BNP NEWS DESK। Khichdi Baba धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी में खिचड़ी का भोग और भगवान के साथ ही भक्तों का रिश्ता पुराना ही नहींं बल्कि अनोखा भी है। काशी विश्वनाथ स्थित बाबा दरबार मार्ग यानी विश्वनाथ गली के मुख्य गेट के सामने मौजूद खिचड़ी बाबा के मंदिर पर वर्ष भर सुबह प्रसाद के तौर पर खिचड़ी खिलाई जाती है।
वहीं बाबा विश्वनाथ को भी मकर संक्रांति के दिन विशेष तौर पर खिचड़ी का भोग लगाया जाता है। बाबा लाट भैरव के विवाहोत्सव के ठीक दूसरे दिन खिचड़ी का प्रसाद उनके भक्तों में वितरित किया जाता है। उत्सव धर्मी काशी में मकर संक्रांति पर्व पर खिचड़ी उत्सव की अनोखी धूम गांव गली मोहल्लों से लेकर धर्मस्थलोंं तक होती है।
मान्यता है कि काशी में माता अन्नपूर्णा का निवास है और यहां पर कभी कोई भूखा नहीं सोता। गुरुओं की आस्था और प्रेरणा का आध्यात्मिक केंद्र होने के नाते काशी में गुरु कृपा भी भक्तों को प्रसाद के तौर पर मिलता रहा है। बाबा दरबार के पास खिचड़ी बाबा मंदिर में रोज सुबह खिचड़ी का प्रसाद कड़ाहे में बनता है तो भक्त कतारबद्ध होकर आस्था के प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते हैं।
खिचड़ी बाबा के मंदिर पर वर्ष भर सुबह प्रसाद के तौर पर खिचड़ी
Khichdi Baba मकर संक्रांति के मौके पर आस्थावानों की कतार इस मंदिर में दूर दूर तक लग जाती है। कड़ाह पर कड़ाह लगातार खिचड़ी का अनवरत लंगर चलता है और भक्तों की न टूटने वाली कतार भी लगातार प्रसाद ग्रहण कर आगे बढ़ते हुए हर हर महादेव का जयकारा लगाती रहती है। मंदिर में वर्षभर आस्थावान खिचड़ी भी दान देते हैं और इसी का प्रसाद नित्य भक्तों को प्रसाद के तौर पर वितरित किया जाता है। लंबे समय से मंदिर में यह अटूट परंपरा बनी हुई है और भक्त भी प्रसाद ग्रहण कर निहाल नजर आते हैं।
भक्तों के साथ ही भगवान भी मकर संक्रांति पर खिचड़ी का भोग ग्रहण करते हैं। इस मान्यता के साथ काशी विश्वनाथ स्थित बाबा दरबार से लेकर विभिन्न मंदिरों में भगवान को खिचड़ी का भोग लगाकर उसका प्रसाद भक्तों में वितिरित करने की काशी में अनोखी परंपरा सदियों से रही है।
इस परंपरा के निर्वहन के क्रम में सुबह से ही मंदिर प्रांगण और भोग प्रसाद के तौर पर अंधेरे ही कड़ाहे चढ़े और खिचड़ी की छौंक से मंदिर का प्रांगण भी गमक उठा। भगवान को भोग लगाने के बाद खिचड़ी के प्रसाद का वितरण शुरू हुआ तो हर हर महादेव से मंदिरों का प्रांगण भी गूंज उठा।
बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ को परंपरानुसार खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा
बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ को परंपरानुसार खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा। मकर संक्रांति पर मंगला आरती के बाद बाबा मगदल, तिलकुट, तिल के लड्डू और गुड़-मूंगफली की पट्टी का भोग लगाया जाएगा। मध्याह्न भोग आरती में देशी घी मिश्रित खिचड़ी का भोग लगाया जाएगा। विशेष थाल में इसे दही, पापड़, अचार, चटनी के साथ सजाया जाएगा। सायंकाल सप्तऋषि आरती के बाद बाबा चूड़ा-मटर खाएंगे। इस भोग प्रसाद को श्रद्धालुओं में वितरित किया जाएगा। मां अन्नपूर्णा दरबार में लगेगा खिचड़ी का भोग और बटेगा खिचड़ी प्रसाद।
खिचड़ी से भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए
Khichdi Baba भोले के त्रिशूल पर काशी दुनिया में निराली है। भगवान भोले के प्रिय इस नगरी में हजारों शिव मंदिर हैं, जिनका अपना ऐतिहासिक महत्व है। इसी काशी के महादेव का एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां खिचड़ी से भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए। भोले के इस अनोखे स्वरूप के दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु काशी आते हैं।
काशी के इस महादेव को भक्त हिमालय के केदारनाथ का प्रतिरूप मानते हैं। काशी में बसे महादेव के इस स्वरूप को गौरी केदारेश्वर महादेव के नाम से जाता है। काशी के केदारेश्वर महादेव 15 कला में विराजमान है। इनके दर्शन से बाबा विश्वनाथ के दर्शन का फल मिलता है। सोमवार के साथ ही हर दिन यहां सुबह के शाम तक भक्तों की भीड़ होती है।
The Review
Khichdi Baba
धर्म और आध्यात्म की नगरी काशी में खिचड़ी का भोग और भगवान के साथ ही भक्तों का रिश्ता पुराना ही नहींं बल्कि अनोखा भी है।
Discussion about this post