बीएनपी न्यूज डेस्क। इस बार चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन से मां विंध्यवासिनी के चरण स्पर्श पर रोक लग जाएगी। श्रद्धालु गर्भगृह के अंदर भी प्रवेश नहीं कर सकेंगे। कपाट के बाहर से ही श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी का दर्शन कर सकेंगे। पुजारी के माध्यम से प्रसाद चढ़ाएंगे। दो वर्ष बाद कोरोना का प्रकोप भले ही कम हुआ हो, लेकिन श्रद्धालुओं की सुरक्षा को लेकर चिंतित प्रशासन ने यह कदम उठाया। यह नियम सामान्य व वीआइपी सभी के लिए है। दो अप्रैल से शुरु हो रहे चैत्र नवरात्र मेला के दौरान लाखों श्रद्धालु दर्शन-पूजन के लिए विंध्यधाम आएंगे। सभी श्रद्धालु मां का चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेकर मन की मुराद पूरी करना चाहते हैं। चरण स्पर्श में होने वाली देरी और भीड़ के दबाव के चलते व्यवस्था को बनाए रखने में परेशानी होती है। ऐसे में चैत्र नवरात्र के समय कोई भी श्रद्धालु मां विंध्यवासिनी के चरण नहीं छू सकेंगे। चरण स्पर्श पर लगाई गई पाबंद का कड़ाई से पालन होगा। मंदिर की पवित्रता के साथ ही व्यवस्था को बनाए रखने के लिए यह फैसला लिया गया है। इस समय सुबह पांच बजे मंगला आरती के बाद से शाम चार बजे तक मां के चरण छूने पर रोक है। शाम चार से रात 12 बजे तक श्रद्धालु मां का चरण स्पर्श कर सकते हैं। नौ दिनों तक मां विंध्यवासिनी का चरण स्पर्श पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा। श्रद्धालु गर्भगृह के बाहर से ही मां विंध्यवासिनी का दर्शन कर सकेंगे। विंध्यवासिनी मंदिर पर वीडियाेग्राफी व फोटोग्राफी पर भी रोक है। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए यह नियम लागू किया गया है और कड़ाई से पालन कराया जाएगा।
विंध्याचल में देश-दुनिया के श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विंध्य कारिडोर का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। साथ ही यहां पहाड़ पर अष्टभुजी व काली माता के दर्शन के साथ ही श्रद्धालुओं को त्रिकोण की सुगम यात्रा के लिए रोपवे भी तैयार कर लिया गया है।
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