BNP NEWS DESK। Concert in Varanasi शिल्पायन द म्यूजिक हब संस्था ने संत रविदास जी जयंती के शुभ अवसर पर अपने कालविंट सभागार में सायं 6 बजे से संगीत संध्या का आयोजन किया। जिसमें दिल्ली से पधारें वरिष्ठ एवं प्रतिष्ठित कलाकार उस्ताद असगर हुसैन साहब ने वायलिन वादन प्रस्तुत किया। आपने कार्यक्रम की शुरुआत राग सरस्वती से किया जिसमें आपने आलाप, जोड़ व झाला के उपरान्त विलम्बित नौ मात्रे, मध्य व द्रुत तीनताल में गतें पेश की। अंत में आपने राग पहाड़ी की धुन से सबको रससिक्त कर दिया। आपके साथ तबले पर सिद्धार्थ चक्रवर्ती ने यथोचित मधुर संगत प्रदान किया।
कार्यक्रम की शुरुआत संस्था के दो होनहार किशोर गायिकाओं के युगल गायन से हुआ। प्राप्ति पुराणिक एवं वैदेही निमगांवकर ने राग मधुकौंस की खूबसूरत प्रस्तुति दी। इसमें विलम्बित एकताल में निबद्ध रचना थी- ‘जीवन के रंग हज़ार’, मध्यलय तीनताल में रचना थी- ‘माने न माने ना’ तथा द्रुत एकताल में रचना थी- ‘रुत है सुहानी आयी’। इसके पश्चात् आप दोनों ने संत रविदास के एक प्रसिद्ध भजन- ‘नरहरि चंचल है मति मेरी’ से कार्यक्रम का समापन किया। आप दोनों के साथ तबले पर डॉक्टर संदीप राव केवले व हारमोनियम पर हर्षित उपाध्याय ने सुमधुर संगति प्रदान की।
कार्यक्रम के शुरुआत से अंत तक रसिक श्रोताओं की उपस्थिति बनी रही। कार्यक्रम का कुशल संचालन व संयोजन अध्यक्ष पंडित देवाशीष दे ने तथा धन्यवाद ज्ञापन संस्था डॉक्टर रागिनी सरना जी ने किया।
सांस्कृतिक-संध्या में वाद्य वृन्द की सुमधुर प्रस्तुति ने मोहा सबका मन
Concert in Varanasi बड़ा लालपुर स्टेट दीन दयाल हस्तकला संकुल में वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार एवं सुबह ए बनारस के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में वाद्य वृन्द की सुमधुर प्रस्तुति साकार हुई । जिसमे स्वीडन के सितार वादक कलाकार के जी वेस्टमैन तथा स्वीडन की कलाकार स्वरमण्डल पर सुश्री एमिली तथा स्वीडन के बांसुरी वादक लीनुस ने शास्त्रीय शैली में राग ताल के माध्यम से प्रस्तुत स्वर विन्यास से आनंदित किया । वाद्यवृंद में तबला वादन रहा ज्ञान स्वरूप मुखर्जी की ।
वाद्य वृन्द का आरंभ हुआ लोकप्रिय राग शिववरंजनी में आलाप के साथ मध्य रूपक में निबद्ध गत से जिसमे जोड़ तानो का कुशल प्रयोग वाद्यवृंद की विशेषता रही। इसी क्रम में मध्य एवं द्रुत तीन ताल में निबद्ध स्वर रचना की प्रस्तुति में तिहाईयो का आकर्षक समावेश रहा । इसके उपरांत द्रुत लय में भी कलाकारो द्वारा समवेत रस संसार की सृष्टि हुयी। इसी क्रम में वैष्णव जन तो तेने कहिए जे की प्रस्तुति भवपूर्ण रही।बनारसी दादरा डगर बीच कैसे चलु की भावपूर्ण प्रस्तुति साकार हुयी।
इससे पुर्व कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ अजय श्रीवास्तव अध्यक्ष संग्रहालय हस्तकला संकुल एवं कलाकारों द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम की परिकल्पना एवं संयोजन रही डॉ रत्नेश वर्मा की। कार्यक्रम का संचालन किया डॉ प्रीतेश आचार्य ने।
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Concert in Varanasi
शिल्पायन द म्यूजिक हब संस्था ने संत रविदास जी जयंती के शुभ अवसर पर अपने कालविंट सभागार में सायं 6 बजे से संगीत संध्या का आयोजन किया।
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