बीएनपी न्यूज डेस्क। कुबेर का बनाया धनेसरा तालाब जहां स्नान करने से मनुष्य को दरिद्रता से मुक्ति मिलती थी आज वह तालाब नाले, अतिक्रमण व कूड़ो-कचरों से तबाह हो कर स्वयं दीन – हीन हो चुका है । पिछले वर्ष ही विश्व वेटलैंड दिवस पर पीलीकोठी स्थित धन-धानेश्वर तालाब के संरक्षण की अपील करते हुए नमामि गंगे टीम ने तालाब के किनारे पड़ी प्रदूषित कर रही अनेक वस्तुओं को सफाई कर कूड़ेदान तक पहुंचाया था । तालाब की भीषण दुर्गंध व सड़ांध के बीच आसपास के लोगों से स्वच्छता बनाए रखने की अपील की गई थी । धन कुबेर द्वारा निर्मित पौराणिक तालाब के अस्तित्व को बचाने के लिए प्रशासन से गुहार लगाई थी । तालाब के जीर्णोद्धार और सुंदरीकरण हेतु आवश्यक सभी कदम उठाने की मांग की थी । परंतु आज तक इसका जीर्णोद्धार नहीं हो सका है। काशी प्रांत के संयोजक राजेश शुक्ला ने कहा कि द्वापर युग में यहां कुबेर ने तपस्या से शिव को प्रसन्न किया था। उन्होंने कुंड के जल में स्नान करने से दरिद्रता से मुक्ति का वरदान मांगा था। कुबेर की तप स्थली अब सीवर युक्त नाले, कूड़ा-करकट व अतिक्रमण की आग में तप रही है। प्रदूषण रूपी राक्षस ने दैवीय गुणों से युक्त कुंड का जल लगभग सोख लिया है। विश्व वेटलैंड दिवस पर हम काशी की जनता एवं प्रशासन से हमारे जलस्रोत, तालाब, पोखरों और कुंडों के संरक्षण की अपील करते हैं । आयोजन में प्रमुख रूप से काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला, महानगर सहसंयोजक शिवम अग्रहरी, महानगर सहसंयोजक रामप्रकाश जायसवाल, सीमा चौधरी, केवल कुशवाहा, पुष्पलता वर्मा, रितेश कुशवाहा , सत्यम जायसवाल, सुल्तान अहमद, मोहम्मद मुर्तजा आदि उपस्थित रहे थे ।
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