बीएनपी न्यूज डेस्क। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में देवालय संकुल की छवि नजर आएगी। मुख्य परिसर में काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ के साथ ही नए पांच मंदिरों में स्थापित देव विग्रह पंचायतन स्वरूप को साकार करेंगे। गंगा तट से लेकर मंदिर तक कारिडोर के लिए खरीदे गए भवनों के बीच मिले मंदिर व देव विग्रह दिव्यता के रंग के चटख करेंगे।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर विस्तारीकरण-सुंदरीकरण परियोजना में भू व्यवस्था के लिए खरीदे गए लगभग 400 भवनों के ध्वस्तीकरण के दौरान उनके बीच लगभग 60 मंदिर मिले। कला शिल्प व बनावट के आधार पर पुरातात्विक आकलन में ये मंदिर 18वीं-19वीं शताब्दी के बीच के पाए गए हैं, लेकिन कई ऐसे भी विग्रह मिले जिनका जिक्र स्कंद पुराण के काशी खंड में भी मिलता है। इन देवालयों में से शिखर वाले 27 मंदिरों को उनका मूल स्वरूप बरकरार रखते हुए जीर्णोद्धार किया जा रहा है। इसकी जिम्मेदारी इस कार्य में सिद्धहस्त राजस्थान की कंपनी को दी गई है। इसमें धूतपापेश्वर महादेव, मानदंतेश्वर महादेव, त्रिसंधेश्वर महादेव, ज्ञानेश्वर महादेव, नीलकंठेश्वर, रुद्रेश्वर, अमृतेश्वर महादेव मंदिर, गणाध्यक्ष विनायक, इच्छा पूर्ति गणेश, त्रिमूर्तेश्वर, दुर्मुख विनायक, सुमुख विनायक, प्रमोद विनायक, हनुमान मंदिर, एकादश रुद्र आदि शामिल हैैं।
घरों-छोटे मंदिरों समेत क्षेत्र में मिले पौराणिक महत्व के विग्रहों को महत्ता अनुसार स्थापित करने के लिए श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की ओर से 14 फीट ऊंचाई के 27 मंदिर बनाए जा रहे हैैं। आकार- प्रकार में एक रंग मंदिरों की शृंखला चहारदीवारी के पास तैयार हो रही है। समस्त मंदिरों व विग्रहों के पास उनका इतिहास, प्राचीनता, विशिष्टता, वास्तुकला दर्ज की जाएगी। इसे सुनने के लिए आडियो सिस्टम लगाया जाएगा। उद्देश्य यह कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु, रिसर्च स्कालर पर्यटकों को इन मंदिरों के बारे में पूरी जानकारी पा सकें।
केदारनाथ के बाद काशी विश्वनाथ धाम में आदि शंकराचार्य के दर्शन
श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में गंगा गेट से प्रवेश करते ही आदि शंकराचार्य के दर्शन होंगे। महारानी अहिल्याबाई, भारत माता व कार्तिकेय भी दिखेंगे। श्रीकाशी विश्वनाथ धाम के लिए प्रतिमा के चयन में शास्त्रीय व ऐतिहासिक मान-विधान का ध्यान दिया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इन प्रतिमाओं का लोकार्पण करेंगे। गंगा गेट से प्रवेश करते ही पर्यटक सुविधा केंद्र व बहुउद्देश्यीय सभागार के बीच खाली स्थान में शंकराचार्य की प्रतिमा तो बनारस गैलरी के पास दाएं अहिल्याबाई और बाएं छोर पर भारत माता होंगी। कार्तिकेय की प्रतिमा को वैदिक केंद्र के पास जगह दी गई है। धातु की इन 7.5 फीट की प्रतिमाओं को दो फीट ऊंचे संगमरमर के प्लेटफार्म पर स्थापित किया गया है।
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