BNP NEWS DESK | Ramayan Confrence श्रीलंका में रामायण से जुड़े कई स्थल मौजूद हैं, लेकिन इनके पुरातात्विक साक्ष्य नहीं हैं। श्रीराम का होना यदि सत्य है, तो रावण का होना भी उतना ही सच है। हम अपने देश में श्रीराम, रामायण से जुड़ी जगहों के बारे में खोज करवा रहे हैं। इन जगहों को पर्यटन के दृष्टिकोण से विकसित किया जाएगा। यह कहना है श्रीलंका के संस्कृति मंत्री विदुरा विक्रमनायके का। वे जबलपुर में तृतीय वर्ल्ड Ramayan Confrence में शामिल होने आए हैं।
रावण के पुष्पक विमान
एक सवाल के जवाब में कहा कि रावण के पुष्पक विमान उतरने के लिए ग्रंथों में वर्णित आठ स्थानों में से कुछ अब भी मौजूद हैं, लेकिन इनके बारे में तरह-तरह की जनश्रुतियां हैं। इनके भी रामायण से जुड़े होने के कोई साक्ष्य नहीं है। कई स्थल पानी में डूबे हैं, इस तरफ भी विशेष कार्य किया जाएगा।
धार्मिक पर्यटन बढ़ाने के लिए करेंगे समझौते
विक्रमनायके ने कहा कि श्रीलंका और भारत की संस्कृति में बहुत सारी समानताएं हैं। दोनों देशों में अहिंसा को प्रमुखता दी गई है। रामायण भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, रावण इसका महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसलिए, दोनों देशों के बीच धार्मिक पर्यटन बढ़ाने के लिए द्विपक्षीय समझौते किए जाएंगे।
रामायण के प्रचार-प्रसार का संकल्प
उन्होंने कहा कि श्रीलंका की संस्कृति प्राचीन संस्कृतियों में शुमार है। यहां का तीन हजार साल का लिखित इतिहास है। यह अकेला ऐसा देश है, जिसने तीन हजार वर्ष पहले हाइड्रोलिक तकनीक के इस्तेमाल से टैंक बनाया था। दो प्राचीन संस्कृतियों को जोड़ने के लिए वे प्रयासरत हैं। जल्द ही इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे। जबलपुर की तारीफ करते हुए उन्होंने कहा कि यहां ठंड है, लेकिन यहां के लोगों में गर्मजोशी है। वे यहां से रामायण की सुंदर छवि लेकर जाएंगे। इस महान ग्रंथ का दर्शन उनके देश से जुड़ा है, इसलिए वे यहां से श्रीलंका में इसका प्रचार प्रसार करने का संकल्प लेकर जाएंगे।
श्रीलंका में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था नहीं
श्रीलंका की बदहाल अर्थव्यवस्था पर उन्होंने कहा कि यह एक दिन में नहीं हुआ। देश मे कोई राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था नहीं है। सर्वाधिक विदेशी मुद्रा के स्रोत विदेशों में काम करने वाले व पर्यटक हैं, लेकिन उन्हें कोई सुविधा नहीं है। सरकार ने बिना सोचे समझे कार्य किया गया, इसलिए यह स्थिति आई
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Ramayan Confrence
श्रीलंका में रामायण से जुड़े कई स्थल मौजूद हैं, लेकिन इनके पुरातात्विक साक्ष्य नहीं हैं। श्रीराम का होना यदि सत्य है, तो रावण का होना भी उतना ही सच है।
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