BNP NEWS DESK। Jagannath लोक परंपरा और मान्यताओं के साक्षात रूप का पालन करते हुए भगवान जगन्नाथ की स्नान- यात्रा शनिवार को असि स्थित जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धा पूर्वक निभाई गई। शनिवार की रात्रि के तीसरे प्रहर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व सुभद्रा के विग्रहों को मंदिर के गर्भ गृह की छत पर उत्तर -पूरब दिशा में स्नान की वेदी पर गज स्वरूप देकर विराजमान कराया गया जिसे भगवान जगन्नाथ की स्नान यात्रा कहा जाता है और काशी में रथयात्रा उत्सव का अधिष्ठापन शुरू हो जाता है।
प्रभु जगन्नाथ समेत भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के विग्रहों को स्नान
Jagannath जेष्ठ पूर्णिमा के मान के अनुसार मन्दिर के पुजारी राधेश्याम पांडेय ने प्रातःकाल सवा पांच बजे विग्रहों की विधिवत भोग व आरती की। इसके पश्चात मेले के आयोजक शापुरी परिवार के सदस्यों ने प्रथम स्नान कराया। स्नान कराने का जो क्रम शुरू हुआ वह देर रात्रि 11 बजे तक चलता रहा। इस दौरान भक्त अपने घरों से पात्रों में गंगा जल लेकर आ रहे थे और प्रभु जगन्नाथ समेत भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के विग्रहों को स्नान करा रहे थे। स्नान के दौरान आसमान से भी मेघ बरसने लगे। लोग बरबस कह उठे कि भगवान इंद्र आसमान से जगन्नाथ प्रभु का जलाभिषेक कर रहे हैं।
देर रात्रि तक अति स्नान से प्रभु बीमार पड़ गए
देर रात्रि तक अति स्नान से प्रभु बीमार पड़ गए। इस कारण वे पखवारे भर यानी आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या तिथि तक स्वास्थ्य लाभ के लिए विश्राम करेंगे और अब आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा को स्वस्थ होकर भक्तों को दर्शन देंगे। उसी दिन शाम को मनफेर के लिए अपनी मौसी के यहां जाएंगे। लोक में इसे भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा के रूप में जाना जाता है।
इस क्रम में असि स्थित जगन्नाथ मंदिर में रविवार से मंदिर का गर्भगृह 15 दिनों ( आषाढ़ कृष्ण पक्ष, अमावस्या) तक बंद रहेगा। ट्रस्ट श्री जगन्नाथ के सचिव आलोक शापुरी के अनुसार मंदिर का पट अब आषाढ़ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा छह जुलाई को प्रातःकाल पांच बजे दर्शनार्थ खोला जाएगा। उसी दिन अपराह्न 3.30 बजे से मंदिर से रथयात्रा स्थित बेनीराम के बगीचे तक रथयात्रा निकली जाएगी। सात जुलाई को भोर में रथयात्रा चौमुहानी स्थित निराला निवेश के पास प्रभु जगन्नाथ के विग्रह को रथ पर विराजमान कराकर आरती के पश्चात तीन दिवसीय मेला शुरू हो जाएगा।
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लोक परंपरा और मान्यताओं के साक्षात रूप का पालन करते हुए भगवान जगन्नाथ की स्नान- यात्रा शनिवार को असि स्थित जगन्नाथ मंदिर में श्रद्धा पूर्वक निभाई गई।
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