BNP NEWS DESK। dilapidated house श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पास 80 साल पुराने चार मंजिला दो जर्जर मकान गिर गए। मलबे की चपेट में आने से महिला की मौत हो गई। घटना से अफरा-तफरी मच गई। सूचना पर पहुंची एनडीआरएफ की टीम ने बचाव शुरू किया।
dilapidated house पांच घंटे तक चले बचाव कार्य के दौरान मलबे में दबे छह लोगों को बाहर निकालकर मंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। मंदिर के द्वार संख्या चार ए के पास ड्यूटी कर रही महिला कांस्टेबल भी मलबे की चपेट में आकर घायल हो गई। गंभीर हालत में उसे बीएचयू के ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है।
विश्वनाथ मंदिर के पास पांचों पंडवा गली (सिल्को गली) में चार मंजिला मकान संख्या सीके 28-7 में मनीष गुप्ता व रमेश गुप्ता का परिवार रहता था। इससे ठीक सटा हुआ अनूप कुमार का चार मंजिला मकान संख्या सीके 28-6 है। इसमें किराएदार गोरखनाथ यादव अपने पिता अशोक यादव के साथ रहता था। dilapidated house
रोज की तरह दिन का काम निबटाने के बाद दोनों मकानों में लोग सो रहे थे। रात लगभग तीन बजे मनीष के मकान की दीवारें चटकते हुए गिरने लगी। इसका मलबा अनूप के मकान पर गिरा तो उसकी दीवारें भी टूटने लगीं। मनीष के मकान में मौजूद लोग जब तक संभलते तब तक मकान भरभराकर गिर पड़ा। dilapidated house
लोगों ने पड़ोसी के छत पर कूदकर जान बचाई
दूसरे मकान में रह रहे लोगों ने पड़ोसी के छत पर कूदकर जान बचाई। मकान गिरने के तेज आवाज से आसपास से लोगों की नींद खुल गई। बचाव के लिए पहुंचे लेकिन ध्वस्त मकानों तक पहुंचने की उनकी हिम्मत नहीं हुई। मंदिर प्रशासन की ओर से सूचना पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारियों को दी गई। dilapidated house
dilapidated house एक घंटे के अंदर ही मौके पर एनडीआरएफ, एसडीआरएफ व फायर ब्रिगेड की टीम पहुंच गईं। करीब पांच घंटे तक चले बचाव कार्य के दौरान मलबे में दबे छह लोगों को बाहर निकालकर अस्पताल पहुंचाया गया। गया। महिला प्रेमलता की मौत हो गई थी जिसके शव को बाहर निकाला गया।
सबसे पहले बचाई गई सपना
मनीष के मकान में दबे लोगों को एनडीआरएफ ने तलाश शुरू की। सबसे पहले सपना को सुबह लगभग पांच बचे बाहर निकाला गया। आधे घंटे बाद रितिका को बचाया गया, एक घंटे की तलाश में ऋषभ व अर्चना मलबे में दबे नजर आए। एनडीआरएफ की टीम ने उन्हें बाहर निकालकर अस्पताल पहुंचाया। कुसुम को उनके बाद बचाया गया।
घटना के लगभग पांच घंटे बाद पूजा को मलबे से बाहर निकाला गया। विश्वनाथ मंदिर कारीडोर के द्वार संख्या चार-ए पर ड्यूटी कर रही महिला कांस्टेबल को रात साढ़े बजे पुलिसकर्मियों ने अस्पताल पहुंचाया।
मंदिर पर टिक गई मकान की छत
विष्णु गुप्ता के मकान में गंगेश्वर महादेव का मंदिर है। इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 20 फुट होगी। मनीष का मकान गिरा तो उसके दूसरे मंजिल की छत मंदिर के शिखर पर टिक गई। इसके चलते ऊपर के हिस्से पड़ोस के अमित केसरी के मकान से टिक गए। इसके चलते कंक्रीट की भारी-भरकम छत सीधे नीचे नहीं गिरी।
मकान में रहने वाले पूरी तरह से मलबे में नहीं दबे एक महिला के अलावा अन्य लोगों की जान बच गई। मंदिर का शिखर टूटकर गिर गया मंदिर की दीवारें भी क्षतिग्रस्त हुई है। मकान का मलबा विश्वनाथ मंदिर कारीडोर के द्वार संख्या पर लगे।
पिता ने बचा ली बेटे की जान
अनूप कुमार के मकान में किराए पर रहने वाले गोरख व उनके पिता अशोक मकान की चौथी मंजिल पर गहरी नींद में सोए थे। इसी दौरान दीवारों के चटकने की आवाज सुनकर अशोक की नींद खुल गई। उन्होंने देखा कि दीवारें चटक रही हैं और उनसे मिट्टी गिर रही है। उन्होंने अपने बेटे गोरख को जगाने की कोशिश की लेकिन वह गहरी नींद में था।
