बीएनपी न्यूज डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि घोर परिवारवादियों ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को बर्बाद कर दिया था, अब योगी सरकार वापस इसे पटरी पर ला रही है। जाति से ऊपर उठकर राष्ट्रहित का सम्मान और परिवारवाद का विरोध ही बलिया की परिभाषा है। बलिया, पूर्वांचल और यूपी का विकास मेरा कर्तव्य है और मेरी प्राथमिकता भी। पश्चिम से पूरब तक घोर परिवारवादियों को यूपी की जनता ने नकार दिया है। जनता ने बता दिया कि यूपी की गाड़ी अब जातपात की गलियों में अटकने वाली नहीं है, उसने विकास के हाईवे पर रफ्तार भर ली है। वह बलिया नगर विधानसभा क्षेत्र के हैबतपुर गांव में सोमवार को भाजपा के सातों प्रत्याशियों के समर्थन मेें आयोजित विशाल जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के विकास पर विशेष ध्यान है। गर्भवती महिलाओं के लिए मातृ वंदना योजना चला रही है। माताओं के खाते में 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक ट्रांसफर किए गए हैं। जन्म के बाद बच्चों की बड़ी जरूरत होती है, उन्हें सही समय पर सही टीके जरूर लगे, इसके लिए सरकार ने मिशन इंद्रधनुष शुरू किया। गरीब, दलित व पिछड़ों के बच्चे ठीक से पढ़ सके, इसके लिए स्कालरशिप बढ़ाई गई है। कौशल विकास योजना के तहत हर साल लाखों नौजवानों को ट्रेनिंग दी जा रही है, जो गरीब अपना खुद का काम शुरू करना चाहता है उसके लिए मुद्रा योजना के तहत बिना गारंटी बैंक से मदद देने का प्रविधान किया गया है।
प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश में पिछली समाजवादी पार्टी सरकार पर किया। कहा कि जब वह 2014 में केंद्र में सत्ता में आए, तो उन्होंने दो साल तक राज्य में ऐसी सरकार झेलनी पड़ी जो गरीबों का पैसा गरीबों को देने के लिए तैयार नहीं थी। मैं उत्तर प्रदेश में सभी कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने में सक्षम हूं क्योंकि यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तहत डबल इंजन सरकार है। मैं दिल्ली से जो कुछ भी भेजता हूं, वह इसमें बाधा नहीं डालता है। इससे पहले, जब मैं केंद्र में सत्ता में आया था, मैंने उन्हें (समाजवादी पार्टी को) दो साल तक झेलना पड़ा, जो गरीबों का पैसा देने को तैयार नहीं थे। प्रधान मंत्री ने लोगों से “गलती से भी उन्हें वापस नहीं लाने” का आग्रह किया, जिन्होंने लोगों की प्रगति में बाधा उत्पन्न की। पीएम मोदी ने कहा कि यूपी में 34 लाख से ज्यादा गरीबों को पक्के घर बनाकर दिए हैं। जीवन में सुख-दु:ख भी आती है। बीमारी भी आती है। पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है। मध्यम वर्ग के परिवार की आय सीमित होती है और परिवार में बुजुर्ग मां-बाप होते हैैं। किसी को मधुमेह होता है तो किसी को ह्रदय की बीमारी। अगर किसी को डायबिटीज हो जाए तो महीने में दो से तीन हजार रुपये खर्च हो जाते हैं। मध्यम वर्ग अथवा गरीब परिवार कैसे दवा का इतना खर्च वहन करेगा। इसलिए मैैंने शहरों में जनऔषधि दवा केंद्र खोला। जो दवा आम दुकान पर सौ-दो सौ रुपये की मिलती है, वह इन केंद्रों पर दस-बीस रुपये में मिल जाती है, ऐसा इसलिए ताकि गरीबों का इलाज हो सके।
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