BNP NEWS DESK। elections in odisha भाजपा और ओडिशा में सत्तासीन बीजू जनता दल (बीजद) के बीच चले आ रहे वैचारिक तालमेल को इस बार चुनावी गठबंधन तक ले जाने के कई दिनों से चल रहे प्रयास आखिरकार विफल हो गए। अब तस्वीर साफ हो गई है कि दोनों ही दल विधानसभा के साथ ही लोकसभा चुनाव में भी एक-दूसरे के विरुद्ध ताल ठोंकेंगे।
elections in odisha यूं तो दोनों ओर से व्यक्त की गई असहमति के कई बिंदु होंगे, लेकिन खास तौर पर मजबूत होती जा रही भाजपा के साथ अपनी सियासी जमीन साझा करने और मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने में बीजद के संकोच के साथ ही समझौते के सूत्रधार बनकर राजनीति में सक्रिय हुए मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के विश्वस्त पूर्व नौकरशाह वीके पांडियन की महत्वकांक्षा को बड़ा कारण माना जा रहा है।
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार राजग का कुनबा बड़ा किया
लोकसभा चुनाव में भाजपा ने इस बार राजग का कुनबा बड़ा किया है। कई दिनों से अटकलें चल रही थीं कि ओडिशा की 21 संसदीय सीटों और साथ ही 147 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा और बीजू जनता दल का गठबंधन हो सकता है। elections in odisha
इसके लिए प्रयास चल रहे थे, कई दौर की वार्ता भी हुई, लेकिन शुक्रवार को ओडिशा भाजपा के अध्यक्ष मनमोहन सामल की ओर से एक्स पर पोस्ट साझा कर स्पष्ट कर दिया गया कि भाजपा सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ेगी। बढ़ती दोस्ती में आई खटास को सामल के रुख से भी समझा जा सकता है। उन्होंने मोदी सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को जमीन पर नहीं पहुंचाने का आरोप राज्य की नवीन पटनायक सरकार पर लगाया है।
ओडिशा-अस्मिता, ओडिशा-गौरव और ओडिशा के लोगों के हित
उन्होंने लिखा- ‘विगत 10 वर्षों से नवीन पटनायक के नेतृत्व में ओडिशा की बीजू जनता दल (बीजेडी) पार्टी केंद्र की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के अनेक राष्ट्रीय महत्व के प्रसंगों में समर्थन देती आई है, इसके लिए हम उनका आभार व्यक्त करते हैं। अनुभव में आया है कि देशभर में जहां भी डबल इंजन की सरकार रही है।
वहां विकास व गरीब कल्याण के कार्यों में तेजी आई है और राज्य हर क्षेत्र में आगे बढ़े हैं, लेकिन आज ओडिशा में मोदी सरकार की अनेक कल्याणकारी योजनाएं जमीन पर नहीं पहुंच पा रही हैं, जिससे ओडिशा के गरीब बहनों-भाइयों को उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है। ओडिशा-अस्मिता, ओडिशा-गौरव और ओडिशा के लोगों के हित से जुड़े अनेक विषयों पर हमारी चिंताएं हैं।’
सूत्रों ने बताया कि इस गठबंधन के लिए सूत्रधार की भूमिका पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री का दर्जा रखने वाले 5-टी के चेयरमैन पूर्व आइएएस अफसर वीके पांडियन निभा रहे थे। वह इस राजनीतिक दोस्ती को अमलीजामा पहनाकर राज्य की राजनीति में अपना रुतबा बढ़ाना चाहते थे। इससे बीजद के वरिष्ठ नेताओं में भी असंतोष था।
लोकसभा में पार्टी के नेता भातृहरि महताब ने तो त्याग-पत्र तक दे दिया। इसके अलावा भाजपा लोकसभा चुनाव में बड़े भाई की भूमिका में रहना चाहती थी। उसका प्रस्ताव था कि भाजपा 13 सीटों पर लड़े और बीजद आठ पर। बीजद इसके लिए तैयार नहीं था तो भाजपा के स्थानीय नेताओं का भी मत था कि विधानसभा चुनाव में बीजद से संघर्ष ही पार्टी की जमीन मजबूत करेगा।
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भाजपा और ओडिशा में सत्तासीन बीजू जनता दल (बीजद) के बीच चले आ रहे वैचारिक तालमेल को इस बार चुनावी गठबंधन तक ले जाने के कई दिनों से चल रहे प्रयास आखिरकार विफल हो गए।
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