बीएनपी न्यूज डेस्क। अहमदाबाद सीरियल ब्लास्ट मामले में आजमगढ़ केछह गुनहगारों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी। भनक लगते ही गुनहगारों के स्वजन परेशान हो उठे तो उनके गांव में सन्नाटा छा गया। मुस्लिम बस्तियों में लोगों ने खामोशी की चादर ओढ़ ली तो अन्य स्थानों पर लोगों के एक ही बोल फूटे कि करतूत किसी की और कलंकित पूरा इलाका हुआ है। हालांकि, खुलकर कोई कुछ भी बोलने को तैयार नहीं था। वर्ष 2008 में हुए अहमदाबाद ब्लास्ट की यादें लोगों के जेहन में 13 साल बीत जाने के कारण धुंधली पड़ने लगी थीं, लेकिन बीते आठ फरवरी को कोर्ट का फैसला आने से फिर से जख्म हरा हो गया था। आजमगढ़ के नौ आरोपितों में कोर्ट ने तीन को दोषमुक्त करते हुए, छह आरोपितों को सजा सुनाने की तिथि मुकर्रर कर दी थी। शुक्रवार को कोर्ट ने सरायमीर क्षेत्र के बीनापारा निवासी मुफ्ती अबु बशर, संजरपुर के मोहम्मद सैफ, आरिफ, इसरौली के आरिफ बदर, शहर कोतवाली के बदरका मुहल्ला के सैफुर्रहमान, बाजबहादुर मोहल्ला के मोहम्मद जीशान को फांसी की सजा सुना दी। सजा की भनक लगते ही आतंकियों के स्वजन खुद को घरों में कैद कर लिए तो वहीं गांव में सन्नाटा पसर गया। अबु बशर, सैफ के घर तो ताला बंद पड़ा मिला। संजरपुर, इसरौली, बीनापारा में कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं था। शहर में बसे बदरका और गुलामी का पुरा के लोग खुलकर तो नहीं बोले, लेकिन दबी जुबां जरूर कहा कि करतूत किसी की और कलंकित पूरा मोहल्ला और गांव हो रहा है। बाटला कांड के बाद बनी संजरपुर कमेटी मसीउद्दीन संजरी एवं रिहाई मंच के जनरल सेक्रेटरी राजीव यादव ने कहाकि मुझे कोर्ट पर भरोसा है। इस फैसले के खिलाफ ऊपर की अदालत का दरवाजा खटखटाने की बात कही है।
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