बीएनपी न्यूज डेस्क। जीएसटी काउंसिल की 17 सितंबर की बैठक में सिफारिश की गई थी की आइसक्रीम पार्लर पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाए। इसके बाद में कंपनियों की तरफ से इसे लागू करने की तारीख को लेकर सफाई मांगी गई थी। कारोबारियों ने सरकार और टैक्स विभाग से गुहार लगाई है कि कोरोना महामारी की वजह से पिछले कई महीनों तक कारोबार का बुरा हाल रहा है। अब इसने धीरे धीरे रफ्तार पकड़नी शुरू की है। तमाम लोग इस कारोबार से भी बाहर चले गए हैं। ऐसे में पुरानी तारीख से टैक्स का बोझ उठाना उनके लिए बेहद मुश्किल होगा।
जीएसटी देने के के मामले में आइसक्रीम पार्लर चलाने वालों को सरकार की तरफ से राहत मिलने के आसार हैं। हिंदुस्तान को सूत्रों के जरिए इस मामले में जीएसटी काउंसिल की इस महीने के आखिर में संभावित बैठक में फैसला लिया जा सकता है। मामले की समझ रखने वाले एक अधिकारी के मुताबिक दिसंबर के आखिर में संभावित जीएसटी काउंसिल की बैठक में 18 फीसदी जीएसटी के लागू करने के तौर तरीकों पर विचार किया जाएगा। उन्होंने ये भी बताया आम तौर पर उपभोग की जा चुकी वस्तुओं पर पुरानी तारीख से टैक्स लागू किया जाना संभव नहीं होता है। ऐसे में आने वाली बैठक में मंथन कर इस मुद्दे का समाधान किया जाना है। और पुराने नोटिफिकेशन पर वस्तु स्थिति स्पष्ट कर दी जाएगी। अब अगर सरकार उनसे पुरानी तारीख के हिसाब से टैक्स वसूलेगी तो उन्हें 2017 से ही अतिरिक्त 13 फीसदी टैक्स देना पड़ सकता है। हालांकि ये फैसला लागू होगा या नहीं इसका फैसला आगामी जीएसटी काउंसिल की बैठक में हो सकता है। वित्त मंत्रालय ने कहा था कि पहले से बनी आइसक्रीम बेचने वाले आइसक्रीम पार्लर, रेस्टोरेंट जैसे नहीं होते हैं। वे किसी भी स्तर पर खाना पकाने के किसी भी रूप में संलग्न नहीं होते हैं, जबकि रेस्तरां सर्विस प्रदान करने के दौरान खाना पकाने के काम में शामिल होते हैं। आइसक्रीम पार्लर पहले से ही बनी हुई आइसक्रीम बेचते हैं और एक रेस्तरां की तरह उपभोग के लिए आइसक्रीम नहीं पकाते या फिर तैयार नहीं करते हैं। इसलिए कि पार्लर या इसी तरह के किसी आउटलेट द्वारा बेची जाने वाली आइसक्रीम पर 18 फीसदी की दर से जीएसटी लगेगा।
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