BNP NEWS DESK। Kader Khan Birth Anniversary: 90 के दशक का हर वो बच्चा जो बॉलीवुड फिल्मों को देखते हुए बड़ा हुआ हो वो कादर खान नाम से परिचित ना हो, ये सम्भव ही नहीं हैं। क्योंकि वो ही समय ऐसा था जब कादर खान हंसी का पर्याय बन चुके थे, उनका फिल्म में होने का मतलब ही ये था कि फिल्म में 5 से 10 सीन जरुर कॉमेडी के होंगे।
जबकि नकारात्मक किरदारों के साथ भी कादर खान ने हमेशा न्याय किया हैं। इस तरह से कादर खान ने बॉलीवुड की फिल्मों में विभिन्न छोटे-बड़े रोल निभाकर दर्शकों में अपनी एक अलग ही पहचान बनाई हैं। कादर खान एक फेमस एक्टर होने के साथ-साथ कॉमेडियन, स्क्रिप्ट और डाइलोग राइटर भी हैं।
Kader Khan 80-90 के दशक में दिग्गज अभिनेता कादर खान ने सिनेमा पर राज किया था। उन्होंने अपनी स्ट्रॉन्ग स्क्रीन प्रेजेंस से दर्शकों का दिल जीत लिया। एक वक्त था जब फिल्मों में पिता, पति या रिश्तेदार की भूमिका निभाने के लिए सिर्फ एक शख्स को याद किया जाता था, वो थे ‘कादर खान’।
एक बेहतरीन एक्टर के साथ-साथ कादर खान बहुत उम्दा डायलॉग राइटर भी थे। फिल्मों के कई दमदार अवाजों के पीछे कादर खान ही थे। उन्होंने अमिताभ बच्चन, गोविंदा जैसे सुपरस्टार के लिए संवाद लिखे और उन्हें प्रसिद्धि दिलाई। डायलॉग राइटिंग में उन्होंने फिल्म मनमोहन देसाई की फिल्म रोटी से डेब्यू किया था।
रोटी (1974)
एक दौर था जहां सलीम-जावेद की मशहूर जोड़ी को फिल्म के संवादों की सारी तारीफें मिलती थीं। वहीं कादर खान Kader Khan ने चुपचाप देश के कुछ सबसे बड़े सितारों को स्थापित करने की भूमिका निभाई। इसकी शुरुआत हुई फिल्म रोटी से। एक संवाद लेखक के रूप में अपनी पहली ही फिल्म में, खान ने शक्तिशाली संवाद दिया।
“आदमी के सीने में खंजर भोकने से वो सिर्फ एक बार मरता है… लेकिन जब किसी का दिल टूटा है ना तो उससे बार-बार मरना पड़ता है, हर रोज मरना पड़ता है।”
राजेश खन्ना की एक्टिंग और कादर खान के डायलॉग ने फिल्म को सुपरहिट करा दिया। यहीं से उदय हुआ एक बेहतरीन संवाद लेखक का।
अमर अकबर एंथोनी (1977)
अमिताभ बच्चन के आज मेगास्टार बनने के कारणों में से एक उनकी फिल्मों के दमदार डायलॉग्स भी रहे हैं, जिनसे दर्शक तुरंत जुड़ जाते थे। लेकिन आप में से कम ही लोगों को पता होगा कि ज्यादातर फिल्मों के संवाद कादर खान ने लिखे थे। जैसे-
‘जिंदगी में आदमी दोइच टाइम इतना तेज भागता है, ओलंपिक की रेस हो या पुलिस का केस’
अग्निपथ (1990)
अमिताभ बच्चन का एक डायलॉग और वह बॉलीवुड के पॉपुलर एंग्री यंग मैन बन गए।
“विजय दीनानाथ चौहान, पूरा नाम। बाप का नाम दीनानाथ चौहान, मां का नाम सुहासिनी चौहान। गांव मांडवा। उम्र 36 साल, 9 महीना, 8 दिन और ये सोलवा घंटा चालू है”
बिग बी की ये लाइनें आज भी आइकॉनिक हैं। इन डायलॉग्स ने अमिताभ बच्चन को सदी का महानायक बनाने में पूरी मदद की।
कुली नंबर 1(1995)
अमिताभ बच्चन के बाद, बॉलीवुड में सबसे यादगार संवाद रखने वाले अगले फिल्म स्टार गोविंदा हैं। जब गोविंदा अपने करियर के चरम पर थे, कादर खान हमेशा उनके साथ-साथ स्क्रीन के साथ-साथ ऑफ-स्क्रीन भी पाए जाते थे। ऑन-स्क्रीन रहते हुए, उन्होंने गोविंदा के पिता, ससुर, चाचा और दोस्त की भूमिका निभाई। उन्होंने गोविंदा की फिल्म कुली नंबर 1 के लिए भी डायलॉग लिखे थे।
The Review
Kader Khan
90 के दशक का हर वो बच्चा जो बॉलीवुड फिल्मों को देखते हुए बड़ा हुआ हो वो कादर खान नाम से परिचित ना हो, ये सम्भव ही नहीं हैं।
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