BNP NEWS DESK। Karva Chauth कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि शास्त्रों में करक चतुर्थी के नाम से उल्लेखित है। लोक व्यवहार में इसे करवा चौथ के नाम से जाना जाता है। इसमें सनातन धर्मावलंबी स्त्रियां स्थिर सौभाग्य व सुखद दांपत्य जीवन के लिए पति के आरोग्यता पूर्ण दीर्घायुष्य की कामना करते हुए निराजल व्रत रखती हैं।
Karva Chauth इस बार यह व्रत पर्व एक नवंबर को मनाया जाएगा। चतुर्थी तिथि 31 अक्टूबर की रात 11.02 बजे लग रही जो एक नवंबर की रात 10.59 बजे तक रहेगी। इसमें चंद्रोदय रात आठ बजे होगा। चंद्रोदय के समय मृगशिरा नक्षत्र व शिव योग का संयोग मनोकामनापूर्ति के लिए विशेष माना जा रहा है।
तिथि विशेष में पूरे दिन उपवास रख कर रात्रि में सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी गौरी की ‘शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं सन्ततिं शुभाम्। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।।’ मंत्र से आराधना के साथ शिव परिवार की पूजा करनी चाहिए। उदय के साथ ही जीवन में अमृतत्व प्रदान करने वाले भगवान चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारन करना चाहिए। इससे जीवन में सौभाग्य एवं संततिपूर्ण सर्वविध अनुकूलता बनी रहती है।
सिर्फ स्त्रियों को व्रत का अधिकार
शास्त्र के अनुसार इस व्रत को करने का अधिकार केवल स्त्री मात्र को ही है। व्रतराज ग्रंथ में स्पष्टतया वर्णित है कि ‘अत्र स्त्रीणामेवाधिकार:’ अर्थात् किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की स्त्री हो सभी को इस व्रत को करने का अधिकार है। यह व्रत क्षेत्रीय परंपरा अनुसार विभिन्न रीति से भी मनाई जाती है। अतः अपने कुल, क्षेत्र, परंपरा अनुसार ही इसे मनाना चाहिए।
महाभारत काल से चला आ रहा व्रत विधान
अर्जुन इंद्रकील पर्वत पर अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए तपस्या करने गए। उनकी आयु व उनके समक्ष उपस्थित होने वाले संकटों को सोच कर द्रौपदी चिंता करने लगीं। निवारण के लिए भगवान श्रीकृष्ण से उपाय पूछा। श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को करक चतुर्थी अर्थात् करवा चौथ व्रत का आदेश करते हुए विरावती की कथा सुनाई जिसने इस व्रत के प्रभाव से अपने मृत पति को जीवनदान दिलाया था। द्रौपदी ने इस व्रत को किया और अर्जुन तपस्या पूर्ण कर सर्वसमर्थवान होकर वापस लौटे तभी से लोक परंपरा में इस व्रत का आरंभ हुआ।
शिव योग व मृगशिरा नक्षत्र विशेष कल्याणकारी
व्रत पर्व विशेष पर शाम 5.17 बजे शिव योग लग रहा जो अगले दिन 4.26 बजे तक रहेगा। अत: चंद्रोदय के समय शिवयोग मिल रहा जो विशेष कल्याणकारी माना जाता है। मृगशिरा नक्षत्र में किया जाने वाला कार्य फलीभूत होता है। यह विवाह आदि के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। अत: यह मनोवांछित वर कामना से व्रत रखने वाली कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष है।
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Karva Chauth
Karva Chauth कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि शास्त्रों में करक चतुर्थी के नाम से उल्लेखित है। लोक व्यवहार में इसे करवा चौथ के नाम से जाना जाता है।
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