BNP NEWS DESK | Jai Shankar Prasad महाकवि जयशंकर प्रसाद के वंशजों ने पांडुलिपियां, कलम-दवात और उनके इस्तेमाल की कई वस्तुएं वर्ष 2018 में केंद्र सरकार को सौंप दी थीं। उन वस्तुओं को प्रदर्शित करने के लिए नई दिल्ली में प्रसाद संग्रहालय बनना था। पांच वर्ष बाद भी वे वस्तुएं सरकारी अभिलेखागार में ही पड़ी हैं।
सहेज कर रखी गई है प्रसादजी की पलंग
Jai Shankar Prasad वंशजों ने वह सिंगल पलंग भी सहेज रखी है जिस पर बैठकर महाकवि ने कामायनी लिखी थी। खैर की लकड़ी से बनी सौ साल से अधिक पुरानी पलंग अब भी जस की तस है। पलंग का रंग पहले दिन से अब तक भूरा ही है। कमरे की खिड़की, दरवाजों का रंग भी अब तक नहीं बदला गया।
प्रसाद ने अपने साहित्य में कल्पना और सत्य का अद्भुत संसार रचा
महाकवि जयशंकर प्रसाद ने अपने साहित्य में कल्पना और सत्य का अद्भुत संसार रचा। ‘हिमाद्रि तुंग शृंग से प्रबुद्ध शु्द्ध् भारती…’ जैसी रचना से प्रवीर होने और जयी बनने का संदेश दिया। रचनाओं के लेखन के दौरान जयशंकर प्रसाद ने जिन पुस्तकों का घंटों आदर से अध्ययन किया था, वे इन दिनों दीमकों का हमला झेल रही हैं।
उन पुस्तकों में धर्म और साहित्य के साथ उस दौर में लिखी गईं विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, इतिहास व कानून विषय की भी पुस्तकें हैं। पुस्तकों को बचाने के लिए कई बार दवाएं डाली गईं लेकिन दीमक पीछा नहीं छोड़ रहे हैं।
सबसे अधिक खतरे में महाकवि की पलंग से सटे ताखों में रखीं पुस्तकें हैं। चार ताखों पर रखीं 109 पुस्तकों में ज्यादातर सजिल्द हैं। कुछ पुस्तकों पर बांस कागज का कवर चढ़ा है। कुछ पुस्तकों की बाइंडिंग खुल चुकी है।
प्रसादजी की प्रपौत्री कविता कुमारी ने बताया कि इन पुस्तकों की झाड़-पोछ के दौरान परिजन जरूरत से अधिक सावधानी बरतते हैं। इस कक्ष के चार अन्य ताखों पर चार सौ से अधिक पुस्तकें कतारबद्ध रखी गई हैं।
शहर के गोवर्धन सराय स्थित विशाल भवन के जिस कक्ष में जयशंकर प्रसाद रहते थे, उसे यथावत रखा गया है। कमरे की नियमित सफाई की जाती है। समय-समय पर इन पुस्तकों की झाड़-पोछ भी होती है। मगर दीमक की समस्या का स्थायी समाधान परिजन नहीं खोज पा रहे हैं।
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Jai Shankar Prasadमहाकवि जयशंकर प्रसाद के वंशजों ने पांडुलिपियां, कलम-दवात और उनके इस्तेमाल की कई वस्तुएं वर्ष 2018 में केंद्र सरकार को सौंप दी थीं।
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