बीएनपी न्यूज डेस्क ।Varanasi Gyanvapi Case, चर्चा का विषय बने ज्ञानवापी परिसर में कमीशन की कार्यवाही कर रहे एडवोकेट कमिश्नर को बदलने के लिए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत में दाखिल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई। लगभग एक घंटे तक चली सुनवाई के दौरान वादी पक्ष के अधिवक्ताओं और एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं के आरोपों को निराधार बताया। वादी पक्ष ने कमीशन की कार्यवाही सुनिश्चित कराने के लिए शासन -प्रशासन को निर्देश देने की अपील की। साथ ही तहखाना का ताला खोलकर कमीशन की कार्यवाही कराने के लिए जिला प्रशासन को आदेश देने की मांग की। वादी पक्ष की इस अपील पर अपना पक्ष रखने के लिए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने समय मांगा। अदालत ने सुनवाई को जारी रखते हुए दस मई की तिथि मुकर्रर कर दी। हालांकि ज्ञानवापी परिसर प्रकरण में कमीशन की कार्यवाही पर सुनवाई के लिए दस मई की तिथि पहले से ही निर्धारित थी।
अदालत में सुनवाई के दौरान वादी पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने एडवोकेट कमिश्नर को बदलने की अपील पर अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कमीशन की कार्यवाही अभी पूरी हुई नहीं, अभी कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं हुआ नहीं, बैरिकेडिंग के अंदर गए भी नहीं और अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं द्वारा एडवोकेट कमिश्नर पर निष्पक्ष कार्य नहीं करने का आरोप लगा दिया गया। कमीशन की रिपोर्ट आने पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं को अपने आरोप के समर्थन में प्रमाण के साथ अदालत के समक्ष लाना चाहिए था। एडवोकेट कमिश्नर द्वारा अदालत के आदेश के अनुपालन में ही बैरिकेडिंग के अंदर जाकर कमीशन की कार्यवाही का प्रयास किया जा रहा था। एडवोकेट कमिश्नर द्वारा परिसर में पत्थर पर बने कमल के फूल एवं अन्य निशान जो मंदिर से संबंधित थे, खंडित थे उसकी वीडियोग्राफी अथवा फोटो लेते समय यदि उसपर जमे धूल को हटाया गया तो यह कोई पक्षपात नहीं है, बल्कि रिपोर्ट भी लिखनी है तो चिन्हों का स्पष्ट होना आवश्यक है। कमीशन की कार्यवाही के दौरान अदालत द्वारा उभय पक्षों और उनके अधिवक्ताओं की संख्या तय कर दी गई थी। इसके बावजूद अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से निर्धारित संख्या से अधिक अधिवक्ता उपस्थित थे। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के सचिव उपस्थित नहीं हुए बल्कि उनका प्रतिनिधि बताकर त्रुटिपूर्ण पावर आफ एटार्नी लेकर प्रतिनिधि के रूप में एक व्यक्ति उपस्थित हुआ था, फिर भी उसे रोका नहीं गया।
मस्जिद में किसी धर्म का व्यक्ति कर सकता है प्रवेश
कमीशन की कार्यवाही के दौरान अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ताओं द्वारा आराजी नंबर 9130 की पहचान करने के बाबत प्रार्थना पत्र दिया गया जो कि सरासर गलत था, क्योंकि यह साधारण कमीशन की कार्यवाही थी न कि अमीन कमीशन की कार्यवाही का आदेश था। बैरिकेडिंग के अंदर जाने के लिए यह कहकर रोक दिया गया कि पुलिस और सुरक्षाकर्मी के अलावा कोई नहीं जा सकता है, जबकि 20 अप्रैल को सुनवाई के दौरान अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के अधिवक्ताओं द्वारा कहा गया कि मस्जिद के अंदर किसी भी धर्म का व्यक्ति प्रवेश कर सकता है। अदालत के आदेश में उल्लेखित तथ्यों का हवाला देते हुए सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि बहस के दौरान अंजुमन इंतजामिया द्वारा बताया गया था कि मस्जिद परिसर में कमीशन की कार्यवाही संपादित करने में कोई आपत्ति नहीं है। इसके बावजूद कमीशन कार्यवाही के दौरान अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से बहुत से लोग दोनों दिन वहां मौजूद थे। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से उठाए गए आरोपों पर अपना पक्ष रखते हुए अधिवक्ता ने उनके प्रार्थना पत्र को निरस्त करने की अपील की।
शासकीय अधिवक्ता ने कमीशन कार्यवाही को माना संतोषजनक
शासन प्रशासन की ओर से मौजूद जिला शासकीय अधिवक्ता महेंद्र प्रसाद पांडेय ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं के आरोपों पर आपत्ति जताते हुए एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही को संतोषजनक बताया। एडवोकेट कमिश्नर द्वारा दो-ढाई घंटे कमीशन की कार्यवाही की जा चुकी है। कमीशन की कार्यवाही को पूरा कराया जाना आवश्यक व न्यायसंगत है। कमीशन कार्यवाही के आदेश को बाधित करने के लिए अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर किया गया था। हाईकोर्ट ने इनकी अर्जी को खारिज कर दी। अब अन्य आरोप लगाकर कार्यवाही में व्यवधान उत्पन्न करने एवं और न होने देने के उद्देश्य से दिया गया है।
अंजुमन इंतजामिया के अधिवक्ताओं का आरोप
बता दें कि सात मई को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ताओं अभय नाथ यादव, मुमताज अहमद, रईस अहमद अंसारी ने प्रार्थना पत्र देकर कमीशन की कार्यवाही कर रहे एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र को बदलने की अपील की। दलील दी कि एडवोकेट कमिश्नर द्वारा सर्वे के दौरान उनकी आपत्तियों पर ध्यान नहीं दिया गया। उनके पक्ष के अधिकृत प्रतिनिधि को मौके पर उपस्थित रहने से मना कर दिया गया। मस्जिद के पश्चिमी बैरेकेडिंग के बाहर चबुतरानुमा पत्थर के टुकड़े रखे हुए थे। उसे अंगुली से कुरेद कर देख रहे थे। मस्जिद के प्रवेश द्वार पर ताला खुलवाकर वीडियोग्राफी की जिद कर रहे थे, जबकि ताला खोलकर बैरेकेडिंग के अंदर वीडियोग्राफी कराने का अदालत द्वारा आदेश पारित नहीं किया गया है। यह भी आरोप लगाया कि छह मई को एडवोकेट कमिश्नर द्वारा निरीक्षण के दौरान न्यायिक प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं थी।
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