BNP NEWS DESK। Sikh Hindu Refugees अफगानिस्तान से 55 सिखों एवं हिंदू शरणार्थियों का अंतिम जत्था रविवार की शाम को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली पहुंच गया है । अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा होने के बाद से ही ये वहां से निकलने का प्रयास कर रहे थे। जानकारी के मुताबिक यह शरणार्थियों का अंतिम जत्था है। विदेश मंत्रालय ने इन सिखों का ई-वीजा मंजूर किया था। इसमें 38 वयस्क, 17 बच्चे और तीन शिशु शामिल हैं। वहीं भारत पहुंचने के बाद इन शरणार्थियों ने अपना दुख भी बयां किया है।
जेल में ठूंसा गया, काट दिए गए केश
Sikh Hindu Refugees भारत पहुंचे अफगान सिख बलजीत सिंह ने कहा, अफगानिस्तान की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। मुझे चार महीने के लिए जेल में डाल दिया गया था। तालिबान ने हमारे साथ धोखा किया। उन्होंने जेल में हमारे बाल भी कटवा दिए। मैं भारत सरकार का आभारी हूं और भारत आकर बहुत खुश हूं। एक दुसरे शरणार्थी सुखबीर सिंह खालसा ने कहा, हम भारत सरकार को धन्यवाद देना चाहते थे क्यों कि यहां आने के लिए हमें ई वीजा उपलब्ध करवाया गया। अब भी हमारे परिवार के कई लोग अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं। लगभग 30-35 लोग अफगानिस्तान से अब भी नहीं निकल पाए हैं।
आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य विक्रमजीत सिंह साहनी ने हम इस आखिरी जत्थे को वापस लाने के लिए विदेश मंत्रालय के साथ लगातार संपर्क में थे, जो वहां फंसे हुए थे।’उन्होंने कहा कि पश्चिम दिल्ली के अर्जुन नगर में स्थित गुरुद्वारे में एक शरणार्थियों का स्वागत करने के लिए एक कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।
इससे पहले अगस्त में 30 अफगान सिखों का जत्था भारत पहुंचा था। अफगानिस्तान में सिखों को तालिबान ने कई बार हिंसा का शिकार बनाया। रिपोर्ट्स के मुताबिक अफगानिस्तान में 2020 में लगभग 700 हिंदू थे। हालांकि तालिबान के कब्जे के बाद ज्यादातर सिख देश छोड़ चुके हैं। वहीं एसजीपीसी अफगान सिखों के हवाई किराए का भुगतान करके उनकी मदद करती है।
गौरतलब है कि अफगानिस्तान में सिख और हिंदू परिवारों पर लगातार हमले होने के चलते भारत सरकार ने इनके विस्थापन की योजना बनाई थी. वहां फंसे परिवारों को भारत लाने के लिए ई वीजा देकर विस्थापन की राह आसान कर दी. यहां पहले भी सिख और हिंदू यहां लाए जा चुके हैं. रविवार को अंतिम जथ्था अफगानिस्तान से भारत आया तो उनके परिजनों ने राहत की सांस ली है.
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अफगानिस्तान से 55 सिखों एवं हिंदू शरणार्थियों का अंतिम जत्था दिल्ली पहुंच गया है। तालिबान का कब्जा होने के बाद से निकलने का प्रयास कर रहे थे।
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