BNP News Desk। Hijab Row सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कई इस्लामिक देशों में महिलाएं हिजाब के खिलाफ लड़ रही हैं। इसके साथ ही उन्होंने ईरान का भी उल्लेख किया। वहीं कर्नाटक के जनता दल (सेक्युलर) के कर्नाटक प्रमुख सीएम इब्राहिम ने मंगलवार को इस्लामिक हेडस्कार्फ की तुलना पल्लू से की। उन्होंने कहा, ” राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी पल्लू से अपना सिर ढकती हैं, क्या यह पीएफआई की साजिश है?”।
हिजाब मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट में लगातार 8 वें दिन सुनवाई हुई। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया की सुप्रीम कोर्ट की बेंच कर्नाटक में शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की। पीठ के समक्ष 23 याचिकाओं का एक बैच सूचीबद्ध है। उनमें से कुछ मुस्लिम छात्राओं के लिए हिजाब पहनने के अधिकार की मांग करते हुए सीधे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर रिट याचिकाएं हैं। कुछ अन्य विशेष अनुमति याचिकाएं हैं जो कर्नाटक हाई कोर्ट के 15 मार्च के फैसले को चुनौती देती हैं जिसने स्कूल और कॉलेज में हिजाब प्रतिबंध को बरकरार रखा था।
हिजाब विवाद में ईरान का जिक्र क्यों
Hijab Row कोर्ट दोनों पक्षों की दलीलों को सुना। कोर्ट में सुनवाई के दौरान मंगलवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलील में ईरान का उल्लेख किया और कहा कि हिजाब इस्लाम के लिए जरूरी परंपरा नहीं है। कई मुस्लिम देश की महिलाएं इसके खिलाफ लड़ रही हैं। इसपर जब जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा कि कुछ विद्वानों ने कहा कि मूल शब्द खिमर था जो पर्शियन टेक्स्ट में हिजाब हो गया।
इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि “हो सकता है कुरान में लिखा हो और मैं उसे स्वीकार भी करता हूँ। मैंने कुरान नहीं पढ़ी है लेकिन केवल उसमें उल्लेख होने से हिजाब अनिवार्य परंपरा नहीं बन जाएगा।”
इंदिरा गांधी सिर पर पल्लू लेती थीं
कर्नाटक के जनता दल (सेक्युलर) के कर्नाटक प्रमुख सीएम इब्राहिम ने कि इंदिरा गांधी ने अपने सिर को पल्लू से ढका था। राष्ट्रपति भी पल्लू से अपना सिर ढकती हैं, इसलिए जो लोग अपने चेहरे को घूंघट से ढकते हैं, क्या वे सभी पीएफआई द्वारा समर्थित हैं? पल्लू के साथ सिर ढकना भारत का इतिहास है। यह एक भारतीय संस्कार है। दरअसल, कर्नाटक सरकार ने आज अदालत को बताया कि हिजाब के विरोध के पीछे पीएफआई का हाथ था। साथ ही ये दावा किया कि 2021 तक स्कूलों में हिजाब नहीं पहना जा रहा था।
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