BNP NEWS DESK। Akhara Parishad पवित्रता, परंपरा व पारदर्शिता को आधार बनाकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने तय किया है कि सिर्फ हिंदू (सनातन धर्मावलंबी) दुकानदारों से ही सामान लिया जाएगा। देश के विभिन्न शहरों में रहने वाले महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर व संतों को निर्देश दिया गया है कि वह सनातन धर्मावलंबी दुकानदारों से सामान खरीदें, साथ ही अपने भक्तों से ऐसा करने को कहें। हिंदू नाई, बढ़ई व मोची से कार्य कराएं। यह भी कहा गया है कि जिन दुकानों में मालिक के नाम का बोर्ड रहेगा, सामान उन्हीं से लिया जाएगा।
Akhara Parishad नाम के साथ यह देखा जाएगा कि दुकान, ढाबा, रेस्तरां के अंदर देवी-देवताओं की मूर्ति अथवा चित्र है या नहीं? उसके दिखने पर ही उसमें प्रवेश किया जाएगा।
अखाड़ा परिषद का कहना है कि धर्म विशेष के लोग उनकी पवित्रता व शुद्धता खत्म करना चाहते हैं। इसके लिए खाने-पीने यहां तक कि पूजन में प्रयोग होने वाले फूल, प्रसाद, कंठी-माला आदि में थूक लगाकर बेचा जाता है। सब्जियों को गंदे पानी में डुबोकर दिया जाता है। ऐसे मामले देशभर में सामने आए हैं।
इंटरनेट मीडिया में तमाम वीडियो साझा किए जा रहे हैं। इसे देखते हुए स्वयं को उससे अलग करने का निर्णय लिया गया है। महाकुंभ में अखाड़ों सहित समस्त संप्रदाय के संतों के शिविर में भंडारा चलाया जाता है। इसके लिए फल, सब्जी, दूध, अनाज, दोना-पत्तल, कुल्हड़ के प्रयागराज में हिंदुओं के अलावा सिख, जैन व बौद्ध दुकानदारों को चिह्नित किया जा रहा है।
किसी का विरोध नहीं, सिर्फ शुद्धता बचाना लक्ष्य : रवींद्र पुरी
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी का कहना है कि हम किसी जाति व वर्ग के विरोधी नहीं हैं, लेकिन अपनी पवित्रता व परंपरा से समझौता नहीं कर सकते। हम देख रहे हैं कि हमारी परंपरा व साधना को खंडित करने के लिए लगातार साजिश रची जा रही हैं। उसे देखकर हृदय व्याकुल हो जाता है कि कैसे कोई ऐसा निकृष्ट कार्य कर सकता है। इसके बावजूद हमने किसी का अहित नहीं किया, सिर्फ अपनी राह बदली है।
मेला आने पर किसी को नहीं रोका :
श्रीमहंत रवींद्र पुरी ने स्पष्ट किया कि मुस्लिमों को महाकुंभ में आने से रोकने की मांग अखाड़ा परिषद ने नहीं की है। यह अनुचित है। सनातन धर्म वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश देता है। हम चाहते हैं कि महाकुंभ में सभी लोग श्रद्धाभाव से आएं। वे आकर हमारा त्याग, भजन-पूजन व सेवाभाव देखेंगे तो सद्बुद्धि आएगी। इससे वह वैचारिक रूप से पवित्र होंगे।
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अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने तय किया है कि सिर्फ हिंदू (सनातन धर्मावलंबी) दुकानदारों से ही सामान लिया जाएगा।
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