BNP NEWS DESK। Elections in five states पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों में यूं तो तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है। लेकिन तीनों ही राज्यों में स्थानीय मुद्दे और मौजूदा सरकारों के खिलाफ व पक्ष में जनसमर्थन (प्रो और एंटी इंकमबैसी) हावी दिख रहे हैं। वहीं भाजपा की कोशिश तेलंगाना में मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की होगी। वहीं मिजोरम में राष्ट्रीय पार्टियों के बजाय स्थानीय दलों के बीच मुकाबला संभव है।
इस बार भाजपा राजस्थान में वापसी की उम्मीद कर रही है
Elections in five states ध्यान देने की बात है कि 2018 में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान तीनों ही राज्यों में भाजपा को हार सामना करना पड़ा था। लेकिन इस बार भाजपा राजस्थान में वापसी की उम्मीद कर रही है। भ्रष्टाचार, तुष्टीकरण और कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर भाजपा अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ हमलावर है और इसे मुख्य चुनावी मुद्दे रूप में उठा रही है। वैसे तो राजस्थान में भाजपा भी गुटबंदी की शिकार है और केंद्रीय नेतृत्व इसे संभालने में लगा हुआ है।
लेकिन अंतिम समय के मेलमिलाप के बावजूद अशोक गहलोत और सचिन पायलट खेमे के बीच तनातनी का असर कांग्रेस के प्रदर्शन पर दिख सकता है। इससे बचने के लिए कांग्रेस ने बिना मुख्यमंत्री चेहरे के मैदान में उतरने का फैसला किया है। इसी तरह से सामूहिक नेतृत्व के दाव के सहारे भाजपा भी बिना मुख्यमंत्री के चेहरे के मैदान में है।
राजस्थान में पांच साल बाद सत्ता बदलने की परंपरा रही है
राजस्थान में पांच साल बाद सत्ता बदलने की परंपरा रही है, देखना यह है कांग्रेस इस परंपरा को तोड़ पाती है या फिर भाजपा इसे कायम रखने में कामयाब होती है। वहीं छत्तीसगढ़ में 15 सालों के भाजपा सरकार को बुरी तरह से परास्त करने वाले मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जलवा बरकरार दिख रहा है।
पिछली बार की 90 में से 67 सीटों के प्रदर्शन में कुछ कमी आ सकती है, लेकिन स्थानीय करिश्माई नेतृत्व के अभाव में भाजपा की वापसी मुश्किल दिख रही है। भाजपा ने हारी हुई मुश्किल 21 सीटों पर चुनाव की घोषणा के पहले ही उम्मीदवारों का ऐलान कर नया दांव चला है और सांसदों को भी मैदान में उतारा है।
पिछले कुछ महीने में कार्यकर्ताओं को सक्रिय करके, स्थानीय मुद्दों के सहारे सीट-दर-सीट जीतने की रणनीति और सामूहिक नेतृत्व के सहारे पार्टी को एकजुट कर भाजपा अपना ग्राफ उठाने की कोशिश में जुटी है।
भाजपा और कांग्रेस के बीच सबसे रोचक मुकाबला होने की उम्मीद मध्यप्रदेश में है
भाजपा और कांग्रेस के बीच सबसे रोचक मुकाबला होने की उम्मीद मध्यप्रदेश में है। पिछली बार आमने-सामने के मुकाबले में भाजपा से छह सीटें अधिक जीतकर कांग्रेस सत्ता हासिल करने में सफल रही थी। लेकिन लगभग एक साल बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत कमलनाथ सरकार पर भारी पड़ी और शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री बनने में सफल रहे।
भाजपा ने शिवराज सिंह चौहान को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं कर और तीन केंद्रीय मंत्रियों समेत सात सांसदों को मैदान में उतारकर साफ कर दिया कि मध्यप्रदेश में इस बार फिर कांटे की टक्कर है और सरकार बनाने के लिए एक-एक सीट की अहमियत है। वहीं 20 साल की सत्ता विरोधी लहर के सहारे कांग्रेस कमलनाथ के नेतृत्व में फिर से 2018 को दोहराने की कोशिश में जुटी है।
भाजपा इस बार मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटी
छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान तीनों ही राज्यों में भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
2013 के मुकाबले 2018 में कहीं ज्यादा सीटों के साथ सत्ता में वापसी करने वाली बीआरएस को इस बार सत्ता विरोधी लहर का सामना करना पड़ सकता है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत से उत्साहित कांग्रेस तेलंगाना में वापसी की उम्मीद कर रही है।
लेकिन भाजपा इस बार मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश में जुटी है। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा भले ही एक सीट ही हासिल कर पाई हो, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में 19.5 फीसद वोट के साथ चार सीटों की जीत ने भाजपा की उम्मीदें बढ़ा दी है। वैसे ग्रामीण इलाकों कमजोर सांगठनिक ढांचे के कारण भाजपा बीआरएस को सीधी चुनौती देने की स्थिति में नहीं दिख रही है, लेकिन शहरी इलाकों में बीआरएस विरोधी वोटों को बांटकर वह कांग्रेस का गणित गड़बड़ा सकती है।
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Elections in five states
Elections in five states पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों में यूं तो तीन राज्यों छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला है।
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