बीएनपी न्यूज डेस्क। वरूणा नदी, गंगा नदी की सहायक नदी है। वरूणा नदी वाराणसी शहर के मध्य से होकर बहती है। वर्षा काल में इस नदी एवं इसमें मिलने वाले प्राकृतिक नालों के माध्यम से जल निकासी होती है, परन्तु वर्षा काल के बाद नदी में पानी की आवक बहुत कम रह जाती है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने वरूणा नदी के आन्तरिक सेक्शन सुधार एवं इसके दोनों किनारो पर सुदृढीकरण तथा सौंदर्यीकरण की परियोजना तैयार की थी, जिसके
अन्तर्गत वरूणा नदी के चैनेलाईजेशन, दोनो किनारों को जियो-टेक्सटाइल एवं सॉयल स्टेबिलाइजेशन करते हुए सुदृढीकरण एवं ग्रास टर्फिग का कार्य करते हुए फुटपाथ बनाने, रेलिंग लगाने एवं लाइटिंग का कार्य सम्मिलित किया गया है। इसके अतिरिक्त पक्के घाट बनाने का कार्य तथा दोनों किनारों के गन्दें नालों को एचडीपीई लाइन्ड पाईप द्वारा वरूणा रेगुलेटर के अपस्ट्रीम में पम्पिंग स्टेशन तक पहुंचाने का कार्य भी सम्मिलित रहा। वरूणा नदी में केवल वर्षा काल में ही पानी उपलब्ध रहता है। माह मार्च, अप्रैल व जून में नदी का डिस्चार्ज लगभग शून्य रहता है। वाराणसी शहर में वरूणा नदी में स्वच्छ जल उपलब्ध कराए जाने हेतु, ज्ञानपुर पम्प कैनाल से ज्ञानपुर मुख्य नहर पर निर्मित
कनेहरी स्केप के माध्यम से मोरवा ड्रेन के द्वारा वरूणा नदी में पानी डाले जाने का कार्य भी सम्मिलित है। उक्त कार्य के लिये वर्ष 2016-17 में रू0 201.65 करोड़ की परियोजना स्वीकृत हुई थी। परियोजना के कार्यो को कराने के लिये सिंचाई विभाग द्वारा यूपीपीसीएल के साथ एमओयू किया गया था। परियोजना के प्रारम्भ होने की तिथि 01 जुलाई रही, जबकि कार्य 31 जुलाई, 2021 को पूर्ण कराया गया। कार्यदायी संस्था यूपीपीसीएल यूनिट-3 द्धारा परियोजना के अन्तर्गत प्राविधानित सभी कार्य पूर्ण कर लिये गये है।परियोजना के अन्तर्गत अतिरिक्त आईटम के रूप में स्वीकृत सीवेज पाइप लाइन को सीवेज पम्पिंग स्टेशन से जोड़ने का कार्य भी हो चुका है। गत वित्तीय वर्ष 2021-22 तक रू0 20218.47 लाख व्यय किया जा चुका है। परियोजना का लाभ मिलना प्रारम्भ हो चुका है, जिससे परियोजना के उद्देश्यों की पूर्ति हो रही है। उक्त परियोजना का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 25 अक्टूबर, 2021 को किया जा चुका है। वरुणा नदी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया गया हैं। नदी तट पर सेल्फी प्वाइंट, संपर्क मार्ग, पक्का तट की विशेष व्यवस्था कराया गया है।
कैसे पड़ा वरुणा नदी का नाम
वरुणा पौराणिक महत्व की नदी हैं। गंगा पुराण व जनश्रुतियों के अनुसार सदियों पहले इस क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ा था। नर-नारी, पशु-पक्षी पानी के लिए त्राहि-त्राहि कर रहे थे। तब संतों ने भगवान वरुण का आह्वान किया था। वरुण देव ने यहां यज्ञ किया और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाकर तीर भूमि में मारा था। जहां तीर गिरा वहीं से जल का एक बड़ा स्रोत फूटा जिसने एक नदी का रूप ले लिया। इसी कारण इस नदी का नाम वरुणा और वरुण देव द्वारा शिवलिंग स्थापना स्थल को वरुणेश्वर महादेव का नाम दिया गया।
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