BNP NEWS DESK। Annakoot Festival कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को अन्नकूट व गोवर्धन पूजनोत्सव का विधान है। प्रतिपदा तिथि पर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम, अन्नपूर्णा मंदिर समेत देवालयों में अन्नकूट महोत्सव मनाया जा रहा। इसमें भगवान को कूटे हुए अन्न से खुद बनाए गए 56 प्रकार के मिष्ठान-पकवान का भोग अर्पित किया गया। इसके साथ ही विभिन्न आकृतियां उकेर कर झांकी सजाई गई। इसलिए इसे अन्नकूट महोत्सव कहते हैैं।
काशी के ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, 27 वर्ष बाद पहली बार ऐसा हो रहा है कि दिवाली के दूसरे दिन नहीं बल्कि तीसरे दिन बुधवार को अन्नकूट का पर्व और गोवर्धन पूजा मनाई जा रही है।
— Bharatnewspost (@Bharatnewspost1) October 26, 2022
देवी अन्नपूर्णा को अर्पित किया गया 56 भोग
Annakoot Festival श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के समीप देवी अन्नपूर्णा का प्राचीन मंदिर है। मंदिर के महंत शंकर पुरी के अनुसार, देवी अन्नपूर्णा को 151 क्विंटल प्रसाद का 56 भोग अर्पित किया गया है। दर्शन-पूजन का कार्यक्रम संपन्न होने के बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाएगा। महंत शंकर पुरी ने कहा कि अन्नकूट का पर्व मनाने से इंसान को लंबी आयु और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
राजराजेश्वर शिव को अन्न की भिक्षा देने वाली मां अन्नपूर्णा की स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शन-पूजन का सिलसिला जारी है। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के पास स्थित प्राचीन मंदिर से श्रद्धालु उत्साहपूर्वक देवी अन्नपूर्णा के दरबार से खजाना पाने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। अन्न-धन की देवी मां अन्नपूर्णेश्वरी के स्वर्णिम स्वरूप के दर्शन कर भक्तों ने सुख सौभाग्य की कामना की।
माता का दर्शन मिलते ही दो दिनों से कतार में लगे भक्तों के चेहरे पर से सारी थकान दूर हो गई। सुबह में एक लाइन गोदौलिया से आगे दशाश्वमेध तो दूसरी लाइन चौक थाने से आगे पहुंच गई। ढुंढिराज गणेश के रास्ते से श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा था। मां अन्नपूर्णा के दर्शन-पूजन का यह क्रम अन्नकूट यानी 26 अक्टूबर तक जारी रहेगा।
Annakoot Festival मान्यता है कि काशी नगरी के पालन-पोषण के लिए देवाधिदेव ने मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। मंदिर के गर्भगृह में मां अन्नपूर्णा की ममतामयी छवियुक्त ठोस स्वर्ण प्रतिमा कमलासन पर विराजमान और रजत शिल्प में ढले भगवान शिव की झोली में अन्नदान की मुद्रा में हैं। दायीं ओर मां लक्ष्मी और बायीं तरफ भूदेवी का स्वर्ण विग्रह है। इस दरबार के दर्शन वर्ष में सिर्फ चार दिन धनतेरस से अन्नकूट तक ही होते हैं।
उधर, श्री काशी विश्वनाथ धाम स्थित मां अन्नपूर्णा दरबार से पहली बार भक्तों को खजाना वितरित किया जा रहा है। वहां भी लाइन में लगे श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा है। रजत मंडित दीवारों के बीच विराजमान मां अन्नपूर्णा का दर्शन कर भक्त निहाल हो रहे हैं। 108 साल बाद कनाडा से काशी आई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा के दर्शन भी भक्तों को मिल रहा है। रविवार को दोनों मंदिरों में भक्तों का हुजूम उमड़ा था।
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