BNP NEWS DESK। Nag Nathaiah Leela वाराणसी में दिवाली के चार दिन बाद काशी के तुलसी घाट पर वर्षों से लगातार हो रही अद्भुत ‘नाग नथैया लीला’ का आयोजन किया गया। इसे देखने के लिए शनिवार को बड़ी संख्या में लोग जुटे। गंगा किनारे आस्था और विश्वास के अटूट संगम का नजारा देखने को मिला। यहां की गंगा कुछ समय के लिए यमुना में परिवर्तित हो गई और गंगा तट पर हजारों वर्ष पुरानी वृंदावन की प्रमुख लीला दोहराई गई। इस लीला में दिखाया गया कि घाट पर खेलते-खेलते भगवान श्री कृष्ण ने अचानक गंगा में छलांग लगा दी। काफी देर बाद कालिय नाग का मर्दन कर वे बाहर निकले।
वर्षों की परंपरा के गवाह बने लाखों लोग
Nag Nathaiah Leel लीला आयोजक महंत पं. विशंभर मिश्र ने बताया कि हर साल कार्तिक महीने में यहां पर श्रीकृष्ण की ‘नाग नथैया लीला’ का आयोजन किया जाता है। शनिवार को इसमें बालस्वरूप भगवान कृष्ण ने कालिय नाग का मर्दन किया। इस अनोखे पल को देखने के लिए काशी के तुलसी घाट पर लाखों की भीड़ जुटी थी।
इसकी शुरुआत गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। उसके बाद से ही यह लीला तुलसी घाट पर होती है। पौराणिक कथा ‘नाग नथैया’ का मूल महाभारत में वर्णित है। इसके अनुसार भगवान कृष्ण जब किशोर थे, तब खेलते समय यमुना नदी में उनकी गेंद खो गई थी। उस नदी में एक विषैला कालिय नाग रहता था। उसके विष के प्रभाव से नदी का पानी काला हो गया था। अपना गेंद वापस लाने के लिए कृष्ण नदी में कूद पड़ते हैं। जिस नाग के विष से लोग भयभीत थे, उसका अहंकार नष्ट कर दिव्य रूप में सबके सामने प्रकट होते हैं।
तुलिसदास द्वारा शुरू की गयी इस लीला को मौजूदा व्यवस्थापक प्रोफ़ेसर और संकटमोचन मंदिर के महंत विश्वम्भर नाथ मिश्रा के देख रेख में सम्पन्न कराया गया। इस सम्बन्ध में अखाड़ा गोस्वामी तुलिसदास के व्यवस्थापक और महंत विश्वम्भर नाथ मिश्रा ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते सीमित लोगों की मौजूदगी में पुरानी परंपरा का निर्वहन हुआ। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि जन-जन भगवान श्रीकृष्ण की भूमिका निभाए और जिस तरह भगवान श्री कृष्ण ने कालीय नाग के दम्भ को चूर कर यमुना को प्रदूषण मुक्त किया उसी तरह गंगा के प्रदूषण मुक्त करने को लोग कदम आगे बढ़ाएं।
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Nag Nathaiah Leel
वाराणसी में दिवाली के चार दिन बाद काशी के तुलसी घाट पर वर्षों से लगातार हो रही अद्भुत 'नाग नथैया लीला' का आयोजन किया गया।
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