BNP NEWS DESK। Bharat Milap एक ओर अस्ताचल में डूब जाने काे कुछ ही शेष बचा था सूर्य का अंश, तो दूसरी ओर भ्रातृ प्रेम का अनुपम आदर्श गढ़ रहा था सूर्यवंश। बुधवार की शाम संपूर्ण ब्रह्मांड मानो ब्रह्मांडनायक की अनोखी भावलीला और आदर्श का सर्वोत्कृष्ट स्वरूप देखने को ठहर सा गया था।
शिव की काशी में त्रेता का वह पावन क्षण सजीव हो उठा
Bharat Milap श्रीराम-भरत मिलाप की विश्वप्रसिद्ध लीला नाटीइमली के मैदान में आयोजित हुई तो शिव की काशी में त्रेता का वह पावन क्षण सजीव हो उठा। इस लक्खा मेले में चारों भाइयों के भावपूर्ण मिलन को देख लाखों श्रद्धालुओं की पलकों से खुशियों के अनगिन मोती छलक उठे।
‘चारों भइयन की जय’ का उद्घोष
गले मिल चाराें भाइयों संग जनकनंदिनी सीता मैया ने भक्तों को दर्शन दिया। चारों भाइयों के मिलन की दुर्लभ छवि को हमेशा के लिए सहेज लेने को आतुर काशीवासियों की सजल धुंधली आंखों ने गीले नयन के कोरों से समूचे दृश्य को अपने हृदय में बसाया तो सहज ही जुड़ उठे दोनों हाथ और लाखों कंठों से फूट पड़ा ‘चारों भइयन की जय’ का उद्घोष पूरे वातावरण को अपनी सरस गरिमा में आच्छादित कर लिया।
परंपरानुसार काशिराज परिवार के कुंवर अनंत नारायण सिंह ने भी लीला स्थल पहुंच इस भावपूर्ण दृश्य को निहारा तो गिन्नियां भेंट कर तुलसीदल व पुष्प प्रसाद ग्रहण किया।
युवा, बुजुर्ग व बालमन सभी ने पलकों में प्रभु की मूरत बसाए
दोपहर के एक बजे से ही हर पग नाटीइमली की ओर बढ़ चले थे। बांस-बल्लियों से घिरा मैदान जब लोगों से पट गया तो आसपास की सड़कें, छतें सभी लोगों से अट गईं। युवा, बुजुर्ग व बालमन सभी ने पलकों में प्रभु की मूरत बसाए, लीला मंच पर नजरें गड़ाए एक झलक पा लेने का हर प्रकार से जतन किया। घड़ी की सुइयों के 4.35 बजने का संकेत देते ही हृदय की धड़कनें बढ़ गईं।
रामदूत हनुमान से हृदयप्रिय बड़े भैया के आगमन का समाचार पाकर अयोध्या (बड़ा गणेश) से नंगे पांव दौड़ते चले आए भरत-शत्रुघ्न प्रभु चरणों में साष्टांग दंडवत हुए। गोस्वामी तुलसीदास की चौपाई ‘परे भूमि नहि उठत उठाए, बल करि कृपा सिंधु उर लाए। श्यामल गात रोम भये ठाढ़े, नव राजीवनयन जल बाढ़े’ गूंज के बीच दौड़कर पहुंचे भक्तवत्सल प्रभु ने श्रीभरत को उठा कर गले से लगा लिया।
चारों भाई बारी-बारी से गले मिले, हर ओर से पुष्पवर्षा होने लगी
चारों भाई बारी-बारी से गले मिले, हर ओर से पुष्पवर्षा होने लगी और ‘हर-हर महादेव’, ‘जय श्री राम’ तथा ‘चारों भइयन की जय’ के उद्घोष से मैदान गूंज उठा। हाथ की अंगुलियां उठ कर भावातिरेक से गीले हो चुके नयन के काेरों को पोंछतीं फिर हाथ परस्पर जुड़ जाते और भाव भरे हृदय से निकल जयकारों की ध्वनि वातावरण में आच्छादित हो जाती।
चारो भाइयों ने प्रत्येक दिशाओं में घूमकर श्रद्धालुओं को दर्शन दिया और विभोर कर दिया तो दिव्य दृश्य से विह्वïल अस्ताचलगामी सूर्य की किरणों ने भी प्रभु चरणों में लोटकर खुद को धन्य कर लिया।
मिलन झांकी के बाद पुष्पक विमान पर सवार चारों भाई, माता सीता और पवनसुत अवध के लिए रवाना हुए। प्रभु श्रीराम के विमान रूपी पालकी के कहार बने यादव कुमार छलकती भक्तिरूपी सुधा का पान कर अघाए तो निहाल हो गए जो प्रभु प्रसाद के रूप में तुलसीदल व पुष्प पंखुड़ियां पाए। बड़ागणेश लीला स्थल पर देर रात तक लोगों ने प्रभु दरबार की झांकी के दर्शन किए।
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Bharat Milap एक ओर अस्ताचल में डूब जाने काे कुछ ही शेष बचा था सूर्य का अंश, तो दूसरी ओर भ्रातृ प्रेम का अनुपम आदर्श गढ़ रहा था सूर्यवंश।
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