बीएनपी न्यूज डेस्क। घर की रखवाली करने वाला वफादार कुत्ता आठ महीने तक इंसानों से दूर रहा। उसने अपने मालिक का चेहरा तक नहीं देखा। दिन भर अहाते में इधर-उधर घूमकर अपनों को तलाशने के बाद शाम ढलते ही उसकी रोने की आवाज सुनाई देने लगती थी। भला हो मानवीय संवेदनाओं का, जो उसके जीने का सहारा बनीं। अंतत: उसे आजादी मिली तो उसके साथ आसपास के लोगों को भी सुकून मिला।
बलिया के बांसडीहरोड के रघुनाथपुर (बेला) गांव में अभिषेक पाल पुत्र रामनाथ पाल का घर है। उसके परिवार के सदस्य कहीं बाहर रहते हैं। वह घर पर अकेले रहता था। उसने जर्मन शेफर्ड प्रजाति का जेनी नाम का कुत्ता पाल रखा था। लगभग आठ महीने पहले अभिषेक घर छोड़कर कहीं चला गया। एक-दो दिन के बाद जेनी की जोर-जोर से भोंकने की आवाज सुनाई देने लगी। आस-पड़ोस के लोगों ने छत से देखा तो अहाते में जेनी इधर-उधर भागता नजर आया। पड़ोसियों ने उसे रोज छत से ही रोटी व पानी देने का इंतजाम किया। वे रोज ऐसा करने लगे। इस दौरान अकेलेपन के बोझ और देखरेख के अभाव में जेनी की हालत खराब होने लगी। अंधेरा होते ही उसकी रोने की आवाज सुनकर लोग व्यथित हो जाते। पिछले रविवार को यह बात पुलिस तक पहुंची। बांसडीहरोड इंस्पेक्टर वीरेंद्र मिश्रा अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। ग्राम प्रधान व ग्रामीणों की मौजूदगी में मकान का ताला तोड़कर कुत्ते को बाहर निकाला गया। पुलिस उसे अपने साथ थाने ले गई। वहां पुलिसकर्मी उसकी देखभाल में जुटे हैं। एक दिन में हीे जेनी सबका चहेता बन गया। उसका उपचार कराया जा रहा है।
बांसडीहरोड के रघुनाथपुर से पुलिस द्वारा रेस्क्यू कर बचाए गए कुत्ते के मालिक की कहानी भी काफी अजीब है। आसपास के लोगों के अनुसार उक्त मकान में अभिषेक पाल पुत्र रामनाथ अकेले कुत्ते के साथ रहता था, जबकि उसके घर के लोग किसी दूसरे प्रांत में रहते हैं। उनका यहां आना-जाना भी बेहद कम था। जबकि यहां रहने के दौरान अभिषेक भी आसपास के लोगों से कोई मतलब नहीं रखता था। आलम यह है कि उसके आसपास के लोग भी उसके बारे में कुछ बता पाने में अक्षम हैं। हालांकि पुलिस की जांच में यह बात निकलकर सामने आई है कि युवक अभिषेक का लगभग आठ माह पूर्व किसी को बिना बताए ही घर से चला गया। सब कुछ सामान्य ही था। सड़क किनारे घर होने की वजह से उसके साथ किसी का कोई विशेष संबंध भी नहीं है। फिलहाल पुलिस उसके बारे में पता कर रही है।
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