बीएनपी न्यूज डेस्क। Varanasi Gyanvapi episode ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में मंगलवार को मुस्लिम पक्ष ने अपनी बात पूरी कर ली। इसके साथ ही हिंदू पक्ष ने उनकी बातों पर अपनी दलीलें देनी शुरू की है। पिछली पांच तिथियों से चल रही मुस्लिम पक्ष की दलील खत्म पूरी होने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने अपनी बात कहनी शुरू की। उन्होंने कहा कि नमाज पढ़ लेने से कोई जगह मस्जिद नहीं हो जाती है। ज्ञानवापी की संरचना में बहुत से साक्ष्य हैं जिनसे साबित होता है कि यह मंदिर है। लगभग सवा घंटी चली बहस के बाद अदालत ने अगली सुनवाई के लिए तिथि तय कर दी।
पांच महिलाओं की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र पर जिला जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में चल रही सुनवाई में मामला सुनवाई योग्य है या नहीं (पोषणीयता) पर बहस जारी है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 13 जुलाई की तिथि तक की है।
मुस्लिम पक्ष के वकील अभयनाथ यादव ने वादी पक्ष की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र में मौजूद बिंदुओं पर अपनी दलील जारी रखते हुए कहा कि वादी पक्ष की ओर से दाखिल कंटेट को ही नहीं दावे के अन्य पहलुओं को भी देखा जाए। जिस भूखंड संख्या 9130 (विवादित परिसर) की चर्चा प्रार्थना में की गई है उसके मौजा और रकबा का जिक्र नहीं है। चौहद्दी की बात भी नहीं कही गई है जबकि यह मुकदमे में होना चाहिए। इस भूखंड का मालिक कौन है इसका जिक्र भी कहीं प्रार्थना पत्र में नहीं है।
मुकदमा जनहित में है तो उसे उन धाराओं में दाखिल किया जाना चाहिए। जबकि यह उसमें प्रेषित नहीं है। उन्होंने कहा कि वादी पक्ष की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र में शृंगार गौरी के चित्र की चर्चा की गई है जबकि पूजा मूर्ति की जाती है। जिस भूखंड की बात की जा रही है व वक्फ की संपत्ती है। इसलिए मुकदमा सुनने योग्य नहीं है इसे खारिज किया जाना चाहिए।
पिछली पांच तिथियों से चल रही मुस्लिम पक्ष की दलील खत्म पूरी होने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन ने अपनी बात कहनी शुरू की। उन्होंने कहा कि नमाज पढ़ लेने से कोई जगह मस्जिद नहीं हो जाती है। ज्ञानवापी की संरचना में बहुत से साक्ष्य हैं जिनसे साबित होता है कि यह मंदिर है। लगभग सवा घंटी चली बहस के बाद अदालत ने अगली सुनवाई के लिए तिथि तय कर दी।
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