BNP NEWS DESK। India-CARICOM Summit कैरिबियन सागर में स्थित जमैका, सेंट मार्टिन, एंटीगुआ जैसे देश भारत के क्रिकेट प्रेमी वेस्टइंडीज खिलाड़ियों की वजह से ही जानते थे लेकिन अब इन देशों का महत्व वैश्विक मंच पर तेजी से बढ़ रहा है।
ऐसे में भारतीय पीएम नरेन्द्र मोदी ने कैरिबियाई देशों के साथ भारत के रिश्तों को प्रगाढ़ करने के लिए सात सूत्रीय प्रस्ताव पेश किया है। यह प्रस्ताव उन्होंने बुधवार को गयाना में आयोजित दूसरे भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन में रखा।
भारत ने सदैव कैरीकॉम के साथ मिलकर साझा चुनौतियों से निपटने का प्रयास किया
पांच वर्ष के अंतराल पर आयोजित इस बैठक के बारे में मोदी ने कहा कि, “इन पाँच वर्षों में विश्व में अनेक बदलाव आए हैं, मानवता को अनेक तनावों और संकटों का सामना करना पड़ा है।
इनका सबसे बड़ा और नकारात्मक प्रभाव हम जैसे ग्लोबल साउथ के देशों पर पड़ा है। इसलिए भारत ने सदैव कैरीकॉम के साथ मिलकर साझा चुनौतियों से निपटने का प्रयास किया है।”
इस क्षेत्र के 1000 और छात्रों को छात्रवृति देने का ऐलान
मोदी ने जो सात सूत्रीय प्रस्ताव रखे हैं उसमें पहला है क्षमता को मजबूत करना। इसके तहत भारत ने इस क्षेत्र के 1000 और छात्रों को छात्रवृति देने का ऐलान किया है।
साथ ही बेलीज में भारत द्वारा निर्मित प्रौद्योगिक विकास केंद्र का विकास भी किया जाएगा। दूसरा है, भारत की मदद से कैरिबियाई देशों में कृषि के मौजूदा स्वरूप को बदलना। इसका मकसद इन देशों की खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। तीसरा, पर्यावरण की चुनौतियों का साझौ तौर पर सामना करना।
इसके लिए रिनीवेबल क्षेत्र में सहयोग पर जोर होगा। चौथा, प्रौद्योगिक व कारोबार। इसके तहत भारत ने यूपीआइ तकनीक को देने, स्टार्टअप में भारत के अनुभव को साझा करने जैसी मदद दी जाएगी।
क्रिकेट व संस्कृति
पांचवां, क्रिकेट व संस्कृति। यहां भारत ने कैरिबियन महिला टीम को प्रशिक्षित करने का प्रस्ताव रका है। छठा है समुद्री अर्थव्यवस्था व सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग करना। यहां कनेक्टिविटी के लिए भारत ने छोटे व मझोले यात्री व ढुलाई जहाज आपूर्ति करने का प्रस्ताव रखा है।
मेडिसिन व हेल्थकेयर
सातवां,, मेडिसिन व हेल्थकेयर। अधिकांश कैरिबियाई देशों की स्वास्थय व दवा व्यवस्था लचर है। भारत का सहयोग काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
इस शिखर सम्मेलन के अलावा भारतीय पीएम ने डोमिनिका, त्रिनिदाद व टोबैगो, सुरीनाम, बारबोडोस, बेलिजे, एंटीगुआ व बारबुडा, ग्रेनाडा, सेंट् विंसेट एंड ग्रेनाइड्स और सेंट लुसिया के प्रमुखों के साथ अलग अलग बैठक की।
सनद रहे की दूरी की वजह से भारत कूटनीतिक तौर पर इस क्षेत्र के देशों के साथ अपने कूटनीतिक संबंधों को खास तवज्जो नहीं पाया था लेकिन मोदी सरकार के कार्यकाल में यह विचार बदला है। चूंकि इस क्षेत्र में चीन तेजी से ना सिर्फ निवेश बढ़ा रहा है बल्कि सैन्य केंद्र भी स्थापित करने में जुटा है।
ऐसे में भारत की कूटनीतिक सक्रियता का महत्व बढ़ गया है। इनमें से कई देशों के पास ऊर्जा का भंडार भी है जिसकी जरूरत भारत को महसूस हो रही है। नौ कैरिबियाई देशों के प्रमुखों से अलग-अलग भी मिले प्रधानमंत्री
क्यों कैरिबियन क्षेत्र हुए भारत के लिए महत्वपूर्ण
-इस क्षेत्र के देशों में रहने वाले भारतीयों के साथ सांस्कृतिक संबंध मजबूत करना
-इनमें से कई देशों के पास ऊर्जा के अकूत भंडार होने के संकेत
-समुद्री सैन्य क्षमता बढ़ाने में इन देशों की स्थिति आएगी काम
-चीन इस क्षेत्र में सैन्य व जासूसी ताकतें बढ़ाने में जुटा है
-इस क्षेत्र के कई देशों का सबसे ज्यादा कारोबार अब चीन के साथ
-भारत की तरफ से अब कारोबारी रिश्ते मजबूत करने पर जोर
यहां पर 43 छोटे-छोटे द्वीप देश स्थित है
कहां है कैरिबियाई समुद्री क्षेत्र: दक्षिण अमेरिका पूर्वोत्तर क्षेत्र में स्थित है कैरिबियन समुद्र। यहां पर 43 छोटे-छोटे द्वीप देश स्थित है। इनमें से कई सारे देशों में दो सौ वर्ष पहले काफी ज्यादा संख्या में भारतीयों को बसाया गया था।
अब इन देशों भारतीयों की संख्या कुल जनसंख्या में खासी हो चुकी है। गयाना, सुरीनाम जैसे देशों में भारतीय मूल के कई राष्ट्राध्यक्ष बन चुके हैं।
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