बीएनपी न्यूज डेस्क। अस्सी के दशक से राजनीति में सक्रिय स्वामी प्रसाद मौर्य का दल बदल करना आम बात है। लगभग 20 साल बसपा में रहने के बाद 2017 विधानसभा चुनाव से पहले ये बीजेपी में शामिल हुए। बीजेपी में शामिल मौर्या ने अखिलेश पर निशाना साधते हुए कहा था कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष गुंडों और अपराधियों के बल पर शासन करते हैं। अब स्वामी प्रसाद ने अखिलेश का ही दामन थाम लिया है। इस समय यूपी की राजनीति में सपा को मुख्य विपक्षी दल कहा जा रहा है। बता दें कि काफी दिनों से स्वामी प्रसाद मौर्य पार्टी से नाराज चल रहे थे। वो अपने लिए, अपने बेटे के लिए और अपने कई समर्थकों के लिए टिकट मांग रहे थे। खबर है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ कई और विधायक भी बीजेपी का साथ छोड़ सकते हैं। पिछले महीने यानी 11 दिसंबर से लेकर आज 11 जनवरी के बीच भारतीय जनता पार्टी के 17 बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़कर समाजवादी पार्टी की सदस्यता ले ली है। इनमें योगी के एक कैबिनेट मंत्री समेत आठ विधायक भी शामिल हैं।
स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद भाजपा के तीन और विधायकों की खबर है। इनमें भगवती सागर, बृजेश प्रजापति और रोशन लाल वर्मा शामिल हैं। रोशन लाल वर्मा ही स्वामी प्रसाद मौर्य का इस्तीफा लेकर राजभवन गए थे। ममतेश शाक्य, विनय शाक्य, धर्मेंद्र शाक्य और नीरज मौर्य के भी पार्टी छोड़ने को लेकर चर्चा है। हालांकि, अभी इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।
1980 से सक्रिय हैं स्वामी प्रसाद मौर्य
वर्ष 2017 में विधानसभा चुनाव से पहले स्वामी प्रसाद मौर्य बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का साथ छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए थे और अब 2022 विधानसभा चुनाव से पहले वह भाजपा छोड़ सपा का हाथ थाम लिया हैं। यूपी के प्रतापगढ़ जिले में जन्मे मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से लॉ में स्नातक और एमए की डिग्री की हासिल की है। 1980 में उन्होंने राजनीति में सक्रिय रूप से कदम रखा। वह इलाहाबाद युवा लोकदल की प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य बने और जून 1981 से सन 1989 तक महामंत्री पद पर रहे। इसके बाद 1989 से सन 1991 तक यूपी लोकदल के मुख्य सचिव रहे। मौर्य 1991 से 1995 तक उत्तर प्रदेश जनता दल के महासचिव पद पर रहे।
1996 को स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा की सदस्यता ली और प्रदेश महासचिव बने। इसके बाद उन्होंने बसपा के टिकट पर डलमऊ, रायबरेली से विधानसभा सदस्य बने और चार बार विधायक बने। मंत्री ने 2009 में पडरौना विधानसभा उपचुनाव जीता और केंद्रीय मंत्री आरपीएन सिंह की मां को हराया। मई 2002 से अगस्त 2003 तक उन्हें मंत्री का दर्जा मिला और अगस्त 2003 से सितंबर 2003 तक नेता प्रतिपक्ष भी रहे। स्वामी प्रसाद मौर्य वर्ष 2007 से 2009 तक मंत्री रहे। जनवरी 2008 में उन्हें बसपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। इसके बाद 2016 में उन्होंने बसपा से बगावत करके भाजपा का हाथ थाम लिया था।
पहले इन विधायकों ने छोड़ी थी पार्टी
1. बदायूं जिले के बिल्सी से भाजपा विधायक राधा कृष्ण शर्मा ने हाल ही में समाजवादी पार्टी जॉइन की है। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मुलाकात करने के बाद उन्होंने ट्विट कर अपनी फोटो भी शेयर की।
2. सीतापुर से बीजेपी विधायक राकेश राठौर भी अब सपा में शामिल हो चुके हैं। पेशे से व्यापारी राकेश राठौर ने अपना पहला चुनाव साल 2007 में बीएसपी के टिकट पर लड़ा था लेकिन चुनाव हार गए थे। 2017 में वह भाजपा से विधायक चुने गए थे।
3. बहराइच के नानपारा से विधायक माधुरी वर्मा ने भी भाजपा छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है। अखिलेश यादव ने खुद उन्हें पार्टी की सदस्यता दिलाई थी। बताया जाता है कि माधुरी वर्मा का भी भाजपा से टिकट कटने वाला था।
4. संतकबीरनगर से भाजपा विधायक जय चौबे भी सपा में शामिल हो चुके हैं।
भाजपा के ये नेता भी अब सपाई हुए
यूपी की बलिया की चिलकलहर विधानसभा से भाजपा के पूर्व विधायक राम इकबाल सिंह समाजवादी पार्टी (सपा) का दामन थाम चुके हैं।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता जय प्रकाश पांडे अपने समर्थकों के साथ सपा में शामिल हो चुके हैं।
भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के प्रदेश महामंत्री अशोक कुमार वर्मा “गोपार” को भी अखिलेश यादव ने सपा की सदस्यता दिलाई थी।
भाजपा के टिकट पर प्रयागराज से चुनाव लड़ चुके शशांक त्रिपाठी भी सपाई हो गए हैं।
भाजपा के पूर्व एमएलसी कांति सिंह, प्रतापगढ़ से भाजपा के पूर्व विधायक ब्रजेश मिश्रा भी सपा में शामिल हो चुके हैं।
रमाकान्त यादव, पूर्व सांसद, बीजेपी, आजमगढ़
पूर्व मंत्री राकेश त्यागी, बुलंदशहर
जिला पंचायत सदस्य, आगरा हेमंत निषाद
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