बीएनपी न्यूज डेस्क। वेदों और भारतीय शास्त्रों में हमारे देश के ऋषि मुनियों ने भारतीय देशी गायों की गुणों का बखान किया है और आज वैज्ञानिक युग में भारतीय देशी गायों पर शोध हो रहा है। गाय के स्पर्श मात्र से कई बीमारियों से मुक्ति हो जाती है। भारतीय समाज प्राचीन काल से ही गाय को अपनी माता मानता रहा है। इसकी वजह यही रही है कि एक गाय अपने पालने वालों का ध्यान एक माँ की तरह ही रखती है। बीमारी हो, अर्थोपार्जन हो या स्वास्थ्य की देखभाल हो, गाय सभी तरह से अपने बच्चों का ख्याल करती है। गाय को जब व्यापार का साधन बनाया गया तो देशी गाय की जगह, जर्सी गाय ने ले ली और भारत देशी गाय के औषधीययुक्त दूध से अलग होता चला गया और घर-घर अनेकानेक बीमारी पहुंच गई। देशी गौ पालन बीमारीमुक्त और तनावरहित वातावरण का निर्माण करता है।
उपर्युक्त विचार विशाल भारत संस्थान एवं मुस्लिम महिला फ़ाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में लमही के सुभाष भवन में आयोजित “भारतीय देशी गाय : एक वैश्विक आवश्यकता” विषयक राष्ट्रीय विमर्श में वक्ताओं ने व्यक्त की।
राष्ट्रीय विमर्श के मुख्यवक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य एवं राष्ट्रीय गोसेवा संयोजक अजीत महापात्र ने राष्ट्रदेवता परम पावन नेताजी सुभाषचन्द्र बोस के मन्दिर में मत्था टेका, माल्यार्पण किया एवं आरती की।
राष्ट्रीय विमर्श का शुभारम्भ तीन सन्तों महंत बालक दास, श्री रामलोचन दास और महंत ईश्वर शरण दास ने दीपोज्वलन कर किया।
इस अवसर पर मुख्यवक्ता श्री अजीत महापात्र ने डॉ० अशोक सिंह की पुस्तक एवं कुंवर मुहम्मद नसीम रजा खान द्वारा संपादित पुस्तक का विमोचन किया।
पातालपुरी मठ के पीठाधीश्वर महंत बालक दास जी महाराज ने कहा कि भारतीय समाज, राष्ट्र एवं संस्कृति की समृद्धि घर-घर गौ पालन से थी। स्वास्थ्य का धन, गाय के गोबर की पवित्रता और गौ मूत्र जैसी औषधि गऊ से मिलती थी। गाय को पूरे विश्व की माता घोषित कर संरक्षित प्राणी का दर्जा दिया जाना चाहिए।
विषय प्रवर्तन करते हुए विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि भारतीय देशी गाय संस्कार, संस्कृति और समृद्धि की प्रतीक है। कोरोना जैसी महामारी के समय लोगों में प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाने की ही चिंता थी। देशी गाय का दूध शरीर और बुद्धि के लिए अमृत है। पूरी दुनियां को दूध की मात्रा की चिंता न करके दूध की औषधीययुक्त गुणवत्ता पर चर्चा करनी चाहिए। अब विश्व को भारतीय शास्त्रों, वेदों के जरिये देशी गाय के गुणों को समझकर अपने अपने देशों में बड़ी गौशाला का निर्माण कराना चाहिए और गौ हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए।
मुख्यवक्ता अजीत महापात्र ने कहा कि भारत एक मार्गदर्शन देने वाला देश है और पूरी सृष्टि का संरक्षण करने वाली भारतीय गाय है। गाय के दूध में 168 प्रकार का विटामिन पाया जाता है। गाय पर आश्रित लोगों को कोरोना नहीं हुआ। भारतीय गाय की महत्ता को देखते हुए विदेशों से भी लोग आकर गाय का स्पर्श कर तनाव मुक्त होते हैं। जीवन का संरक्षण करने के बाद भी गाय को संविधान में पूर्ण दर्जा नहीं दिया गया है।
भारतीय देशी गाय के घी से मिलने वाले फायदे –
1. भारतीय देशी गाय का घी नाक में दो–दो बूंद डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
2. भारतीय देशी गाय का घी नाक में डालने से कई प्रकार के दिमाग़ी बीमारियों यहाँ तक कि पागलपन में भी लाभ होता है।
3. भारतीय देशी गाय का घी के दो–दो बूंद नाक में तुरन्त डालने से गिरकर लकवा हुए व्यक्ति का भी उपचार हो जाता है।
4. भारतीय देशी गाय का घी मात्र 25 ग्राम व मिश्री खिलाने से शराब, भांग व गांजे का नशा कम हो जाता है।
5. नाक में घी डालने से नाक की खुश्की दूर होती है और दिमाग तरोताजा हो जाता है।
6. भारतीय देशी गाय का घी नाक में डालने से बाल झड़ना दूर होकर नए बाल भी आने लगते है।
7. भारतीय देशी गाय के घी को नाक में डालने से मानसिक शांति मिलती है, याददाश्त तेज होती है।
8. हाथ और पैरों में जलन होने पर गाय के घी को तलवों में मालिश करने से जलन ठीक हो जाती है।
9. भारतीय देशी गाय के पुराने घी से बच्चों को छाती और पीठ पर मालिश करने से कफ की शिकायत दूर हो जाती है।
10. दो बूंद देशी गाय का घी नाक में सुबह शाम डालने से माइग्रेन दर्द ठीक होता है।
11. अधिक कमजोरी लगने पर एक गिलास दूध में एक चम्मच गाय का घी और मिश्री डालकर पीयें, गाय के घी से शारीरिक व मानसिक ताकत में भी इजाफा होता है।
12. गाय के घी से छाती पर मालिश करने से बच्चों के बलगम को बाहर निकालने में मदद मिलती है। बच्चों को बलगम की शिकायत होने पर भारतीय देशी गाय घी में सेंधा नमक डालकर उसे थोड़ा सा गर्म कर लें और बच्चे के छाती पर मालिश करें।
13. शरीर में गर्मी लग कर सिर दर्द होने लगे तो, तो भारतीय देशी गाय के घी की पैरों के तलवे पर मालिश करें, सिर दर्द ठीक हो जायेगा।
14. भारतीय देशी गाय के घी की कुछ बूंदें दिन में 2 बार, नाक में डालेंगे तो यह त्रिदोष (वात पित्त और कफ) को संतुलित कर देता है।
15. फफोलो पर भारतीय देशी गाय का घी लगाने से आराम मिलता है।
16. हिचकी के न रुकने पर भारतीय देशी गाय का आधा चम्मच घी खाए, हिचकी स्वयं रुक जाएगी।
कार्यक्रम का संचालन अर्चना भारतवंशी ने किया एवं धन्यवाद डा० मृदुला जायसवाल ने दिया।
इस विचार विमर्श में विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर बिन्दा परांजपे, प्रोफेसर मनोज मिश्रा, महंत ईश्वर दास जी महाराज, रामलोचन दास जी महाराज, दिलीप सिंह, गुलाब चन्द्र श्रीवास्तव, आत्म प्रकाश सिंह, पूनम सिंह, मयंक श्रीवास्तव, अनूप कुमार गुप्ता, मो० अजहरूद्दीन, नजमा परवीन, नाजनीन अंसारी, डा० मुकेश श्रीवास्तव, सूरज चौधरी, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, खुशी रमन भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी आदि लोगों ने भाग लिया।
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