BNP NEWS DESK। Kartik month आश्विन मास की पूर्णिमा पर गुरुवार से ही कार्तिकी पर्वों का जोश उफान पर आ गया। तड़के स्नान-दान, नियम-संयम और सायंकाल आकाशदीपों से जगमगा उठा आसमान। शुक्रवार को कार्तिक मास आरंभ हो रहा है। इसमें विशेष यह कि कार्तिक मासपर्यंत ‘हर’ (भगवान शिव) की नगरी में पूरे माह ‘श्रीहरि’ को समर्पित अनुष्ठान होंगे। शैव-वैष्णव एका की नींव के पत्थर को मजबूती देंगे। मान्यता है कि काशी में 11 माह भगवान शिव का तो एक भगवान विष्णु का होता है। वैभव लक्ष्मी की आराधना से शुरू कार्तिक मास में श्रद्धालुजन उनकी उपासना करते हैैं।
Kartik month गंगा के सभी घाट-सरोवरों पर कार्तिकी स्नान विधान के लिए श्रद्धालु उमड़ते हैैं, लेकिन पंचनदतीर्थ (पंचगंगा घाट) पर स्नान का विशेष महत्व है। माना जाता है कि यहां ताप-पाप नाशक पांच नदियों यथा गंगा, यमुना, विशाखा, धूतपापा और किरणा का संगम होता है। ऐसे में यहां स्नान मात्र से समस्त प्रकार के पापों का शमन हो जाता है।
तीर्थराज प्रयाग भी कार्तिक मास में पंचगंगा पर स्नान करते हैैं
पुराणों में भी यह कहा गया है कि स्वयं तीर्थराज प्रयाग भी कार्तिक मास में पंचगंगा पर स्नान करते हैैं। स्नान के बाद वहीं घाट पर स्थापित श्रीहरि स्वरूप भगवान बिंदु माधव के दर्शन का विधान है। इसे देखते हुए स्थानीयजन के साथ दूर-दराज से भी लोग आकर यहां स्नान-पुण्य का लाभ उठाते हैैं।
आकाशदीपों की आभा भी यहां निराली होती है। इसकी प्राचीनता का अंदाज यहां श्रीमठ में स्थापित हजारे से लगाया जा सकता है। इसका इंदौर की महारानी अहिल्याबाई ने 1780 में लाल पत्थरों से निर्माण कराया था। Kartik month
हिंदी के 12 मास में कार्तिक, माघ, वैशाख पर्यंत स्नान-दान का मान है। भगवान विष्णु कार्तिक मास के स्वामी हैं। इससे इसकी महत्ता अधिक है। इस मास में ब्रह्म मुहूर्त में स्नान का विशेष फल है। इस बेला में सभी देवता जल में निवास करते हैैं। ऐसे में स्नान से रोग से मुक्ति, पाप का क्षय, स्वास्थ्य व लक्ष्मी का वास होता है। भगवान श्रीहरि का वंदन, तुलसी पूजन और उन्हें दीपदान किया जाता है।
पांच तिथि एक माह समान
कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी, अमावस्या व शुक्ल पक्ष की एकादशी, अमावस्या व पूर्णिमा तिथि को स्नान से पूरे माह के स्नान के बराबर पुण्य मिलता है। ऐसे में कामकाजी व्यस्तता वाले जन इन पांच तिथियों में स्नान कर लाभान्वित हो सकते हैैं।
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Kartik month
आश्विन मास की पूर्णिमा पर गुरुवार से ही कार्तिकी पर्वों का जोश उफान पर आ गया। तड़के स्नान-दान, नियम-संयम और सायंकाल आकाशदीपों से जगमगा उठा आसमान।
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