BNP NEWS DESK। Mahakumbh 2025 महाकुंभ से पहले अखाड़ों का आपसी विवाद सतह पर आ गया। कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद के साथ प्रयागराज मेला प्राधिकरण कार्यालय पर अखाड़ों के प्रमुख संतों के साथ गुरुवार की दाेपहर बैठक चल रही थी। बैठक के बाद मेला क्षेत्र में जमीन दिखाया जाना था।
Mahakumbh 2025 इसके पहले निर्मोही अनी अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास व दूसरे संतों में कहासुनी होने लगी। पहले एक-दूसरे को अपशब्द कहने लगे। फिर देखते ही देखते हाथापायी शुरू हो गई। विवाद बढ़ने पर मेलाधिकारी ने सबको शांत कराया। मौके पर काफी संख्या में पुलिस व पीएसी के जवानों को तैनात कर दिया गया है।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने छावनी प्रवेश व राजसी स्नान तय किया है नाम
महाकुंभ के आमंत्रण पत्र में श्रीमहानिर्वाणी, निर्मल अखाड़ा ने पेशवाई के स्थान पर कुंभ मेला छावनी प्रवेश और शाही स्नान के स्थान पर कुंभ अमृत स्नान लिखवाया है। श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा का भूमि पूजन छह दिसंबर, धर्मध्वजा पूजन 22 दिसंबर, कुंभ मेला छावनी प्रवेश शोभायात्रा दो जनवरी को है। Mahakumbh 2025
हालांकि, गतमाह प्रयागराज में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ हुई बैठक में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष (मनसा देवी ट्रस्ट के प्रमुख) श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने पेशवाई की जगह छावनी प्रवेश व शाही स्नान को राजसी स्नान लिखने का आह्वान किया था।
किसी एक नाम पर सहमति नहीं
उनसे जुड़े नौ अखाड़ों में अधिकतर ने उस पर सहमति प्रदान कर दी, जबकि अखाड़ा परिषद के दूसरे धड़े (श्रीमहानिर्वाणी) से जुड़े अखाड़े उससे सहमत नहीं हुए। यही कारण है कि अभी तक किसी एक नाम पर सहमति नहीं बन पाई है।
मुख्यमंत्री ने अखाड़ों के प्रमुख संतों के साथ बैठक में कहा था कि सनातन धर्म की परंपरा से गुलामी के प्रतीक नामों का प्रयोग बंद होना चाहिए। इसके बाद अखाड़ों ने पेशवाई व शाही स्नान शब्द का प्रयोग करना बंद कर दिया। श्रीमहानिर्वाणी, निर्मल अखाड़ा के सचिव श्रीमहंत यमुना पुरी का कहना है कि हमने गुलामी के प्रतीक नामों का प्रयोग बंद कर दिया है। इसकी जगह छावनी प्रवेश व अमृत स्नान लिखा गया है।
श्रीमहानिर्वाणी अखाड़ा ने आमंत्रण पत्र पर लिखा छावनी प्रवेश-अमृत स्नान
यह नाम किसी के विरोध को लेकर नहीं लिखा। अभी किसी एक नाम पर आपसी सहमति नहीं बनी है। समय कम बचा है इस कारण अखाड़ों के संतों की राय लेकर नए नाम तय किए गए हैं।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने कहा कि छावनी प्रवेश व राजसी स्नान शब्द को लेकर सनातन धर्म के धर्माचार्यों, विद्वानों से राय ली गई थी।
हमारे महामंत्री महंत हरि गिरि ने तमाम भाषाविदों से चर्चा की। इसके बाद नया नाम तय किया गया है। शासन-प्रशासन भी हमारे नाम का प्रयोग कर रहा है। हमारे साथ नौ अखाड़े हैं, दूसरे पक्ष से चार अखाड़े जुड़े हैं। उन्हें हमारी बात काटकर खुद को अलग दिखाना है। इस कारण नया नाम रखा है। यह अनुचित है। ऐसा नहीं करना चाहिए।
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Mahakumbh 2025
महाकुंभ से पहले अखाड़ों का आपसी विवाद सतह पर आ गया। कुंभ मेलाधिकारी विजय किरन आनंद के साथ प्रयागराज मेला प्राधिकरण कार्यालय पर अखाड़ों के प्रमुख संतों के साथ गुरुवार की दाेपहर बैठक चल रही थी।
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