BNP NWS DESK़। Chandrababu Naidu आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) की लोकसभा और विधानसभा चुनाव में देखने लायक जीत ने राजनीतिक उठापटक का एक नया अध्याय रचा है। मुख्यमंत्री के रूप में अपने पिछले कार्यकाल में कौशल विकास निगम में एक बड़े घोटाले के आरोप में कुछ महीने पहले ही आंध्र प्रदेश की सीआइडी द्वारा गिरफ्तार किए गए नायडू चौथी बार राज्य के सीएम बनने जा रहे हैं।
Chandrababu Naidu इस सफलता के साथ नायडू ने तीन साल पहले ली गई अपनी वह प्रतिज्ञा भी पूरी कर ली, जिसमें उन्होंने विधानसभा में सीएम के रूप में ही लौटने का एलान किया था। नायडू विधानसभा में विपक्ष के नेता के रूप में सत्तारूढ़ दल की ओर से की जा रहीं व्यक्तिगत टिप्पणियों से आहत थे।
वह राष्ट्रीय राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनकर उभरे
नायडू को पिछले साल नौ सितंबर को घोटाले के सिलसिले में सीआइडी ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें करीब दो माह जेल में बिताने पड़े थे। अब वह राष्ट्रीय राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनकर उभरे हैं। नायडू की तेदेपा की अगुआई में राजग ने राज्य की 25 में से 21 लोकसभा सीटों पर बढ़त बनाई है। इसमें इनमें सहयोगी दल जन सेना पार्टी की दो सीटें और भाजपा की तीन सीटें भी शामिल हैं।
तेदेपा को अकेले 16 सीटों पर बढ़त मिली है
तेदेपा को अकेले 16 सीटों पर बढ़त मिली है। समाचार लिखे जाने तक तेदेपा एक सीट जीत चुकी थी जबकि 15 में वह बढ़त बनाए हुए थी। इसी तरह भाजपा दो सीट जीत चुकी है जबकि एक में वह बढ़त बनाए हुए थी। वाईएसआरसीपी कांग्रेस चार सीटों पर बढ़त बनाए हुए थी। Chandrababu Naidu
आंध्र में लोकसभा चुनावों के साथ ही विधानसभा के चुनाव भी हुए। पिछली बार केवल 23 सीटों पर सिमट जाने वाली तेदेपा ने 175 में से अकेले दम पर 135 पर बढ़त बनाई है। समाचार लिखे जाने तक 73 सीटें वह जीत चुकी थी जबकि 62 पर आगे थी।
उसके नेतृत्व वाले राजग ने 164 सीटों पर बढ़त बना जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआरसीपी सरकार के शासन का पूरी तरह सफाया कर दिया है। जगन ने ही नायडू की कौशल विकास निगम घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तारी कराई थी। Chandrababu Naidu
राजग में शामिल जन सेना ने 21 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जिनमें से उसे सभी पर कामयाबी मिलती नजर आ रही है। वह 13 सीटें जीत चुकी है जबकि आठ पर बढ़त बनाए हुए है। भाजपा ने दस सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और उसे आठ सीटों पर कामयाबी मिलती दिख रही है। पांच सीटें वह जीत चुकी है जबकि तीन पर उसके उम्मीदवार बढ़त बनाए हुए हैं।
इस बार जगन की पार्टी को केवल 11 सीटें हासिल होती दि7
जगन की पार्टी वाईएसआरसीपी ने पिछले विधानसभा चुनाव में 151 सीटें जीतकर नायडू के राजनीति करियर का एक तरह से अंत कर दिया था, लेकिन नायडू ने इस बार हिसाब बराबर कर दिया है। इस बार जगन की पार्टी को केवल 11 सीटें हासिल होती दिख रही हैं। वह तीन सीटें जीत चुकी है जबकि आठ पर उसके प्रत्याशी बढ़त में हैं। जगन की पार्टी को इसका अंदाज ही नहीं था कि उसके खिलाफ इस कदर सत्ता विरोधी लहर है। उनकी पार्टी का हाल यह हुआ है कि केवल खुद जगन और उनके मंत्रिमंडल के वरिष्ठ सहयोगी बोचा सत्यनारायण ही अपनी साख बचाने में कामयाब हो सके।
दूरदर्शी सीएम साबित हुए हैं नायडू
आंध्र की सत्ता में उल्लेखनीय वापसी करने वाले चंद्रबाबू नायडू करीब 40 साल से राजनीति में सक्रिय हैं और एक समय अविभाजित आंध्र प्रदेश के सीएम के रूप में अपने विकास माडल के लिए वह पूरी दुनिया में मशहूर हो गए थे। 74 वर्षीय नायडू का पांच साल पहले राजनीतिक करियर खत्म मान लिया गया था।
उन्होंने तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय में छात्र नेता के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वह कांग्रेस में शामिल हुए और राज्य में कैबिनेट मंत्री भी बने। इसके बाद वह कांग्रेस छोड़कर एनटी रामाराव की तेदेपा में शामिल हो गए। तेदेपा की स्थापना करने वाले रामाराव के नायडू दामाद हैं।
वह पहली बार 1995 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। सीएम के रूप में उनके दो पहले कार्यकाल (2004 तक) अविभाजित आंध्र प्रदेश में थे। उनका तीसरा कार्यकाल 2014 में शुरू हुआ और तब तक आंध्र से तेलंगाना अलग हो चुका था। हैदराबाद को साइबर हब के रूप में स्थापित करने का श्रेय नायडू को ही जाता है। इसी से उनकी ख्याति देश-दुनिया तक फैली।
अमरावती को आंध्र प्रदेश की राजधानी बनाने की पहल उन्होंने इसी कार्यकाल में की थी, लेकिन 2019 में सत्ता से बाहर होने के बाद यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया। यहां ये भी बता दें कि पिछली सदी के नौवें दशक में नायडू ने उस समय की केंद्र सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा गठित राजग सरकार को तेदेपा ने बाहर से समर्थन दिया था।
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आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) की लोकसभा और विधानसभा चुनाव में देखने लायक जीत ने राजनीतिक उठापटक का एक नया अध्याय रचा है।
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