीं और बचपन की यादों में खो गईं. उन्होंने बालकनी में खड़े होकर वही गाना गाया, जो वह यहां बचपन में खड़े होकर गाया करती थीं।
साल 1947 में भारत, पाकिस्तान के बंटवारे में करोड़ों लोग दो मुल्कों की सरहदों में कैद हो गए। इस बंटवारे की टीस आज भी लाखों लोगों के दिलों में उठती है। इन्हीं में से एक हैं भारत की रीना छिब्बर वर्मा. बंटवारे के बाद रावलपिंडी का अपना घर छोड़कर हिंदुस्तान जाकर बस गईं रीना का सपना आखिरकार 75 साल बाद पूरा साल बाद पूरा हो गया।
Reena in Rawalpindi 90 साल की रीना वर्मा छिब्बर बुधवार को रावलपिंडी की प्रेम गली के अपने बचपन के घर प्रेम निवास पहुंचीं। इस दौरान वहां के लोगों ने रीना का दिल खोलकर स्वागत किया। ढोल-नगाड़ों के बीच पूरे जश्न का माहौल रहा। मीडिया का एक पूरा जमावड़ा उनके पुश्तैनी घर के बाहर खड़ा था. हर कोई उनकी एक झलक देखने को बेताब था।
सज्जाद ने घर खोजने में की मदद
पिंडी गर्ल के स्वागत के लिए सज्जाद हुसैन पहुंचे थे। सज्जाद ही वह शख्स हैं जिन्होंने बुजुर्ग को उनका घर खोजने में मदद की है। सज्जाद रावलपिंडी के डीएवी कॉलेज रोड पर बट स्ट्रीट में रहते हैं। सज्जाद खुद भी बंटवारे के बाद लुधियाना से रावलपिंडी चले गए थे।
इस तरह रीना और सज्जाद की कहानी एक दूसरे के जैसी ही है। दोनों परिवारों को विभाजन के बाद अपनी-अपनी जगह को छोड़ना पड़ा था। टीओआई ने सबसे पहले मई में खबर दी थी कि कैसे रीना वर्मा ने पाकिस्तान के रावलपिंडी में अपने घर को खोज निकाला था। कोरोना महामारी से पहले, रीना ने अपने घर की अपनी यादों और इसे देखने की इच्छा के बारे में एक फेसबुक ग्रुप पर पोस्ट किया था।
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