BNP NEWS DESK। Baikunth Chaturdashi भगवान श्रीहरि विष्णु के योग निद्रा से जागरण के तीन दिन उपरांत कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी पर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का स्थापना उत्सव मनाया जाएगा। बाबा की तुलसीदल व भगवान श्रीहरि को बिल्व पत्र अर्पित कर विशिष्ट पूजा-आराधना की जाएगी।
Baikunth Chaturdashi मान्यता है कि इसी तिथि में भगवान विष्णु जाग्रत होने के बाद बैकुंठ पहुंचते हैं। भगवान शिव उन्हें सृष्टि के संचालन का दायित्व सौंपते हैं। इसके बाद श्रीहरि सृष्टि की गतिविधियों में सक्रिय हो जाते हैं। इस पवित्र पर्व के अवसर पर मंदिर प्रशासन ने भगवान शिव श्रीकाशी विश्वनाथ के धाम में अवस्थित भगवान विष्णु के सभी चार प्रमुख विग्रहों की विशेष पूजा-आराधना कराने की योजना बनाई है।
मुख्य कार्य पालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र के अनुसार इस तिथि में पूजा-आराधना से व्यक्ति के जीवन में शांति-समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में मुख्य मंदिर परिसर के गर्भगृह एवं दंडपाणि विग्रह के मध्य श्रीबैकुंठजी का मंदिर है। इस बार गुरुवार 14 नवंबर को पड़ रहे बैकुंठ चतुर्दशी के पवित्र अवसर पर इस विग्रह पर सहस्त्रार्चन एवं राग-भोग आरती का आयोजन किया जाएगा। मुख्य मंदिर परिसर में बी गेट सरस्वती द्वार प्रवेश के दाईं तरफ श्रीसत्यनारायणजी भगवान का विग्रह स्थापित है।
यहां पर शुक्ल यजुर्वेद के पुरुष सूक्त का पाठ होगा, तत्पश्चात आरती की जाएगी। इसी तरह मुख्य मंदिर परिसर में ए गेट “गंगा द्वार” प्रवेश के दाईं ओर भगवान श्रीबद्रीनारायणजी अवस्थित हैं। यहां उनके विग्रह पर विष्णु सहस्त्रनाम पाठ के उपरांत राग-भोग आरती संपन्न की जाएगी।
भगवान विष्णु का चौथा विग्रह ललिता घाट पर भगवान विष्णुजी के पद्मनाभेश्वर मंदिर में स्थित है। यहां बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर पंचामृत से पूजन के उपरांत षोडशोपचार पूजन का आयोजन किया जाएगा।
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Baikunth Chaturdashi
भगवान श्रीहरि विष्णु के योग निद्रा से जागरण के तीन दिन उपरांत कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी पर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का स्थापना उत्सव मनाया जाएगा।
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