BNP NEWS DESK। Rangbhari Ekadashi festival ‘गौरा के हरदी लगावा, गोरी के सुंदर बनावा…’, ‘सुकुमारी गौरा कइसे कैलास चढ़िहें…’, ‘गौरा गोदी में लेके गणेश विदा होइहैं ससुरारी…’ आदि मंगल गीतों से सोमवार की शाम टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास गूंज उठा। पूर्व महंत डा. कुलपति तिवारी के आंगन में ढोलक की थाप, मंजरियों की खनक और तालियों की अनुगूंज के बीच मंगलगीत गाती सुहागिन महिलाओं ने मां गौरा की रजत प्रतिमा को हल्दी-तेल लगाकर हल्दी की रस्म निभाई। गवनहारियों ने अनेक गीत प्रस्तुत किए तो शिवांजलि की टीम ने शिवभक्ति में डूबे अनेक मनोहारी भजनों से वातावरण को शिव-पार्वतीमय बना दिया।
Rangbhari Ekadashi festival अब मंगलवार को श्रीकाशी विश्वनाथ की प्रतीकात्मक बरात वहां पहुंचेगी और शिवरात्रि के विवाह के पश्चात आमलकी एकादशी को मां गौरा के गौना के लोकाचारों के साथ रीति निभाई जाएगी। मां गौरा, भगवान विश्वनाथ व प्रथमेश गणेश की चल रजत प्रतिमाओं को रजत पालकी में बिठाकर श्रीकाशी विश्वनाथ धाम ले जाया जाएगा।
वहां विधिवत पूजन-अर्चन होगा। मां गौरा की गौने की विदाई के साथ ही काशीवासी मां व बाबा को गुलाल लगाकर रंगोत्सव की अनुमति लेंगे और फिर रंगभरी एकादशी से ही पूरी काशी होलियाना उल्लास में डूब जाएगी।
हल्दी की रस्म के साथ लोक संगीत के बीच शिव-पार्वती के मंगल दाम्पत्य की कामना पर आधारित पारंपरिक गीतों का क्रम देर शाम तक चला। इन गीतों में गौने के दौरान दिखने वाली दृश्यावली का बखान किया गया। मंगल गीतों में यह चर्चा भी की गई कि गौना के लिए कहां क्या तैयारी हो रही है। दूल्हे के स्वागत के लिए कैसे-कैसे पकवान पकाए जा रहे हैं। सखियां पार्वती का साज शृंगार करने के लिए कौन-कौन से सुंदर फूल चुन कर ला रही हैं।
‘साठी क चाऊर चूमीय चूमीय..’ गीत से उतारी गई नजर
हल्दी की रस्म के बाद मां गौरा की नजर उतारने के लिए ‘साठी क चाऊर चूमीय चूमीय..’ गीत गाकर महिलाओं ने गौरा की रजत मूर्ति को चावल से चूमा। गौरा के तेल-हल्दी की रस्म के लिए महंत डा. कुलपति तिवारी के पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी के सानिध्य में संजीव रत्न मिश्र ने माता गौरा का श्रृंगार किया। हल्दी रस्म से पूर्व पूजन आचार्य सुशील त्रिपाठी ने कराया। सांस्कृतिक कार्यक्रम ‘शिवांजलि’ के अंतर्गत श्रद्धालु महिलाओं द्वारा शिव भजनों की प्रस्तुति की गई।
The Review
Rangbhari Ekadashi festival
‘गौरा के हरदी लगावा, गोरी के सुंदर बनावा...’, ‘सुकुमारी गौरा कइसे कैलास चढ़िहें...’, ‘गौरा गोदी में लेके गणेश विदा होइहैं ससुरारी...’ आदि मंगल गीतों से सोमवार की शाम टेढ़ीनीम स्थित महंत आवास गूंज उठा।
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