BNP News Desk। Varanasi Gyanvapi Case जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने वाराणसी में ज्ञानवापी मामले पर जिला अदालत ने फैसला सुना दिया है। ज्ञानवापी श्रृंगारगौरी पोषणीयता मामले में फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा – इस विवाद पर सुनवाई होगी। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 22 तारीख को होगी।
वाराणसी-ज्ञानवापी परिसर को लेकर दायर मुकदमा नंबर 693/2021 (18/2022) राखी सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य। उपरोक्त मुकदमे को लेकर वाराणसी के जिला जज ने अपना ऐतिहासिक निर्णय देते हुऐ, उपरोक्त मुकदमान्यायालय में चलने योग्य है, यह निर्धारित करते हुऐ, प्रतिवादी संख्या। 4 अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी के द्वारा दिऐ गऐ 7/11 के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।
उत्तर प्रदेश स्थित वाराणसी में ज्ञानवापी मामले पर जिला अदालत ने सोमवार को फैसला सुनाया. जिला जज अजय कृष्ण विश्वेश ने जब फैसला सुनाया तब हिंदुपक्ष के वकील हरिशंकर जैन और विष्णु जैन इस दौरान मौजूद थे. इसके अलावा 5 वादी महिलाओं में से 3 – लक्ष्मी देवी, रेखा आर्य और मंजू व्यास पहुंचीं. राखी सिंह और सीता साहू नहीं आईं कोर्ट रूम में पक्षकारों व उनके वकीलों के कुल करीब 40 लोगों को ही एंट्री मिली. कोर्ट रूम से 50 कदम दूर ही बाकी लोगों की इंट्री रोकी दी गई थी।
Varanasi Gyanvapi Case ज्ञानवापी श्रृंगारगौरी पोषणीयता मामले में फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा – इस विवाद पर सुनवाई होगी. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 22 तारीख को होगी. मिली जानकारी के अनुसार कोर्ट ने कहा- वाराणसी-ज्ञानवापी परिसर को लेकर दायर मुकदमा नंबर 693/2021 (18/2022) राखी सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य। उपरोक्त मुकदमे को लेकर वाराणसी के जिला जज ने अपना ऐतिहासिक निर्णय देते हुऐ, उपरोक्त मुकदमा न्यायालय में चलने योग्य है, यह निर्धारित करते हुऐ, प्रतिवादी संख्या। 4 अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमिटी के द्वारा दिऐ गऐ 7/11 के प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया।
करीब साल भर पहले ज्ञानवापी मस्जिद में श्रृंगार-गौरी की पूजा के लिए दायर की गई याचिका पर आज दोपहर तक फैसला आने के इंतजार के बीच इस केस में पांच महिला याचिकाकर्ता के वकील ने अपनी उम्मीद को बताया है।
ज्ञानवापी केस में श्रृंगार-गौरी की पूजा की मांग करने वाले पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन को उम्मीद है कि फैसला उनके पक्ष में आएगा। पांच महिला याचिकर्ताओं के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि उम्मीद है कि फैसला हमारे पक्ष में आएगा। इस केस में मस्जिद कमेटी की तरफ से 1991 के प्लेस आफ वरशिप एक्ट का हवाला दिया गया।
जैन ने कहा कि इस केस में हमने बहुत वैज्ञानिक तौर पर अपने तर्क कोर्ट में रखे हैं। हम कह रहे हैं कि 1993 तक ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में व्यास जी पूजा कर रहे थे। हमारा केस बहुत मजबूत है। अगर आज हम केस जीते तो हम वजू खाने का आगे सर्वे कराकर कार्बन डेटिंग कराने की मांग करेंगे।
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि आज के फैसले में पता चल जाएगा कि आध्यात्मिक और ऐतिहासिक बुक दिखाई जाएंगी की नहीं। इसी कारण आज का दिन महत्वपू्र्ण है क्योंकि हमारे बहस को अगर कोर्ट मानकर मस्जिद कमेटी के आवेदन को अस्वीकार करती है तो इसका प्रभाव यह होगा कि यह केस आगे बढ़ेगा।
18 अगस्त 2021 को विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जीतेंद्र सिंह विषय के नेतृत्व में राखी सिंह सहित पांच महिलाओं ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर के कोर्ट में एक मुकदमा दाखिल किया. मुकदमे में पांचों महिलाओं ने मांग की थी कि ज्ञानवापी परिसर स्थित मां श्रृंगार गौरी के मंदिर में नियमित दर्शन पूजन की अनुमति मिले ज्ञानवापी परिषद में अन्य देवी देवताओं के विग्रह की सुरक्षा का मुकम्मल इंतजाम है. इस याचिका पर 23 अगस्त की सुनवाई में दोनों पक्षों की बहस पूरी हो गई. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में अदालत आज 12 सितंबर को तमाम तारीखों की सुनवाई के बाद इस बात पर फैसला लेने जा रही है कि अदालत को इस मामले में सुनवाई का अधिकार है अथवा नहीं। इस मामले में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से तमाम दस्तावेज और साक्ष्य अदालत को सौंपे गए हैं। इसमें औरंगजेब की संपत्ति होने की जानकारी के साथ ही वक्फ की संपत्ति होने का दावा करते हुए अदालत को सुनवाई का अधिकार न होने की मांग की थी। हालांकि, 1993 के पहले ज्ञानवापी मस्जिद में नियमित श्रृंगार गौरी का दर्शन पूजन होता था और बाद में बैरिकेडिंग कर दी गई थी।
इस बाबत वादी पक्ष का दावा है कि बिना किसी आदेश के मां श्रृंगार गौरी का दर्शन- पूजन रोक दिया गया था। ज्ञानवापी मस्जिद और श्रृंगार गौरी प्रकरण में वादी पक्ष की ओर से नियिमत दर्शन-पूजन की मांग की गई है। इसके लिए वादी पक्ष ने अपना तर्क भी अदालत में दिया था। वादी संख्या एक राखी सिंह के वकील मानबहादुर सिंह ने अदालत के सामने कहा था कि मां श्रृंगार गौरी का दर्शन-पूजन वर्ष 1993 से पहले तक नियमित होता था। इसके बाद मस्जिद की बैरिकेडिंग की गई। इससे मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर मौजूद मां श्रृंगार गौरी की प्रतिमा भी बैरिकेडिंग के अंदर ही आ गई। इसके चलते दर्शनार्थियों को वहां जाकर दर्शन-पूजन करने से रोक दिया गया।
जबकि बैरिकेडिंग कहां से आ गई? इस बारे में किसी तरह का कोई लिखित आदेश आज तक मौजूद नहीं है। वर्ष 1993 में उत्तर प्रदेश में जब प्रदेश के चुनाव हुए तो दिसंबर माह में मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। उस समय केंद्र में पीवी नरसिंह राव की कांग्रेस सरकार थी। मगर, बैरिकेडिंग किसके आदेश पर हुई और मां श्रृंगार गौरी का दर्शन-पूजन किसने आदेश से रोका गया यह जानकारी किसी को नहीं है। मगर, आज लगभग तीन दशक बाद भी बैरिकेडिंग पर सवाल बरकरार है।
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Varanasi Gyanvapi Case ज्ञानवापी श्रृंगारगौरी पोषणीयता मामले में फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा - इस विवाद पर सुनवाई होगी. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 22 तारीख को होगी.
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