BNP NEWS DESK । Sri Hari Mandir Patna Sahib स्वयं को देश का प्रधान सेवक कहने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 13 मई को गुरु दरबार में एक आम सेवक के रूप में सेवा दे रहे थे। तख्त श्रीहरिमंदिर पटना साहिब। कानों में भक्ति रस घोलता वाहे गुरु, वाहे गुरु…का संगीत तो गुरु की रसोई में रोटी बेल रहे मोदी। अविस्मरणीय पल। सभी की निगाहें उन पर टिकी हुईं। संस्कृति, परंपरा और आस्था का समर्पण भाव।
आमजन की तरह कतार में खड़े होकर स्वयं रसीद कटाते प्रधानमंत्री
Sri Hari Mandir Patna Sahib सुरक्षा के लाख प्रोटोकाल हों, पर यहां आम और विशेष की दूरियां मिट चुकी थीं। सो, कहीं लंगर में सेवा देते तो कहीं आमजन की तरह कतार में खड़े होकर स्वयं रसीद कटाते प्रधानमंत्री। महत्वपूर्ण यह भी है कि बिहार के तख्त श्रीहरिमंदिर पटना साहिब में पहली बार देश के किसी प्रधानमंत्री ने मत्था टेका, वहां सेवा दी।
13 मई को वह यहां आने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए
वह 2017 में भी प्रकाश पर्व के अवसर पर पटना आए थे, पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ और सुरक्षा कारणों से वहां जाने का कार्यक्रम नहीं बन सका था। पर 13 मई को वह यहां आने वाले पहले प्रधानमंत्री बन गए। सुबह के 9.33 बजे वह गुरु दरबार में पहुंचे। बच्चों व संगतों ने जयकारे लगाए। Sri Hari Mandir Patna Sahib
मेरी पगड़ी भी तेरी तरह
मोदी ने बच्चों से हाथ मिलाया। उनके साथ मस्ती भी की। कहा-देखो तुम्हारे ही रंग की पगड़ी मैंने भी बांधी है। बच्चे खिलखिला रहे थे। झक सफेद कुर्ता-पायजामा, काली बंडी और माथे पर केसरिया पगड़ी। मोदी इसी पोशाक में थे। वह प्रसाद घर पहुंचे। पांच सौ रुपये की रसीद कटा कड़ाह प्रसाद लिया। Sri Hari Mandir Patna Sahib
यूपीआइ से एक हजार रुपये दान में दिए। फिर दरबार साहिब में रुमाला व कड़ाह प्रसाद चढ़ाकर मत्था टेक गुरुघर का आशीष लिया। जत्थेदार ज्ञानी बलदेव सिंह व अतिरिक्त मुख्य ग्रंथी भाई दिलीप सिंह ने यहां उनका स्वागत किया। प्रधानमंत्री के दरबार साहिब में आने के समय रागी जत्था भाई कविंदर सिंह के कीर्तन से संगत निहाल हो रही थी, तुम हो सब राजन के राजा…।
यहां कुछ देर कीर्तन में शामिल होने के बाद मोदी ने दरबार साहिब की परिक्रमा की। बाहर निकले तो देश की उन्नति की कामना के साथ चल रहे अखंड पाठ में शामिल हो गए। फिर चंवर साहिब की सेवा की।
सेवा ही धर्म
गुरु के दरबार में सेवा का ही पाठ पढ़ा जाता है। मोदी यहां पूर्ण समर्पण भाव से सेवादार की भूमिका में थे। वह लंगर हाल पहुंचे। यहां दाल व खीर बनाने में सहयोग किया। इसके बाद बाल्टी में खीर लेकर पंगत की ओर निकल पड़े। संगतों को खीर परोसी। इतने भर से जैसे उन्हें पूर्ण संतुष्टि नहीं मिली हो। जहां महिलाएं परसादा (प्रसाद) बना रही थीं, वहां पहुंचे। सब कुछ स्वाभाविक। हर कोई अपने काम में जुटा था।
प्रधानमंत्री ने स्वयं को भी उसमें शामिल कर एक श्रद्धालु की संख्या भर बढ़ा दी। वहां आटे के तीन पेड़े बनाकर रोटियां बेली। फिर तवे पर चढ़ाकर परसादा बनाया। चल पड़े लंगर में परोसने। जो बोले सो निहाल…सत श्री अकाल…।
गुरु का दरबार जयकारे से गूंज रहा था। लंगर सेवा के बाद उन्होंने कड़ाह प्रसाद ग्रहण किया। जन्म स्थान के निशान साहिब में मत्था टेक परिक्रमा की। लौटने के क्रम में पीएम ने संगतों का अभिवादन स्वीकार किया।
पीएम बोले, गुरु महाराज के जन्मस्थली में पहली बार टेका मत्था प्रबंधक समिति के अध्यक्ष से बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि दशमेश गुरु महाराज की जन्मस्थली पर मत्था टेक आशीष लेने से आत्मसंतुष्टि मिली है। मैंने पहली बार दसवें गुरु की जन्मस्थली में मत्था टेक आशीष लिया है।
प्रबंधक समिति के अध्यक्ष व महासचिव ने श्री गुरु गोविंद सिंह के 2025 में आयोजित होने वाले गुरु महाराज के प्रकाशपर्व में शामिल होने का न्योता भी दिया।
तख्त साहिब पहुंचने व प्रस्थान के समय अशोक राजपथ से लेकर कंगन घाट तक बैरेकेडिग के पीछे खड़े लोग प्रधानमंत्री का हाथ हिलाकर अभिवादन कर रहे थे। चारों ओर हर हर मोदी घर घर मोदी, जय श्रीराम, जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल के नारे लग रहे थे।
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स्वयं को देश का प्रधान सेवक कहने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 13 मई को गुरु दरबार में एक आम सेवक के रूप में सेवा दे रहे थे।
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