BNP NEWS DESK। Subhash Chandra Bose वाराणसी, अस्सी घाट पर स्थापित परम पावन नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा को अचानक हटाये जाने से नाराज सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्त्ताओं, महिलाओं एवं बच्चों ने विश्व के पहले सुभाष मन्दिर पहुंचकर हाथों में मोमबत्ती लेकर “सुभाष प्रकाश मार्च” निकाला ताकि अंधेरे में जी रहे लोगों को परम पावन सुभाष की पवित्र प्रतिमा का अपमान दिखाई दे सके। नेताजी Subhash Chandra Bose की पवित्र प्रतिमा के अपमान से क्षुब्ध विशाल भारत संस्थान ने वाराणसी के जिलाधिकारी से मांग किया कि तत्काल उसी स्थान पर नेताजी की पवित्र प्रतिमा स्थापित की जाए। इस घटना की सूचना भारत के गृहमंत्री अमित शाह को ईमेल के माध्यम से भेजी गई, उनसे तत्काल इस अपमान पर उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की गई।
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का अपमान, नहीं सहेगा हिन्दुस्तान
महिलाओं एवं बच्चों ने भारत माता की जय, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जय एवं नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का अपमान, नहीं सहेगा हिन्दुस्तान के नारे लगाए और मोमबत्ती से सुभाष मंदिर को प्रकाशमान किया।
विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि यह बात व्यथित करने वाली है कि नेताजी सुभाष की पवित्र प्रतिमा को हटा दिया गया। नेताजी सुभाष की पवित्र प्रतिमा तत्काल वहीं स्थापित की जाए। जहां प्रतिमा लगी थी वह स्थान प्रत्येक सुभाषवादी के लिए अब पवित्र स्थान है। सरकार दखल दे और तत्काल उचित कार्यवाई करे।
नेताजी सुभाष प्रत्येक भारतवासी के लिए पूजनीय
राष्ट्रीय महासचिव अर्चना भरस्तवंशी ने कहा कि नेताजी सुभाष प्रत्येक भारतवासी के लिए पूजनीय है। उनका अपमान हम सोच भी नहीं सकते। वाराणसी के कमिश्नर तत्काल दखल दे और प्रतिमा को स्थापित करने का निर्देश दे।
सुभाष प्रकाश मार्च में नाजनीन अंसारी, डॉ० मृदुला जायसवाल, पूनम श्रीवास्तव, सरोज पटेल, खुशी रमन भारतवंशी, इली भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, गीता राजभर, मैना पटेल, हीरामनी पटेल, लक्ष्मीना देवी, निर्मला, प्रियंका श्रीवास्तव, अर्चना श्रीवास्तव, रीता, नीतू, चमेली, बेचना देवी, धामा, सुनीता श्रीवास्तव, धनंजय यादव, विवेक श्रीवास्तव, तबरेज भारतवंशी, रोजा भारतवंशी, राशिद भारतवंशी आदि लोगों ने भाग लिया।
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Subhash Chandra Bose
Subhash Chandra Bose वाराणसी, अस्सी घाट पर स्थापित परम पावन नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा को अचानक हटाये जाने से नाराज सैकड़ों सामाजिक कार्यकर्त्ताओं, महिलाओं एवं बच्चों ने विश्व के पहले सुभाष मन्दिर पहुंचकर हाथों में मोमबत्ती लेकर “सुभाष प्रकाश मार्च” निकाला
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