BNP NWS DESK़। oath ceremony रविवार को होने वाले नरेन्द्र मोदी के पीएम के तीसरे कार्यकाल के शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए विदेशी मेहमानों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है। शनिवार को बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना और सेशेल्स के उपराष्ट्रपति मोहम्मद अफीफ नई दिल्ली पहुंच गए जबकि मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जु, नेपाल के पीएम पुष्प कमल दहल, श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, मारीशस के पीएम प्रविंद जगन्नाथ, भूटान के पीएम शेरिंग तोग्बे रविवार को पहुचेंगे।
oath ceremony भारत सरकार की तरफ से पड़ोसी और हिंद महासागर में स्थित तीन करीबी देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है। अभी तक जो जानकारी है उसके मुताबिक उक्त सभी सातों देशों के प्रमुखों के साथ पीएम मोदी शपथ ग्रहण समारोह के बाद अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।
रविवार को शाम 7.15 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे
बांग्लादेश की पीएम हसीना के साथ पीएम मोदी की मुलाकात रविवार देर रात को होने का समय तय किया गया है। मोदी नौ जून यानी रविवार को शाम 7.15 बजे प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। शेख हसीना एकमात्र विदेशी मेहमान हैं जिन्हें पीएम मोदी के तीनों शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। वैसे इस बार की उनकी यात्रा बहुत ही खास है। oath ceremony
वजह यह है कि जुलाई, 2024 में पीएम हसीना चीन की यात्रा पर जा रही हैं। चीन के ढाका में राजदूत ने अभी से ही इस यात्रा को ऐतिहासिक और गेमचेंजर करार दिया है। राजनयिक सूत्रों के मुताबिक इस यात्रा के दौरान शेख हसीना और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच कई करार पर समझौता होना है। oath ceremony
कुछ मुद्दों पर भारत व बांग्लादेश के बीच विमर्श
ऐसे में बांग्लादेश की तरफ से ही यह इच्छा जताई गई थी कि हसीना की बीजिंग यात्रा से पहले कुछ मुद्दों पर भारत व बांग्लादेश के बीच विमर्श होना चाहिए। इसमें एक मुद्दा चीन की तरफ से तीस्ता नदी की सफाई की प्रस्तावित योजना भी है। इस लिहाज से भारत व बांग्लादेश के पीएम के बीच होने वाली मुलाकात की अहमियत होगी।
शपथ ग्रहण में आने वाले एक अन्य मेहमान मुइज्जू के साथ पीएम मोदी की मुलाकात पर भी सभी की नजर होगी। अपने भारत विरोधी विचारों के लिए प्रसिद्ध मुइज्जू ने कहा है कि भारतीय पीएम के शपथ ग्रहण में हिस्सा लेना उनके लिए सम्मान की बात है और यह बताता है कि दोनों देशों के रिश्ते सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
भारतीय कूटनीतिक सूत्र बताते हैं कि दिसंबर, 2023 में मुइज्जू ने भारत की यात्रा की थी और उसके बाद से उनका रुख काफी बदला है। भारत ने उनके कुछ प्रस्तावों को स्वीकार भी किया है जिसमें वहां भारत निर्मित एक केंद्र से भारत के सैन्य कर्मियों को वापस बुलाना भी था। मुइज्जू ने राष्ट्रपति बनने के बाद मालदीव की उस परंपरा को तोड दिया था जिसमें राष्ट्रपति सबसे पहली विदेश यात्रा भारत की करता रहा है।
उन्होंने तुर्किये और चीन की यात्रा की थी। भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया है कि रविवार को सुबह मुइज्जू नई दिल्ली पहुंचेगे। कूटनीतिक सूत्रों ने बताया है कि भारतीय पीएम मोदी ने अपने पहले के दोनों शपथ ग्रहण समारोह में भी दक्षिण एशिया के पड़ोसी देशों को आमंत्रित किया था, जो उनकी सरकार की नेबरहुड फर्स्ट की नीति को बताता है।
The Review
oath ceremony
रविवार को होने वाले नरेन्द्र मोदी के पीएम के तीसरे कार्यकाल के शपथग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए विदेशी मेहमानों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है।
Discussion about this post