बीएनपी न्यूज डेस्क। Amarnath Yatra 2022 विगत दो साल बाद इस बार 30 जून से शुरू हो रही अमरनाथ यात्रा के लिए जम्मू-कश्मीर पूरी तरह तैयार है। हिंदू समाज ही नहीं, मुस्लिम भी बाबा बर्फानी के भक्तों की अगवानी करने को आतुर हैं। जम्मू-कश्मीर के प्रवेश द्वार लखनपुर से लेकर आधार शिविर और पवित्र गुफा तक शिव भक्तों के लिए लंगर व्यवस्था के साथ ही सभी प्रकार की मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं। होटल वालों, टैक्सी ऑपरेटरों और ड्राई फ्रूट्स के कारोबारियों ने अमरनाथ यात्रियों के लिए छूट का एलान किया है। पिछले दो साल से कारोबार ठप होने से मायूस अमरनाथ यात्रियों से सालभर की आजीविका की आस लिए घोड़े वाले, पिट्ठू वाले और पालकी वालों के चेहरे खिल गए हैं।
Amarnath Yatra 2022 अमरनाथ की यात्रा भगवान शिव के प्रकृतिक रूप से बने शिव लिंग के दर्शन करने के लिए की जाती है। यह यात्रा अत्यन्त कठिन है। अमर नाथ यात्रा पर जाने के भी दो रास्ते हैं। एक पहलगाम होकर और दूसरा सोनमर्ग बलटाल से इन दोनों मार्गो से आगे की यात्रा पैदल होती है। पहलगाम से जानेवाले रास्ते को सरल और सुविधाजनक समझा जाता है। बलटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी केवल 14 किलोमीटर है और यह बहुत ही दुर्गम रास्ता है और सुरक्षा की दृष्टि से भी संदिग्ध है। इस मार्ग से जाने वाले लोग अपने जोखिम पर यात्रा करते है। रास्ते में किसी अनहोनी के लिए भारत सरकार जिम्मेदारी नहीं लेती है।
अमरनाथ यात्रियों का कश्मीरी कई दशकों से मेहमाननवाजी करते रहे हैं। इस बार भी पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों व नुमाइंदों ने स्वागत की ऐसी तैयारी की है कि यहां से लौटने वाले भोले बाबा के भक्त सुनहरी यादें लेकर लौटें। बांदीपोरा के जिला विकास परिषद सदस्य मोहम्मद तारिक का कहना है कि अमरनाथ यात्रा का कश्मीरी लोगों को इंतजार है। यहां की मेहमाननवाजी पूरी दुनिया में मशहूर है। पिछले कई सालों से कश्मीरियों ने अमरनाथ यात्रियों की मेहमाननवाजी कर कश्मीरियत की मिसाल पेश की है।
अमरनाथ यात्रा से कश्मीर में घोड़े (पोनी), पिट्ठू और पालकी वाले भारी संख्या में जुड़े हुए हैं।
पुंछ और राजोरी जिले के भी घोड़े वाले हैं। गांदरबल के पोनी वाले रियाज अहमद का कहना है कि दो साल से कोरोना की वजह से यात्रा नहीं हुई। इस बार यात्रा शुरू होने की बेहद खुशी है। कारण उनकी आजीविका इसी पर निर्भर है। घोड़े, पालकी व टेंट वाले हजारों की संख्या में अमरनाथ यात्रा पर निर्भर रहते हैं। सालभर उन्हें इन दिनों का इंतजार रहता है। उनका कहना है कि यात्रा से जुड़े लोगों के सामाजिक-आर्थिक जीवन में बदलाव आता है। हमारी यही कामना है कि हजारों की संख्या में श्रद्धालु आएं और बाबा भोले का आशीर्वाद लें।
Amarnath Yatra 2022 जम्मू-पहलगाम-पवित्र गुफा: यह पारंपरिक यात्रा मार्ग है। श्रीनगर से 96 किलोमीटर दूर वाहन के जरिये यात्री पहले समुद्रतल से 7200 फुट की ऊंचाई पर स्थित पहलगाम बेस कैंप पहुंचते हैं। इसके बाद चंदनबाड़ी (8500 फुट) आता है जो पहलगाम से 16 किमी दूरी पर है। यात्री पिस्सू टॉप से होते हुए शेषनाग पहुंचते हैं। यहां से 13 किमी की दूरी पर पंचतरणी और फिर छह किमी दूर 12729 फुट की ऊंचाई पर बाबा की गुफा तक यात्री पहुंचते हैं। 46 किलोमीटर लंबे इस पूरे यात्रा मार्ग से यात्रा करने में अमूमन तीन रातें रास्ते में बितानी पड़ती हैं।
जम्मू-बालटाल-पवित्र गुफा: यह रास्ता कम दूरी का है। बालटाल से पवित्र गुफा तक 14 किलोमीटर की दूरी है। दोनों ओर से 28 किमी की दूरी तय कर भक्त एक ही दिन में बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकते हैं। हालांकि, इस रास्ते में बारिश और मौसम खराब होने की स्थिति में यात्रा को रोकना पड़ता है।
उपलब्ध होंगे प्रीफैब्रिकेटेड हट और टेंट
श्री अमरनाथ यात्रा 2022 के दौरान यात्रियों के बालटाल, नुनवान, शेषनाग और पंचतरणी में श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड की तरफ से रात में रुकने के लिए प्री फैब्रिकेटेड हट और टेंट उपलब्ध होंगे। श्राइन बोर्ड ने बालटाल में रात को प्री फैब्रिकेटेड हट या टेंट में रुकने का शुल्क 560 रुपये निर्धारित किया है। इसमें रजाई, गद्दा, टेबल और तकिया भी मिलेगा। नुनवान में एक रात रुकने के लिए किराया 275 रुपये से लेकर 350, शेषनाग में रुकने के लिए 450 से लेकर 500 रुपये निर्धारित किया गया है। पंचतरणी में एक रात रुकने के लिए किराया 550 से लेकर 600 रुपये तक होगा। पवित्र गुफा के पास स्थापित टेंटों में एक रात रुकने का किराया 790 रुपये लेकर 1060 रुपये रहेगा। ब्यूरो
जम्मू में हेल्पलाइन नंबर – 01912571912, 2571616
व्हाट्सएप नंबर- 9622011623, 7889708556
यात्री निवास भगवती नगर- 01912505028
Discussion about this post