बीएनपी न्यूज डेस्क। Azamgarh election आजमगढ़ संसदीय उपचुनाव में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा यह तो 26 जून को पता चलेगा, लेकिन उससे पूर्व वोटों का अंकगणित लगाने के बाद सभी खुद को पास बता रहे हैं। सपा के धर्मेद्र यादव जीत पक्की मान रहे तो भाजपा के दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ और बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली के आत्मविश्वास में तनिक कमी दिखाई नहीं दे रही है। वोटों के कम फीसद पांचों विधानसभा क्षेत्र में होने के कारण प्रत्याशियों की नजर मेें यह कोई मुद्दा नहीं है। चूंकि पूरी जंग जीत-हार के लिए एक-दूसरे के वोट बैंक में सेंधमारी को लेकर थी। अंदरखाने में खेल भी हुआ है, इसलिए वोटों के जोड़-घटाव में अधिकांश खुद को पास पा रहे हैं।
सपा के धर्मेंद यादव ने कहा कि मेरी जीत पक्की है। मेरा संगठन जमीन पर लड़ा है। कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव में अपना शतप्रतिशत दिया है। बेहद कम समय मिलने के बावजूद मैंने अधिकांश आबादी तक अपनी पहुंच बनाई। जनता का आशीर्वाद मुझे मिला है, इसको लेकर मैं आश्वस्थ हूं। वोटिंग फीसद का कम पड़ना भी सपा के लिए शुभ संकेत ही है। क्यों कि साइकिल के अधिकांश वोटर्स घरों से निकले और वोट डाले हैं। बसपा के शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली ने कहा कि बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ता पूरी ताकत से चुनाव के दौरान मुझे चुनाव लड़ाए हैं। मतदान का फीसद कम होना सिर्फ मेरे लिए नहीं है। नुकसान हुआ तो अलग-अलग विधानसभाओं में किसी को कम तो किसी को ज्यादा सबके ऊपर उसर डालेगा। हालांकि, हमारे वोटर घरों से निकलकर वोट डाले हैं, इसलिए मेरे ऊपर मतदान में कमी आने का असर नहीं पड़ेगा। भाजपा के दिनेश लाल यादव ने कहा कि मेरे लिए आम जनता ने चुनाव लड़ा है। ऐसे में मेरे अंदर चुनाव परिणाम को लेकर किसी तरह की फिक्र नहीं है। मतदान के दूसरे दिन वोटों में सेंधमारी को आधार बनाकर ही आमजन जीत-हार के निष्कर्ष तक पहुंचने में जुटे थे, लेकिन कोई सटीक कुछ कह पाने की स्थिति में नहीं था। दरअसल, मुस्लिम, यादव, अनुसूचित जाति के मतदाताओं पर अलग-अलग सियासी दलों के सेनापतियों की निगाहें थीं। तोड़फोड़ की चाल भी चली गईं, सपा के दो दिग्गज टूटकर भाजपा में आए। सपा की निगाहें मुस्लिम मतदाताओं को समेटने के साथ अनुसूचित मतदाताआें को रणनीति मुताबिक साधने की थी, जिसकी कोशिश लेकिन किसने कितनी सफलता अर्जित की यह तो 26 को ही पता चल पाएगा।
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