बीएनपी न्यूज डेस्क। ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी की प्रतिदिन पूजा को लेकर दायर वाद के संदर्भ में कोर्ट की ओर से नियुक्त वकील कमिश्नर 19 अप्रैल को ज्ञानवापी और श्रीकाशी विश्वनाथ धाम का निरीक्षण कर सकते हैं। वह वीडियोग्राफी भी कराएंगे। विधिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सभी साक्ष्यों को वह 20 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के दौरान अदालत में प्रस्तुत कर सकते हैं।
सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने गत आठ अप्रैल को वाद की सुनवाई के दौरान अजय कुमार को वकील कमिश्नर नियुक्त किया था। अदालत ने अजय कुमार को निर्देशित किया है कि वादी व प्रतिवादी दोनों पक्षों की उपस्थिति में मौके की आख्या तैयार कर नियत तिथि तक रिपोर्ट दाखिल करें। अदालत ने यह भी कहा कि पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी भी कराई जाए। अगली सुनवाई के लिए 20 अप्रैल की तिथि मुकर्रर की गई है।
नई दिल्ली निवासी राखी सिंसह, लक्ष्मी देवी, सीता शाहू, मंजू व्यास व रेखा पाठक की तरफ से 18 अगस्त 2021 को सिविल जज (सीडि) की अदालत में वाद दाखिल किया गया था। वाद में कहा गया है कि भक्तों को मां शृंगार गौरी के दैनिक दर्शन-पूजन एवं अन्य अनुष्ठान करने की अनुमति देने के साथ ही परिसर में स्थित भगवान गणेश, हनुमान, नंदी जी एवं अन्य देवताओं के विग्रहों को सुरक्षित रखा जाए। इन्हें क्षति पहुंचाने से प्रतिवादियों को रोका जाए। मुगल शासक औरंगजेब के कार्यकाल में आदिविश्वेश्वर मंदिर के एक हिस्से पर ढांचा बना लिया गया जिसे मस्जिद कहते हैं। ज्ञानवापी परिसर स्थित कथित मस्जिद की पश्चिम दीवार के पीछे प्राचीन काल से देवी मां शृंगार गौरी की छवि मौजूद है। दूसरे पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद की ओर से वाद पर आपत्ति की गई। दलील दी गई कि यह वाद सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि उक्त वाद पूजा-स्थल विशेष उपबंध अधिनियम की धारा-चार से बाधित है। उक्त स्थान पर पर छह सौ वर्षों से मस्जिद है और वहां नमाज अदा होती है।
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