उन्होंने गोरख का पैर खींचकर चीखते हुए बाहर भागने के लिए कहा। इससे गोरख की नींद खुल गई और पिता-पुत्र बिना कुछ सोचे ही छत की तरफ भागे। वहां से पड़ोसी अमित केसरी की छत पर पहुंच गए। कुछ मिनट के अंदर ही उनके देखते ही देखते मकान मलबे में तब्दील हो गया। उसमें दबकर पूरा सामान नष्ट हो गया।
मकान की मरम्मत की अनुमति के लिए लगा रहे थे दफ्तरों को चक्कर
अनूप और मनीष के लगभग 80 साल पुराने मकान जर्जर हो गए थे। इसकी मरम्मत करने के लिए लगातार सरकारी दफ्तरों का चक्कर लगा रहे थे। अनूप का कहना है कि वह वीडीए जाते थे तो कहा जाता था मकान विश्वनाथ कारीडोर की परिधि में है इसलिए वहां जाइए, वहां जाने पर बताया जाता है कि नगर निगम से अनुमति मिलेगी।
नगर निगम फिर विश्वनाथ कारीडोर भेज देता था। पिछले एक साल से दफ्तरों का चक्कर लगाते-लगाते थक चुके थे लेकिन कहीं अनुमति मिली। अब दोनों मकान के मालिकों ने बिना अनुमति के ही मकान के मरम्मत की तैयारी कर ली थी। कुछ सामान आदि भी मंगा लिया था।
कारीडोर निर्माण से क्षतिग्रस्त हुए मकान
पांचों पंडवा गली में पहले 11 मकान थे। इनमें से दो मकान विश्वनाथ कारीडोर में चले गए। बचे हुए नौ मकान जर्जर हो चुके हैं। लोग इन मकानों में रहने से डरते हैं। मकान जर्जर होने का कारण की अनूप अपने दो भाइयों विरेंद्र व अजीत के साथ मकान को छोड़कर घुंघरानी गली में रहने चले गए थे। जो दो मकान गिरे उससे सटा मकान विष्णु गुप्ता का था।
उन्होंने लगातार दौड़-धूप करके अपने मकान को विश्वनाथ कारीडोर में शामिल कराया और मकान को छोड़कर चले गए। सभी का कहना है कि गली में ज्यादातर मकान पुराने हैं।
विश्वनाथ कारीडोर के पावर स्टेशन के निर्माण के दौरान भारी मशीनों के चलने से क्षतिग्रस्त हो गए थे। इसके विरोध में स्थानीय लोगों ने धरना-प्रदर्शन किया था। इसके बाद मंदिर प्रशासन की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया था उनके मकान को कारीडोर में शामिल कर लिया जाएगा और उसकी कीमत उन्हें दी जाएगी।
रविवार की रात गिरते मकान तो होता बड़ा हादसा
श्री काशी विश्वनाथ कारीडोर के निर्माण से पहले पांचों पंडवा गली से छत्ताद्वार होते विश्वनाथ गली में श्रद्धालु जाते थे। कारीडोर निर्माण के दौरान इस रास्ते को बंद कर दिया गया। द्वार संख्या चार से पास में द्वार संख्या चार-ए बनाया गया है। मंदिर में भीड़ होने पर इससे श्रद्धालुओं दर्शन के लिए भेजा जाता है।
सोमवार को बाबा के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए भेजा जा रहा था। रविवार रात से श्रद्धालुओं की लाइन लगी थी। उस वक्त मकान गिरते तो मलबे की चपेट में श्रद्धालु आ सकते थे और भगदड़ भी हो सकती थी।
मौके पर पहुंचे राहत कर्मी
मकान गिरने की सूचना मिलने पर बचाव के लिए सबसे पहले मौके पर एनडीआरएफ की टीम पहुंची। इसके साथ एसडीआरएफ व फायर ब्रिगेड की टीम भी पहुंच गई। डीआईजी एनडीआरएफ की दो टीमों ने बचाव शुरू किया। टीम के पास कंक्रीट कटर, आयरन कटर, वुडेन कटर, लोकेशन कैमरे, कई तरह की ड्रिल मशीनें रहीं।
सेंसर मशीन से मलबे में दबे लोगों की जानकारी हासिल कर रहे थे। बचाव दस्ते के साथ दो प्रशिक्षित कुत्ते भी थे। इनमें से एक मेल बाब और दूसरी फिमेल चेरी है। दोनों लेब्राडोर प्रजाति के हैं। पिछले छह सालों से एनडीआरएफ के साथ हैं। मलबे में दबे लोगों को ढूंढने की बड़ी जिम्मेदारी इन पर थी। दोनों ऐसे बचाव कार्य के लिए प्रशिक्षित हैं। तुर्किए और नेपाल में हुए हादसे में कई लोगों की जान बचाकर अपनी अहमियत साबित कर चुके हैं।
बचावकर्मी भारी-भरकम जैक के जरिए पत्थरों को हटा रहे थे। बचाव से पहले विशेषज्ञों ने बिजली के तार हटाए। मलबे में तीन गैस सिलेंडर भी दबे थे उनको भी हटाया गया।
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श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पास 80 साल पुराने चार मंजिला दो जर्जर मकान गिर गए। मलबे की चपेट में आने से महिला की मौत हो गई।
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