बीएनपी न्यूज डेस्क। Varanasi Gyanvapi Masjid ज्ञानवापी परिसर प्रकरण में एडवाकेट कमिश्नर की कार्यवाही शनिवार की सुबह आठ से दोपहर 12 बजे तक की जाएगी। इस कार्यवाही को संपादित करने के लिए शुक्रवार को एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्र ने सभी पक्षकारों को इस बाबत लिखित सूचना दी। एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही निर्धारित समय में पूरी न होने की दशा में अगले दिन फिर कार्यवाही को संपादित किया जाएगा। एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही की रिपोर्ट सुनवाई के लिए 17 मई को अदालत में प्रस्तुत की जाएगी।
एडवोकेट कमिश्नर व उनकी टीम अदालत के आदेश के मुताबिक कार्यवाही को पूरा करेंगे। इस दौरान कार्यवाही स्थल पर मुकदमे के वादी, प्रतिवादी, अधिवक्ता, एडवोकेट कमिश्नर व सहायक एडवोकेट कमिश्नर तथा कार्यवाही से संबंधित व्यक्तियों को छोड़कर कोई भी बाहरी व्यक्ति कार्यवाही में उपस्थित नहीं होगा। एडवोकेट कमिश्नर पक्षकारों द्वारा बताए गए बिंदुओं पर फोटो लेने व वीडियोग्राफी करने के लिए स्वतंत्र होंगे। यदि किसी स्थान पर अवरोध उत्पन्न किया जाता है, जैसे कहीं पर ताला आदि बंद कर दिया गया है, तो जिला प्रशासन को पूरा अधिकार होगा कि ताले को खुलवा या तुड़वा कर एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही करवाएंगे। इस कार्यवाही को संपूर्ण करवाने की व्यक्तिगत जिम्मेदारी जिलाधिकारी व पुलिस आयुक्त की होगी। पुलिस महानिदेशक व मुख्य सचिव गृह पर्यवेक्षण करेंगे। एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही में किसी के द्वारा कोई अवरोध उत्पन्न किया जाता है तो जिला प्रशासन एफआइआर दर्ज करवाकर सख्त से सख्त विधिक कार्यवाही करें।
काशी का मूल केंद्र है और अविनाशी तत्व है ज्ञानवापी
स्कंद पुराण के काशी खंड के अनुसार ज्ञानवापी काशी का मूल केंद्र है। यह आदिकाल से अब तक कभी नष्ट नहीं हो सका है, यही काशी का अविनाशी तत्व है, इसलिए इसीलिए काशी को अविनाशी कहते हैं। जब भी काशी में धार्मिक, वैज्ञानिक, भाैगोलिक या खगोलीय, कोई माप करनी हो, ज्ञानवापी को केंद्र में रखकर ही करना होगा। जो स्थान शरीर में नाभि का है, वही काशी में ज्ञानवापी का है। यह कहना है काशी के अध्येता प्रो. पीबी राना सिंह का। वह बताते हैं काशी का विस्तार जानना हो कि काशी कितनी लंबी चौड़ी है तो स्कंद पुराण का काशी खंड बताता है कि ज्ञानवापी को केंद्र में रखकर एक योजन का गोला खींचा जाय तो जो क्षेत्र उसमें समाहित होता है, उसे ही अविमुक्त क्षेत्र कहते हैं। यह वैज्ञानिक रूप से भी सिद्ध हो चुका है। डा. सिंह बताते हैं कि प्राचीनतम साहित्य हो या आधुनिक, जहां भी काशी तीर्थ क्षेत्र की चर्चा है, उसके केंद्र में ज्ञानवापी ही है। ज्ञानवापी पर कहीं भी ऐसा संदर्भ नहीं मिलता कि यह कभी किसी काल में नष्ट हुआ हो। ज्ञानवापी का अर्थ, ज्ञान का कूप स्कंद पुराण के अनुसार, पृथ्वी पर प्राणियों की उत्पत्ति हो या ज्ञान की, उसका भी केंद्र ज्ञानवापी ही है। कहा जाता है कि भगवान शिव ने अपने ज्ञान स्वरूप को स्पष्ट करने के लिए ईशान रूप में त्रिशूल से उस स्थान पर खोदाई की, जो आज भी कूप के रूप में उपस्थित है। जल का अर्थ है ज्ञान और वापी का अर्थ है कूप। इस तरह इसका नामकरण ज्ञानवापी हुआ। अमेरिकी खगोलशास्त्री ने किया था शोध प्रो. सिंह बताते हैं कि 1993-94 में एक अमेरिकी खगोलशास्त्री जान किम मालविल भारत आए था। वह भारत सरकार के कई प्रोजेक्ट पर कार्य कर रहे थे। मैं भी उनके साथ सहयोगी के रूप में था। उन्होंने जब पौराणिक उद्धरणों के अनुसार खगोल शास्त्र की विधि से काशी की माप की तो यह तथ्य वैज्ञानिक रूप से भी सत्य सिद्ध होकर सामने आया कि ज्ञानवापी ही काशी का केंद्र है। वह बताते हैं कि स्कंद पुराण के काशी खंड में सात उपखंड हैं, इनमें पांचवें खंड में ज्ञानवापी महात्म्य का वर्णन है।
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