BNP NEWS DESK| BHU Course विश्वभर की प्राचीन रामायणों,रामकथा से सम्बधित वांड्मय में इस राम सेतु के निर्माण का वर्णन है। नल नामक वानर अभियंता ने सुग्रीव की वानर सेना की सहायता से मात्र पाँच दिन में जिस सुदृढ़ सेतु का निर्माण सम्भव कर दिखाया,उसमें जनजातियों ही नहीं; गिलहरी जैसे लघुकाय प्राणियों का भी आत्मिक सहयोग रहा।
महर्षि अरविंद घोष ने आज से सौ वर्ष पहले ही कह दिया था कि इस देश के इतिहास में वह दिन सबसे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण था,जब हमारे तथाकथित पढ़े-लिखे लोगों ने अपने प्रचीन ग्रंथों को सर्वथा कपोल कल्पित मान लिया था। ऐसा मानना है स्कूल ऑफ राम के संस्थापक एवं काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,वाराणसी के एम.ए. हिन्दू स्टडीज में अध्यनरत छात्र प्रिंस तिवारी का।
BHU Course प्रिंस तिवारी ने बताया कि रामसेतु जोकि विश्व का सबसे पुरातन वैदिक गणनानुसार 28 वें मन्वन्तर के 24 वें त्रैता युग में 1 करोड़ 81 लाख 58 हजार 60 ईशा वर्ष पूर्व तथा भारतीय मान्यता अनुसार लगभग 17.50 लाख वर्ष त्रैता युग के मध्य एवं वर्तमान वैज्ञानिकी ज्योतिषीय,खगोलीय एवं पुरातात्विक खोजों के आधार पर 7 से 10 हजार वर्ष पुराना है तथा 48 किमी लम्बा 4-5 किमी चौड़ा तथा दो समुद्र के बीच दीवार रूप में अज्ञात गहराई वाला है।
जो हमारी प्राचीन मानव सभ्यता का जीवंत उदाहरण है।
अतः हमारा नैतिक कर्तव्य है कि रामसेतू के बारे में हम अपनी आने वाली नई पीढ़ी को भी बताएं तथा उसका संरक्षण करें। ताकि रामसेतू युगों-युगों तक सुरक्षित रहकर वैज्ञानिकता के साथ कालजयी भारतीय संस्कृति को सम्पूर्ण विश्व में प्रतिष्ठित कर मानव सभ्यता एवं प्रकृति का परस्पर पोषण कर सके तथा सम्पूर्ण विश्व के वैज्ञानिकों,इतिहासकारों एवं पुरातत्ववादियों के लिए भी विकास के नए द्वारा खुलें।
हम अपने इस एक सप्ताह के सर्टिफिकेट कोर्स में रामसेतु के पुरातात्विक,आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक तथ्यों को आधार मानकर अध्ययन-अध्यापन करेंगे।
The Review
BHU Course
विश्वभर की प्राचीन रामायणों,रामकथा से सम्बधित वांड्मय में इस राम सेतु के निर्माण का वर्णन है। नल नामक वानर अभियंता ने सुग्रीव की वानर सेना की सहायता से मात्र पाँच दिन में जिस सुदृढ़ सेतु का निर्माण सम्भव कर दिखाया,
Discussion about this post