BNP NEWS DESK। functional disorder ये मरीज राज्य सरकार के अधिकारी या कर्मचारी हैं और इनकी ड्यूटी लोकसभा चुनाव में लगी है। फंक्शनल डिसऑर्डर के मरीजों के इलाज में डॉक्टर कोई हड़बड़ी न दिखाते हुए पहले पूरी जांच कराने की सलाह दे रहे हैं। वैसे फंक्शनल न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर बीमारी पूरी दुनिया में होती है।
functional disorder वाराणसी के अस्पतालों में इन दिनों एक नई बीमारी के मरीज बढ़ने लगे हैं। किसी तरह के फायदे के मकसद से कार्य व्यवहार में दिखने वाली बीमारी ‘फंक्शनल डिसऑर्डर’ चुनावी मौसम में एकाएक बढ़ गई है। बीएचयू से लेकर जिले के अन्यअस्पतालों में इस मानसिक और शारीरिक समस्या के 30 से 40 लोग रोजाना पहुंच रहे हैं। इनमें ज्यादातर पुलिस, प्रशासन और विभिन्न विभागों के सरकारी कर्मचारी शामिल हैं।
चुनाव की घोषणा होने के साथ ही फंक्शनल डिसऑर्डर का प्रभाव सरकारी कर्मचारियों पर दिखने लगा है। कोई सीने में दर्द, कोई झटका आने तो कोई अचानक हाथ-पैर न उठने की शिकायत लेकर अस्पताल पहुंच रहा है। बीते मंगलवार और बुधवार को बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग में इस तरह के आठ मरीज पहुंचे। इनमें तीन पुलिसकर्मी थे। functional disorder
जांच के दौरान पता चला कि सभी राज्य सरकार के अधिकारी या कर्मचारी हैं और इनकी ड्यूटी लोकसभा चुनाव में लगी है। उनकी मंशा चुनाव ड्यूटी करने की नहीं है। एक न्यायिक सेवा के अधिकारी भी इस तरह की समस्या लेकर पहुंचे थे। इसी तरह बीएचयू के अन्य चिकित्सकीय विभागों के अलावा दीनदयाल उपाध्याय और मंडलीय चिकित्सालय मिलाकर प्रतिदिन ऐसे 30 से 40 मरीज ओपीडी में पहुंच रहे हैं।
ऐसे मरीजों की हो रही समुचित जांच
फंक्शनल डिसऑर्डर के मरीजों के इलाज में डॉक्टर कोई हड़बड़ी न दिखाते हुए पहले पूरी जांच कराने की सलाह दे रहे हैं। जैसे अगर मरीज सिरदर्द होने या लकवा जैसी स्थिति यानी हाथ पैर सुन्न होने की शिकायत कर रहा है तो सीटी स्कैन कराने की सलाह दी जा रही है। सीने में दर्द की शिकायत पर ईसीजी, मिर्गी का झटका आने पर ईईजी और पैर नहीं उठ रहा है तो एनसीवी आदि जांच कराने के बाद ही इलाज आगे बढ़ाया जा रहा है।
किसी तरह का लाभ पाने की इच्छा दबी हो
फंक्शनल न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर बीमारी पूरी दुनिया में होती है। अमेरिका में इसके मरीज भारी तादाद में हैं। जब किसी के मन में किसी तरह का लाभ पाने की इच्छा दबी हो, मगर उसके सामने किसी तरह की मजबूरी हो, ऐसे हालात में यह बीमारी प्रभावी हो सकती है।
बीमार होने जैसी एक्टिंग करने लगता है
इस स्थिति में वह शख्स पूरी तरह बीमार नहीं होता, लेकिन बीमार होने जैसी एक्टिंग करने लगता है। ड्यूटी या किसी अन्य तरह की समस्या का संभावित भय उसके ऊपर हावी हो जाता है। इस बीमारी का इलाज मेडिकल साइंस में मौजूद है।
– प्रो. वीएन मिश्र, विभागाध्यक्ष, न्यूरोलॉजी, बीएचयू
फंक्शनल डिसऑर्डर का रहस्यमयी प्रतिरूप मास हिस्टीरिया
चिकित्सा के जानकार बताते हैं कि फंक्शनल डिसऑर्डर के रहस्यमयी प्रतिरूप वाली बीमारी को मेडिकल साइंस की भाषा में मास हिस्टीरिया कहा जाता है। इसके पीछे भी कुछ लाभ हासिल करने का मकसद रहता है।
जैसे दूध खपाने की चाहत हो तो अचानक पत्थर की कोई प्रतिमा दूध पीने लगती है और उसके पीछे भारी भीड़ उतावली दिखती है। या फिर खास तरह की दवाओं की बिक्री बढ़ानी हो तो प्लेग के नाम पर रहस्यमयी बीमारी का प्रचार कर दिया जाता है। इस स्थिति को मास हिस्टीरिया कहा जाता है।
The Review
functional disorder
ये मरीज राज्य सरकार के अधिकारी या कर्मचारी हैं और इनकी ड्यूटी लोकसभा चुनाव में लगी है।
Discussion about this post