BNP news desk । Inspector Suryaprakash दूसरों को सलाखों को पीछे पहुंचाने वाला नदेसर पुलिस चौकी प्रभारी रहा सूर्यप्रकाश खुद के जेल जाने की बारी आई आने पर अंदर से सख्त नाराज था। लेकिन उस वक्त भी उसके मुस्कुराते रहने का राज लोग समझ नहीं पा रहे थे। कोर्ट भेजे जाने के दौरान पुलिस के पुख्ता इंतजाम भी किए गए थे।
Inspector Suryaprakash सुरक्षा कर्मियों से अलग उसे गिरफ़्तार करने वाली पुलिस टीम भी थी, जिससे देखते ही आपा खो बैठा। धमकी भरे लहजे में कहा कि जेल से लौटते ही गोली मारूंगा। एक पुलिसकर्मी ने उसके वर्ताव के बारे में जानकारी दी। हालांकि, इस मामले में अभी कोई तहरीर नहीं पड़ी है। हालांकि पुलिस जल्द ही सूर्य प्रकाश को रिमांड पर लेगी।
वारदात के बाद दी थी होटल में पार्टी, बांटा था गिफ्ट
दारोगा सूर्य प्रकाश बेइंतहा रुपये कमाने संग उसे लुटाता भी था। वारदात के बाद उसने कैंट इलाका स्थित एक होटल में कुछ लोगों के लिए पार्टी भी रखी थी। पार्टी में सभी तरह के लोग मौजूद थे, जिन्होंने मनचाहा भोजन करने के बाद गिफ्ट भी लिए। पुलिस के हाथ उस पार्टी के वीडियो भी लगे हैं। पुलिस उस वीडियो के मायने भी लगाने में जुटी है। Inspector Suryaprakash
दारोगा के डकैत गिरोह ने अप्रैल माह में पंजाब के कारोबारी से की थी 22 लाख की डकैती
डकैती में पकड़े गए दारोगा सूर्यप्रकाश का गिरोह गत अप्रैल माह में काशी स्टेशन के पास 22 लाख रुपये का डांका डाला था। गिरोह ने पंजाब के कारोबारी के पास 44 लाख रुपये पकड़े थे। बाद में उससे समझौता कर 22 लाख रुपये ले लिए और उस कारोबारी को जाने दिया। डकैत गिरोह के सदस्यों ने पुलिस की पूछताछ में यह कुबूली है। पुलिस अब उस कारोबारी को खोजने में जुटी है, जिसके साथ घटना हुई थी। खास बात यह पता चली कि उस वारदात में भी छह लोग थे, लेकिन उसमें योगेश पाठक की जगह दूसरे बदमाश को लिया गया था। Inspector Suryaprakash
कार्य करने का तरीका ऐसा कि बच निकलते थे
पुलिस विभाग में दरोगा रहने के कारण खाकी के दांच-पेंच जानने वाला सूर्यप्रकाश के वारदात करने का तरीका ऐसा था कि पकड़े जाने की गुंजाइश कम होती थी। मसलन लाखों रुपये, लाखों के जेवरात के साथ कारोबारियों, उनके कर्मियों को पकड़ना फिर समझौता कर आधी रकम लेकर छोड़ देना इनका पेशा था। समझौते की बात पर कारोबारी सोचते कि इनकम टैक्स अधिकारियों के पास जाएंगे तो ढेरों सवालों से गुजरना पड़ेगा।
Inspector Suryaprakash इसलिए समझौते की बात मान लेते और दारोगा का डकैत गिरोह जेबें भरने के बाद बचा रहा जाता था। सर्राफा कारोबारी जयपाल से भी समझौते की बात की गई थी, लेकिन दांव उल्टा पड़ गया।
एक वीडियो फुटेज से कस गया डकैत गिरोह पर कानून का शिकंजा
कहावत है कि वारदात करने पहुंचा अपराधी घटनास्थल पर कोई न कोई सुबूत छोड़ जाता है या फिर अपने साथ लेकर जाता है। सर्राफा कारोबारी जयपाल के कर्मचारियों से लूटे गए साढ़े 42 लाख मामले में भी यही हुआ। 22 जून की रात हुई घटना के बाद जयपाल बस सर्विस के उस बाबू के पास पहुंचे, जिसने टिकट बुक किया था।
उससे बातचीत की तो पता चला कि एक व्यक्ति आपके कर्मचारियों के कोलकाता जाने के बारे में पूछ रहा था। उसी व्यक्ति ने अजय गुप्ता नामक व्यक्ति (डकैत गिरोह का गिरफ्तार सदस्य) का भुल्लनपुर से वाराणसी से कोलकाता का टिकट भी कराया था। जयपाल ने नंबर मांगा तो बाबू ने कहा डिलीट हो गया। इसके बाद जयपाल बस अड्डे पर लगे सीसीटीवी कैमरे से उस अजनबी की वीडियो फुटेज निकाले और पुलिस कमिश्नर को दे दिया।
उसी वीडियो फुटेज के सहारे जांच आगे बढ़ी और चुनिंदा 10 से 12 मोबाइल नंबरों को ट्रेस कर पुलिस अपराधियों तक पहुंच गई। बिहार के औरंगाबाद निवासी जयपाल 2020 में नीची बाग में मकान खरीद सोने चांदी का कारोबार कर रहे हैं।
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दूसरों को सलाखों को पीछे पहुंचाने वाला नदेसर पुलिस चौकी प्रभारी रहा सूर्यप्रकाश खुद के जेल जाने की बारी आई आने पर अंदर से सख्त नाराज था।
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