BNP NEWS DESK। monsoon 2023 मानसून की विदाई हो चुकी है। चार महीने के दौरान कभी यह काफी सक्रिय रहा और खूब बारिश हुई तो इतना सुस्त पड़ गया तो इस साल के अगस्त महीने को 1901 के बाद सबसे सूखा अगस्त बन बना दिया। लेकिन कुल मिलाकर इस बार देश में मानसून सीजन में सामान्य वर्षा दर्ज की गई।
monsoon 2023 अल नीनो मानसून को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर सका।मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) ने शनिवार को कहा कि देश में दीर्घावधि औसत 868.6 मिमी के मुकाबले 820 मिमी वर्षा दर्ज देखी गई। दीर्घावधि औसत (एलपीए) के 94 प्रतिशत से 106 प्रतिशत के बीच वर्षा को सामान्य माना जाता है।
आइएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि 2023 का मानसून सीजन 94.4 प्रतिशत वर्षा के साथ समाप्त हुआ, जिसे “सामान्य” माना जाता है। 73 प्रतिशत हिस्से में सामान्य जबकि 18 प्रतिशत क्षेत्र में कम बारिश देखी गई।
पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य वर्षा 1,367.3 मिमी की तुलना में 1,115 मिमी वर्षा दर्ज की गई। इस तरह वर्षा में 18 प्रतिशत की कमी रही। उत्तर पश्चिम भारत में 587.6 मिमी के मुकाबले 593 मिमी वर्षा दर्ज की गई। मध्य भारत जहां कृषि मुख्य रूप से मानसूनी बारिश पर निर्भर करती है में 978 मिमी के मुकाबले 981.7 मिमी वर्षा दर्ज की गई। दक्षिण प्रायद्वीप में वर्षा में आठ प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।
आइएमडी के 36 सबडिवीजन में से तीन (कुल क्षेत्रफल का नौ प्रतिशत) में अधिक वर्षा हुई। 26 (कुल क्षेत्रफल का 73 प्रतिशत) में सामान्य वर्षा हुई। सात में कम वर्षा हुई। कम वर्षा वाले सात सबडिवीजन में नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा, गांगेय बंगाल, झारखंड, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, दक्षिण कर्नाटक और केरल हैं। गौरतलब है कि मानसून आने से पूर्व आइएमडी ने सामान्य मानसून की भविष्यवाणी की थी।
मानसून पर रहा हिंद महासागर डाईपोल, एमजेओ का रहा प्रभाव
आइएमडी के महानिदेशक ने बताया कि इस बार मानसून पर हिंद महासागर डाईपोल और मैडेन-जूलियन आसिलेशन (एमजेओ) का प्रभाव रहा। एमजेओ ने भारत में मानसून पर अल नीनो (दक्षिण अमेरिका के पास प्रशांत महासागर में पानी के गर्म होने) के प्रभाव का प्रभावी तरीके से मुकाबला किया। इंडियन ओशन डाईपोल, अल-नीनो और एमजेओ महासागरीय और वायुमंडलीय प्रणालियां हैं।
जो मौसम को प्रभावित करती हैं। हिंद महासागर डाईपोल हिंद महासागर से संबंधित है, लेकिन अन्य दो वैश्विक स्तर पर मौसम को प्रभावित करती हैं। एमजेओ जब मानसून के दौरान हिंद महासागर के ऊपर होती है, तो भारतीय उपमहाद्वीप में अच्छी वर्षा होती है। जब यह प्रशांत महासागर के ऊपर रहती है तब कम वर्षा होती है।
एमजेओ उष्णकटिबंधीय अफ्रीका में उत्पन्न होती है और पूर्व की ओर बढ़ती है। वहीं अल नीनो की स्थिति में भारत में कम मानसूनी वर्षा होती है। अफ्रीका के पास हिंद महासागर के पश्चिमी हिस्सों और इंडोनेशिया के पास महासागर के पूर्वी हिस्सों के बीच समुद्र की सतह के तापमान में अंतर को हिंद महासागर डाईपोल कहते हैं।
जुलाई में खूब हुई वर्षा, सूखा रहा अगस्त
इस वर्ष जून में कम वर्षा हुई। लेकिन उत्तर पश्चिम भारत में पश्चिमी विक्षोभ और एमजेओ के कारण जुलाई में अत्यधिक वर्षा देखी गई। अगस्त में मानसून फिर सुस्त पड़ गया। अल नीनो के कारण इस साल का अगस्त 1901 के बाद से सबसे सूखा अगस्त रहा। एमजेओ की सक्रियता के कारण सितंबर में अधिक बारिश हुई। पूरे देश में मासिक वर्षा जून में एलपीए का 91 प्रतिशत, जुलाई में 113 प्रतिशत, अगस्त में 64 प्रतिशत और सितंबर में 113 प्रतिशत दर्ज की गई।
मानसून तीन दिन पहले 19 मई को दक्षिण अंडमान सागर और निकोबार द्वीप समूह की ओर बढ़ा था। इसके बाद रफ्तार धीमी हो गई। यह सात दिनों की देरी से आठ जून को केरल पहुंचा। इसने फिर रफ्तार पकउ़ी और छह दिन पहले दो जुलाई तक पूरे देश में पहुंच गया। पश्चिम राजस्थान में मानसून की वापसी आठ दिन की देरी से 25 सितंबर को शुरू हुई थी।
The Review
monsoon 2023
monsoon 2023 मानसून की विदाई हो चुकी है। चार महीने के दौरान कभी यह काफी सक्रिय रहा और खूब बारिश हुई तो इतना सुस्त पड़ गया तो इस साल के अगस्त महीने को 1901 के बाद सबसे सूखा अगस्त बन बना दिया।
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